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यूपी विधानसभा चुनावः सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का आदेश, कहा- नामांकन वापस लें रामगोपाल रावत
जैदपुर विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक राम गोपाल रावत ने 30 जनवरी को अपना नामांकन पत्र बतौर सपा प्रत्याशी के रूप में दाखिल किया था।
बाराबंकीः जैदपुर विधानसभा सीट इस समय गठबंधन पार्टियों की नाक का सवाल बन गई है। गठबंधन की शर्तों के मुताबिक यह सीट कांग्रेस के खाते में है। लेकिन यहां से वर्तमान विधायक ने पार्टी सिम्बल से अपना नामांकन दाखिल कर गठबंधन की परेशानी बढ़ा दी है। हालांकि आज सपा मुख्यालय से आया राष्ट्रीय अध्यक्ष का आदेश सपा प्रत्याशी को पैर वापस खींचने को मजबूर कर दिया है। लेकिन सपा प्रत्याशी जिस प्रकार से क्षेत्र में दौड़ लगा रहे हैं। उससे उनके नाम वापसी की सम्भावना कम ही दिखाई दे रही है।
हम बात कर रहे हैं बाराबंकी की अचानक से चर्चा में आई जैदपुर विधानसभा सीट की। यहां से वर्तमान विधायक राम गोपाल रावत ने 30 जनवरी को अपना नामांकन पत्र बतौर सपा प्रत्याशी के रूप में दाखिल किया था। हालांकि उनके नामांकन स्थल पहुंचने से पहले ही राजधानी से फोन द्वारा उन्हें सूचित कर दिया गया था कि वह अपना नामांकन दाखिल न करें। वहीं नामांकन करने गए राम गोपाल को जैसे ही यह सूचना मिली वैसे ही उनके पसीने छूटने लगे।
फोन कॉल को नजरअंदाज कर किया नामांकन दाखिल
कड़कड़ाती ठण्ड में पसीने से लथपथ राम गोपाल रावत ने फोन कॉल के आदेशों को दरकिनार करते हुए अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। अगले दिन गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद पी. एल.पुनिया ने अपने बेटे तनुज पुनिया का भी नामांकन करवा दिया। तनुज पुनिया के नामांकन को नज़रंदाज़ करते हुए राम गोपाल रावत पूरे जीजान से अपने क्षेत्र में जुट गए और राष्ट्रीय अध्यक्ष का आदेश बताते हुए कहने लगे कि सीएम अखिलेश ने उन्हें चुनाव लड़ने और जीत कर आने का आशीर्वाद दे दिया है।
सपा मुख्यालय से आया लेटर
शुक्रवार (3 फरवरी) को सपा मुख्यालय से आए एक लेटर ने राम गोपाल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सपा जिलाध्यक्ष बाराबंकी के नाम संबोधित लेटर में साफ़ -साफ़ कहा गया है कि वह राम गोपाल रावत का नामांकन वापस करवा कर कांग्रेस के लिए मार्ग प्रसस्त करें।
बाराबंकी सपा जिलाध्यक्ष ने क्या कहा?
बाराबंकी के सपा जिलाध्यक्ष डॉक्टर कुलदीप सिंह से जब लेटर के बारे में पूछा गया तो पहले वह कैमरे के सामने बोलने से बचते रहे। लेकिन बहुत कुरेदे जाने के बाद उन्होंने लेटर आने की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि राम गोपाल रावत को लेटर के बारे में अवगत करा दिया गया है। उनसे नाम वापस लेने का आग्रह किया गया है। यह पूछे जाने पर कि अगर राम गोपाल रावत अपना नाम वापस नहीं लेते है तो क्या करेंगे। इस पर जिलाध्यक्ष ने कहा कि तब वह राष्ट्रीय अध्यक्ष को परिस्थितियों के बारे में अवगत कराएंगे।
आगे क्या होता है यह तो भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है। लेकिन यह सवाल जरूर खड़ा होता है कि अगर यह सीट गठबंधन के खाते में चली गई थी तो राम गोपाल रावत को सिबंल के साथ नामांकन सपा ने क्यों कराया। कहीं यह पत्राचार किसी नाटक का हिस्सा तो नहीं है।