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हाईकोर्ट का फैसला, चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद अदालत नहीं कर सकती हस्तक्षेप
हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 329 (बी) चुनावी प्रक्रिया में कोर्ट के किसी हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है। कोर्ट ने कहा कि अगर चुनावी प्रक्रिया में कोई फैसला ठीक नहीं लगता, तो पीड़ित को इसे चुनाव बाद चुनौती देने का अधिकार है। वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 100 के तहत चुनौती दे सकता है।
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने कहा है कि एक बार चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाने के बाद अदालत उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। लेकिन याची चुनाव बाद याचिका के माध्यम से अपनी बात रख सकता है। याची ने निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को चुनौती दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं
-हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 329 (बी) चुनावी प्रक्रिया में कोर्ट के किसी हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है।
-कोर्ट ने कहा कि अगर चुनावी प्रक्रिया में कोई फैसला ठीक नहीं लगता, तो पीड़ित को इसे चुनाव बाद चुनौती देने का अधिकार है।
-अदालत ने कहा कि पीड़ित चुनाव बाद निर्वाचन अधिकारी के फैसले को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 100 के तहत चुनौती दे सकता है।
-यह फैसला जस्टिस वीके शुक्ल और जस्टिस संगीता चन्द्रा की खण्डपीठ ने सुनाया।
याचिका खारिज
-अदालत ने निर्वाचन अधिकारी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
-याची कुमार नितिन ने कैंट विधानसभा सीट से अपना नामांकन खारिज करने वाले निर्वाचन अधिकारी कानपुर नगर के आदेश को चुनौती दी थी।
-याचिका के विरोध में चुनाव आयोग के अधिवक्ता का तर्क था कि निर्वाचन अधिकारी ने अपने विवेक का प्रयोग कर कमियों के आधार पर याची का नामांकन खारिज कर दिया।
-याची यदि इस खारिज आदेश से दुखी है तो चुनाव बाद वह याचिका दायर कर उसे चुनौती दे सकता है।
-हाईकोर्ट ने निर्णय में कहा कि संविधान का अनुच्छेद 329 (बी) लोकसभा अथवा विधानसभा चुनावों में किसी भी प्रकार के प्रश्नचिन्ह पर कोर्ट को चुनाव याचिका के अलावा किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है।
-इस कारण कोर्ट इस प्रकार की याचिकाओं को नहीं सुन सकती। ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 329 (बी) की मंशा के विपरीत होगा।