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गोरखपुर-बस्ती मंडल: मुस्लिम मतदाताओं पर है सभी दलों की निगाह, तय करेंगे 13 सीटों का भाग्य

गोरखपुर-बस्ती मंडल की सीटों पर सपा के मुस्लिम वोटों में बसपा, कांग्रेस, पीस पार्टी के साथ ही एआईएमआईएम सेंध लगाने की क्षमता रखती हैं। जबकि, सपा किसी भी कीमत पर मुस्लिम मतों का बिखराव रोकने का प्रयास करेगी। जबकि, पिछले चुनाव में सपा के बहुमत में उसके ज्यादातर मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत की भूमिका थी।

zafar
Published on: 16 Jan 2017 4:17 PM IST
गोरखपुर-बस्ती मंडल: मुस्लिम मतदाताओं पर है सभी दलों की निगाह, तय करेंगे 13 सीटों का भाग्य
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गोरखपुर-बस्ती मंडल: मुस्लिम मतदाताओं पर है सभी दलों की निगाह, तय करेंगे 13 सीटों का भाग्य

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसी भी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में मुस्लिम मतदाताओं की अहम भूमिका मानी जाती रही है। गोरखपुर-बस्ती मंडल के 7 जिलों की कुल 41 सीटों में से 13 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का खास प्रभाव है। इनमें से ज्यादातर सीटों पर सपा, बसपा और कांग्रेस मुस्लिम वोटों पर ही निर्भर रहती हैं, जबकि भाजपा की कोशिश होती है कि मुस्लिम वोट बंटे। ऐसे में, सभी दलों की निगाहें अब इन मुस्लिम प्रभाव वाले इलाकों पर हैं। बस्ती में पांचवें चरण में 27 फरवरी को और गोरखपुर में छठे चरण में 4 मार्च को चुनाव होना है।

मुस्लिम प्रभाव वाले क्षेत्र

-दोनों मंडलों की 41 सीटों में शोहरतगढ़, बांसी, इटवा, डुमरियागंज, मेंहदावल, खलीलाबाद, पनियरा, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच, फाजिलनगर, कुशीनगर, पथरदेवा और रामपुर कारखाना मुस्लिम बाहुल्य इलाके हैं।

-इन 41 सीटों से 3 या 4 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुंचते रहे हैं। हालांकि, यह संख्या यहां के मुस्लिम वोटरों की तुलना में बहुत कम है।

-2007 के विधानसभा चुनाव में डुमरियागंज से बसपा के तौफीक अहमद, सलेमपुर से सपा की गजाला लारी और मेहंदावल से सपा के ही अबुल कलाम चुनाव जीते थे।

-2012 में 4 मुस्लिम विधायक चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे।

-इनमें डुमिरयागंज से पीस पार्टी के मलिक कमाल युसुफ ने जीत हासिल की थी, जो अब पार्टी छोड़ चुके हैं।

-वहीं खलीलाबाद से पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अयूब, देवरिया के पथरदेवा से सपा के शाकिर अली और रामपुर कारखाना से सपा की चौधरी गजाला लारी ने जीत हासिल की थी।

-पिछले चुनाव में दोनों मंडलों की 7 ऐसी सीटें भी थीं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे।

-अन्य दलों के साथ ही इन सीटों पर एक बार फिर पीस पार्टी और साथ ही एआईएमआईएम की निगाहें लगी हैं।

सपा बनाम पीस पार्टी

-अगर समाजवादी पार्टी की बात करें, तो गोरखपुर की 9 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है।

-हालांकि, गोरखपुर ग्रामीण का इलाका मुस्लिम बाहुल्य है, जहां मुस्लिम वोटों की बदौलत जीत हासिल की जा सकती है।

-लेकिन दोनों मंडलों में पार्टी ने केवल 4 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

-रामपुर कारखाना, फाजिलनगर, पथरदेवा और डुमरियागंज में मुस्लिम प्रत्याशी घोषित हुए हैं।

-इनमें 3 वर्तमान विधायक हैं, जबकि पिपराइच में बसपा ने आफताब पर भरोसा जताया है।

-पीस पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण सीट पर दो छोटे दलों से गठबंधन कर डा. संजय निषाद को प्रत्याशी बनाया है।

-पिछली बार इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा था।

-पिछले विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने दोनों मंडलों में 2 सीटें ही नहीं निकाली, बल्कि सपा और बसपा के वोटों में सेंधमारी भी की।

-पीस पार्टी की इस सेंधमारी के कारण कुछ सीटों पर सपा जीती हुई बाजी हार गयी।

आगे स्लाइड में जानिए कौन लगा रहा है किस पार्टी में सेंध...

