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मुलायम के हाथ से कमान फिसलते ही सपा आ गई गर्त में: चुनाव में अब तक का सबसे खराब दौर

यूपी में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी की हालत सबसे खराब हुई है। अब तक के चुनावी इतिहास में सपा को ये हाल कभी नहीं देखना पडा था । उसवक्त भी नहीं जब यूपी में बीजेपी राम लहर पर सवार थी। समाजवादी पार्टी का गठन 4 अक्तूबर 1992 को हुआ था उससे पहले जनतादल की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथ थी।

sujeetkumar
Published on: 11 March 2017 2:13 PM IST
मुलायम के हाथ से कमान फिसलते ही सपा आ गई गर्त में: चुनाव में अब तक का सबसे खराब दौर
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लखनउ: यूपी में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी की हालत सबसे खराब हुई है। अब तक के चुनावी इतिहास में सपा को ये हाल कभी नहीं देखना पडा था । उसवक्त भी नहीं जब यूपी में बीजेपी राम लहर पर सवार थी। समाजवादी पार्टी का गठन 4 अक्तूबर 1992 को हुआ था उससे पहले जनतादल की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथ थी। सपा के गठन के बाद विधानसभा के चुनाव 1993 में हुए थे । जबकि 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था।

लोगों को लगा था कि बाजी बीजेपी के हाथ रहेगी लेकिन राजनीति के चतुर खिलाड़ी मुलायम ने दलितों पर खास पैठ रखने वाले कांशीराम से हाथ मिलाया और गठबंधन कर सरकार बनाई । हालांकि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन सपा ने 109 सीट जीत सभी को चौंका दिया था। विवादित ढांचा गिरने के बाद मुसलमान कांग्रेस से नाराज हो गए थे। मुलायम सिंह ने जिसतरह परिंदा भी पर नहीं मार सकता का नारा दिया था उसे उन्होंने मुसलमानों का विश्वास जीत लिया था। तब से आज तक मुसलमान उनके साथ ही रहे और सपा को एकमुश्त वोट दिया।

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मुलायम इस तालमेल और गठजोड के सख्त खिलाफ थे

विधानसभा के 1996 में भी बीजेपी सबसे बडी पार्टी थी लेकिन समाजवादी पार्टी ने 110 सीट जीत ली थी।

विधानसभा के 2007 के चुनाव में सरकार बसपा की बनी और सपा को 97 सीटें आई। सपा ने 2012 के चुनाव में सपा ने 224 सीट जीत सरकार बना ली लेकिन सीएम अखिलेश यादव ने पिडछा मुस्लिम और कांग्रेस के मत प्रतिशत को जोड 300 से ज्यादा सीट जीतने का दावा किया । हालांकि मुलायम इस तालमेल और गठजोड के सख्त खिलाफ थे । उनका मानना था कि सपा ने कांग्रेस के वोट बैंक को ही विवादित ढांचा गिरने के बाद अपने पक्ष में किया था । ऐसे में ये तालमेल सपा को नुकसान पहुंचा सकता था और यही हुआ भी।

सपा की हार में पारिवारिक कलह का भी बड़ा हाथ रहा

सपा की हार में पारिवारिक कलह का भी बडा हाथ रहा। पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता जिसतरह मुलायम को अलग थलग किया गया ,उससे आहत थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि किसके पक्ष में रहें। सीएम अखिलेश या सपा को अपने पसीने से सींचने वाले मुलायम के साथ। हालांकि सपा के नेता भी कांग्रेस के साथ को पसंद नहीं कर रहे थे। मुलायम के करीबी और सरकार में मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि यदि सपा अकेले चुनाव लडती तो सरकार बना सकती थी लेकिन जनता को कांग्रेस का साथ नहीं आया ।

-चुनाव परिणाम के बाद शिवपाल यादव ने भी कहा कि समाजवाद नहीं सीएम का घमंड हारा है ।

-समाजवाद तो कभी हार ही नहीं सकता।

-विधानसभा के आ रहे परिणाम सपा को सिर्फ 60 सीटों पर सिमटता दिखा रहे हैं ।

-ये चुनाव में सपा का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।

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