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मायावती बोलीं-दलितों के दमन पर उतारू है गुजरात सरकार, कुचल रही है आत्म सम्मान का संघर्ष

मायावती ने कहा कि दलित समाज के लोग सरकारी दया और सहानुभूति के भूखे नहीं हैं। वे अपने संवैधानिक व कानूनी हक को ज़मीनी सच्चाई में बदलता हुआ देखना चाहते हैं। गुजरात के ऊना के दर्दनाक काण्ड के बाद दलित अपने आत्मसम्मान व स्वाभिमान के लिए संघर्षरत हैं। गुजरात सरकार दलितों के इस संघर्ष के दमन पर उतारू है।

zafar
Published on: 20 Oct 2016 5:49 PM IST
मायावती बोलीं-दलितों के दमन पर उतारू है गुजरात सरकार, कुचल रही है आत्म सम्मान का संघर्ष
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करते हुए गुजरात में खेती के लिए सरकारी खाली ज़मीन को लेकर आन्दोलनरत दलितों में से एक की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार दलितों के आत्मसम्मान के संघर्ष का दमन करने पर उतारू है।

दलित सम्मान की चिंता

-मायावती ने कहा कि ऊना की बर्बर घटना के बाद गुजरात के दलितों में आत्मसम्मान और स्वाभिमान की जो भावना पैदा हुई है, उसे गुजरात की भाजपा सरकार तरह तरह के हथकंडे अपनाकर कुचलना चाहती है, जिसकी बसपा कड़े शब्दों में निन्दा करती है।

-मायावती ने गुरूवार को जारी एक बयान में कहा कि दलित समाज के लोग सरकारी दया और सहानुभूति के भूखे नहीं हैं। वे लोग अपने संवैधानिक व कानूनी हक को ज़मीनी सच्चाई में बदलता हुआ देखना चाहते हैं।

-उन्होंने कहा कि इस क्रम में गुजरात के ऊना के दर्दनाक काण्ड के बाद दलित अपने आत्मसम्मान व स्वाभिमान के लिए संघर्षरत हैं, जिसके तहत ही उनकी पहली मांग सरकारी खाली पड़ी जमीन पर खेती करने का अधिकार देने की है।

दलितों की मांग

-खाली पड़ी सरकारी जमीन पर खेती करने का अधिकार देने की मांग को लेकर गुजरात के जूनागढ़ ज़िले के कलेक्ट्रेट के सामने दलित समाज के लोग कई दिन से धरने पर बैठे थे।

-उनमें से तीन ने अपनी मांग नहीं माने जाने के विरोध में कल ज़हर पीकर अपनी जान देने की कोशिश की।

-अपनी मांगों के समर्थन और सरकारी अनदेखी के विरोध में जहर पीने वालों में से एक प्रभात परमार की मौत हो गई।

दलितों को आवंटित

-मायावती ने कहा कि सरकार की खाली पड़ी बंजर जमीनों को भूमिहीनों खासकर दलित व आदिवासी समाज में बांटना गुजरात सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए।

-उन्होंने कहा कि यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व पीएम नरेन्द्र मोदी गुजरात से आते हैं और दलितों के प्रति उभरे अपने नये प्रेम को उजागर करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते।

-मायावती ने अपनी मांग के साथ कहा कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी, दोनों ही डा. भीमराव अम्बेडकर को याद करते रहते हैं।

-मायावती ने आगे कहा कि मोदी और शाह को दिखावटी और बनावटी दलित प्रेम त्यागकर भाजपा शासित राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, हरियाणा व राजस्थान में एक विशेष अभियान चलाकर दलित समाज के लोगों में खाली और बंजर पड़ी सरकारी ज़मीनों को आवंटित करने का काम शुरू करना चाहिए।

-उन्होंने कहा कि यह बसपा की मांग है, क्योंकि यूपी में अपने शासनकाल के दौरान बसपा ने ऐसा करके भी दिखाया है।

दलित समाज संघर्षरत

-मायावती ने कहा कि सर्वसमाज के करोड़ों लोगों की फौज, बेरोजगारी, महंगाई की मार झेलने को मजबूर है।

-उन्होंने कहा कि इससे पीएम नरेन्द्र मोदी के बहु प्रचरित विकास के दावों की भी पोल खुल रही है।

-मायावती ने कहा कि पिछले चार वर्षों से देश में हर दिन 550 नौंकरियां समाप्त हो रही हैं। किसान, छोटे खुदरा वेण्डर, दैनिक मजदूरों के सामने जीवन यापन का संकट है।

-भाजपा, कांग्रेस और सपा के बहुप्रचरित विकास का नारा खोखला है। मोदी सरकार पूंजीपतियों व धन्नासेठों की समर्थक है और ग़रीबों, किसानों, मज़दूरों, बेरोजगार युवकों की विरोधी है।

-बसपा प्रमुख ने कहा कि पहले से ग़रीब और ज्य्दा ग़रीब हो रहा है, तो मुट्ठी भर धन्नासेठ लोग और ज़्यादा धनवान होते चले जा रहे हैं। यह नीति देश के लिए घातक साबित हो रही है।

मायावती ने कहा कि विकास की हकीकत का सामना करने के बजाय इसका ढिंढोरा पीटते रहने से समस्या का हल नहीं होगा।

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