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गोरखपुर-बस्ती मंडल: मैदान में कूदे बागी, अपनों का खेल बिगाड़ने के लिये ठोंक रहे हैं ताल

राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को झटका देकर भाजपा का समर्थन करने वाले खड्डा के विधायक विजय दुबे खुद झटका कर अब भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं। साइकिल सवारी की उम्मीद पारिवारिक कलह में डूब जाने के बाद पडरौना से एनपी कुशवाहा अब निर्दल समर में हैं।

zafar
Published on: 7 Feb 2017 3:48 PM IST
गोरखपुर-बस्ती मंडल: मैदान में कूदे बागी, अपनों का खेल बिगाड़ने के लिये ठोंक रहे हैं ताल
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गोरखपुर: टिकट की आस में न जाने क्या क्या किया, लेकिन टिकट पर कब्जा कर लिया किसी और ने। ऐसे में, पहला नुकसान तो अपनी पार्टी का ही करना है। यह बगावत भारतीय जनता पार्टी में भी है और समाजवादी-कांग्रेस गठबंधन में भी।

गोरखपुर बस्ती मंडल में कमोबेश सभी दलों में असंतोष की आग सुलग रही है और कई बागी नेताओं ने अपने ही पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोंक कर नये समीकरण बना दिये हैं। 7 जिलों की 41 विधानसभा सीटों पर दो दर्जन से ज्यादा बागी चुनावी समर में कूद पड़े हैं।

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गोरखपुर-बस्ती मंडल: मैदान में कूदे बागी, अपनों का खेल बिगाड़ने के लिये ठोंक रहे हैं ताल

गोरखपुर

-गोरखपुर के चिल्लूपार क्षेत्र से दो बार बसपा को जीत दिला चुके राजेश त्रिपाठी ने इस बार कमल थाम लिया है।

-दूसरी तरफ, जो नीला झंडा उठा कर त्रिपाठी ने कभी कद्दावर नेता हरिशंकर तिवारी को पराजित किया था, वही झंडा अब तिवारी के बेटे विनय के हाथ में है।

-बसपा सरकार में मंत्री रहे रामभुआल निषाद का मामला तो बहुत ही दिलचस्प है। हाथी से उतर कर निषाद जी जान से कमल खिलाने में जुट गये थे।

-ऐन मौके पर कमल से झटका खाए निषाद साइकिल पर बैठ गये। लेकिन अब चिल्लूपार से वही लोग उनके मुकाबले में हैं, जिन्हें वह छोड़ कर आये हैं।

-खजनी में बसपा प्रत्याशी राजकुमार के बाहरी होने से पार्टी कार्यकर्ता नाराज हैं।

-कैंपियरगंज में सपा कांग्रेस की साझा उम्मीदवार चिता यादव के खिलाफ कांग्रेसियों में आक्रोश फूट रहा है और इससे पार्टी के बड़े नेता चिंतित हैं।

-पूर्व मंत्री पप्पू जायसवाल की पत्नी अनीता जायसवाल भाजपा से झटका खाने के बाद अब भाजपा को ही सबक सिखाने के लिये मैदान में हैं।

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संतकबीर नगर

-संतकबीर नगर की खलीलाबाद सीट पर जब भाजपा ने गंगा सिंह सैथवार को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बगावत कर दी।

-अब वह राष्ट्रीय लोकदल के हैंडपंप से विकास का पानी निकालने का वादा कर रहे हैं।

-अपना दल से तैयारी कर रहे प्रदीप गुप्ता को जब पार्टी ने टाल दिया, तो वह भाजपा-अपना दल गठबंधन का खेल बिगाड़ने के लिये निर्दलीय कूद पड़े।

-मेहदावल सीट से सपा प्रत्याशी लक्ष्मीकांत निषाद के सामने पार्टी के बागी जय राम पांडे निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं।

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गोरखपुर-बस्ती मंडल: मैदान में कूदे बागी, अपनों का खेल बिगाड़ने के लिये ठोंक रहे हैं तालमहाराज गंज

-महाराजगंज में ससुर की विरासत संभालने तैयार को सुमन ओझा की तैयारी जब पार्टी मुखिया के पारिवारिक कलह की भेंट चढ़ गई, तो पूर्व मंत्री जनार्दन ओझा की बहू पीस पार्टी और निषाद पार्टी की साझा उम्मीदवार बन कर पार्टी को चुनौती देने आ गईं।

-अब कांग्रेस के हिस्से आई पनियरा विधानसभा सीट से सुमन ओझा सपा-कांग्रेस गठबंधन के समीकरण बिगाड़ने में जुट गई हैं।