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सपा में सेंध का समीकरण

-2017 का विधानसभा चुनाव पिछली बार की तुलना में काफी अलग है और सबसे ज्यादा चिंता समाजवादी पार्टी को है और उसने सिर्फ 4 मुस्लिम उतारे हैं।

-जबकि, पिछले चुनाव में सपा बहुमत से आयी थी तो उसकी एक वजह थी कि ज्यादातर मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हुए थे।

-गोरखपुर-बस्ती मंडल की सीटों पर सपा के मुस्लिम वोटों में बसपा, कांग्रेस, पीस पार्टी के साथ ही एआईएमआईएम सेंध लगाने की क्षमता रखती हैं।

-जबकि, सपा किसी भी कीमत पर मुस्लिम मतों का बिखराव रोकने का प्रयास करेगी।

-मुख्तार अंसारी का कौमी एकता दल अब सपा के साथ ही है और इन 41 सीटों पर पीस पार्टी व एआईएमआईएम के अलावा किसी अन्य पार्टी का मुसलमानों पर प्रभाव ना के बराबर है।

-हालांकि, मुस्लिम मतों का बिखराव रोकने के लिए बना इत्तेहाद फ्रंट बनने से पहले ही बिखरा हुआ है।

-कुछ दिनों पहले पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. अयूब ने तो इत्तेहाद फ्रंट के वजूद से ही इनकार कर दिया था।

-हालांकि, उन्होंने बिहार की तर्ज पर साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ने की बात भी कही थी।

-बल्कि पार्टी अध्यक्ष अयूब ने एआईएमआईएम का समर्थन करते हुए ऐसे और दलों की जरूरत भी बतायी थी।

एआईएमआईएम का बढ़ता प्रभाव

-बात करें मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल की, तो यहां पर उनका प्रभाव ना के बराबर है।

-जबकि, दूसरी तरफ सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का दोनों मंडलों में प्रभाव बढ़ रहा है।

-एआईएमआईएम को प्रदेश में मान्यता भी मिल चुकी है और हाल में ओवैसी के पूर्वांचल दौरे को मुसलमानों का अच्छा समर्थन भी मिला है।

-गोरखपुर, महराजगंज, इटवा, सिद्धार्थनगर में अच्छी भीड़ वाले पार्टी के सम्मेलन भी आयोजित हो चुके हैं।

-मुसलमानों में ओवैसी बंधुओं की छवि हीरो जैसी है, ऐसे में अगर कोई पार्टी उससे गठबंधन करती है, तो उसे इसका फायदा मिल सकता है।

-फिलहाल बसपा और कांग्रेस उससे गठबंधन से इनकार कर चुके हैं।

आगे स्लाइड में जानिए पिछले चुनाव में कौन जीता और कौन मुस्लिम किस नंबर पर रहा...

गोरखपुर-बस्ती मंडल: मुस्लिम मतदाताओं पर है सभी दलों की निगाह, तय करेंगे 13 सीटों का भाग्य

2012 में मंडल से जीते मुस्लिम उम्मीदवार

1. डुमरियागंज : मलिक कमाल युसुफ पीस पार्टी, पार्टी छोड़ी

2. खलीलाबाद: डा. अयूब पीस पार्टी

3. पथरदेवा : शकिर अली सपा

4. रामपुर कारखाना: चौैधरी गजाला लारी सपा

2012 में मुस्लिम उम्मीदवारों की स्थिति

1. गोरखपुर ग्रामीण जफर अमीन डक्कू सपा दूसरा स्थान

2. पिपराइच दिलदार हुसैन बसपा चौथा स्थान

3. शोहरतगढ़ मुमताज अहमद बसपा दूसरा स्थान

4. बांसी मोहम्मद सरवर पीस पार्टी चौथा स्थान

5. इटवा मोहम्मद मुकीम कांग्रेस तीसरा स्थान

6. डुमरियागंज सैयदा खातून बसपा दूसरा स्थान

7. मेंहदावल मो. तैयब बसपा तीसरा स्थान

8. खलीलाबाद मशहूर आलम चौधरी बसपा तीसरा स्थान

सपा के अबुल कलाम चौथे स्थान पर रहे

9. पनियरा तलत अजीज कांग्रेस चौथा स्थान

10. फाजिलनगर कमालुद्दीन बसपा दूसरा स्थान

11. कुशीनगर जावेद इकबाल बसपा दूसरा स्थान

12. पथरदेवा नियाज खान निर्दल तीसरा स्थान



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zafar

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