-फरेंदा में कभी जेडीयू से चुनाव लड़ चुके एडवोकेट विजय सिंह को जब भाजपा ने निराश किया, तो वह हैंडपंप लेकर भाजपा को टक्कर देने आ गए हैं।

-सिसवा में कभी बसपा और पीस पार्टी के चिह्न पर चुनाव लड़ चुके आरके मिश्रा भाजपा से निराश होकर निर्दलीय ही चुनाव समर में हैं।

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सिद्धार्थ नगर

-सिद्धार्थ नगर में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राधा रमण ने टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत करके पीस पार्टी का दामन थाम लिया है।

-इटावा में दो बार भाजपा का प्रतिनिधित्व कर चुके पार्टी के पूर्व जिला महामंत्री हरिशंकर सिंह कमल छोड़ हैंडपंप के विश्वस्त बन गए हैं।

-शोहरत गढ़ में साइकिल से उतारी गईं राज्य महिला आयोग की सदस्या जुबेदा चौधरी ने भी आधिकारिक घोषणा के विरोध में नामांकनपत्र खरीद लिया है।

-जिले में कई और असंतुष्ट निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं तो कई पार्टी को सबक सिखाने के लिये ताल ठोंक रहे हैं।

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देवरिया

-देवरिया में नीला झंडा थामे गिरजेश का टिकट कटा, तो उन्होंने निर्दलीय ही ताल ठोंक दी।

-पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद मिश्र के बेटे शाका मिश्रा और सलेमपुर से विजय लक्ष्मी गौतम कमल न मिलने से विद्रोह कर बैठे और निर्दलीय उतर पड़े।

-सलेमपुर में सपा प्रत्याशी मनबोध प्रसाद का विरोध भी लगातार बढ़ता जा रहा है।

-पूरे जिले में बागियों का प्रचार ज्यादा मुखर है, कहीं प्रत्याशी के रूप में, तो कहीं पर्दे के पीछे से।

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गोरखपुर-बस्ती मंडल: मैदान में कूदे बागी, अपनों का खेल बिगाड़ने के लिये ठोंक रहे हैं ताल

कुशीनगर

-कुशीनगर में तमकुहीराज सीट पर कमल खिलाने वाले नंदकिशोर मिश्र इस बार निर्दलीय ही ताल ठोंक कर भाजपा के लिए मुसीबत बन गये हैं।

-छात्र नेता रहे श्रीकांत मिश्र भी भाजपा से नाउम्मीद होने के बाद निर्दलीय मैदान में हैं।

-पूर्व विधायक पीके राय ने इस बार सपा से टिकट न मिलने पर निषाद पार्टी का दामन थाम लिया है।

-राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को झटका देकर भाजपा का समर्थन करने वाले खड्डा के विधायक विजय दुबे खुद झटका कर अब भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं।

-साइकिल की सवारी की उम्मीद कर रहे पडरौना से एनपी कुशवाहा की इच्छा भी पारिवारिक कलह की भेंट चढ़ गई। अब वह निर्दल समर में हैं।

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बस्ती

-बस्ती में भाजपा उम्मीदवारों को धरना, प्रदर्शन और पुतला दहन के रूप में अपनों के ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

-हर्रैया से भाजपा के बागी चंद्रमणि पांडे राष्ट्रीय लोक दल से ताल ठोंक रहे हैं।

-कांग्रेस ने 5 सीटों में रुधौली और सदर की 2 सीटें मांगी थीं। लेकिन सपा ने सदर के साथ कप्तानगंज सीट दी।

-सदर सीट पर दो दिन बाद ही पिता-पुत्र विवाद में अखिलेश यादव ने युवा कार्यकर्ता महेंद्र नाथ यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

-कांग्रेसियों के दवाब में पार्टी ने एतराज जताया तो सपा ने प्रत्याशी बदलने से इनकार करते हुए रूधौली सीट कांग्रेस को दे दी।

-लेकिन इन सीटों पर कहीं सपा कार्यकर्ता नाराज हैं, तो कहीं कांग्रेसी।

-यानी, गोरखपुर, संतकबीर नगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, देवरिया, कुशीनगर और बस्ती में सभी पार्टियों के बागी ताल ठोंक रहे हैं।

-कुछ जगहों पर बागियों के पास अच्छा समर्थन भी है। ये बागी जीतें, न जीतें, लेकिन अधिकारिक उम्मीदवारों का खेल तो बिगाड़ेंगे ही।



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