×

प्रतापगढ़: पिछली बार सपा का रहा था वर्चस्व, इस बार होगी कांटे की लड़ाई

कुंडा के विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया और विश्वनाथगंज विधायक राजाराम पांडे को सरकार में मंत्री बनाया गया। बाद में राजाराम पांडे को मंत्री पद से हटाया गया और फिर राजा भैया को भी मंत्री पद से हटना पड़ा। राजा भैया की मंत्रिमंडल में वापसी हुई।

zafar
Published on: 29 Jan 2017 8:58 AM GMT
प्रतापगढ़: पिछली बार सपा का रहा था वर्चस्व, इस बार होगी कांटे की लड़ाई
X

प्रतापगढ़: पिछले विधानसभा चुनाव से पहले 2011 में हुए परिसीमन के बाद प्रतापगढ़ में विधानसभा क्षेत्रों का नक्शा बदल गया। करीब 32 लाख जनसंख्या वाले इस जिले में 21 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। पिछले चुनाव पर नजर डालें, तो यहां समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी रहा था। अब यहां 23फरवरी को होने वाले मतदान के लिये एक बार फिर संघर्ष शुरू हो चुका है।

सपा का पलड़ा भारी

-यहां 7 सीटें हैं। रामपुर खास, बाबागंज, कुंडा, विश्वनाथ गंज, प्रतापगढ़, पट्टी और रानी गंज।

-पिछले चुनाव में रामपुर खास से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नेता प्रमोद तिवारी ने सीट बरकरार रखी थी।

-बाबागंज सुरक्षित सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विनोद कुमार निर्वाचित हुए थे।

-कुंडा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया चुने गये थे।

-विश्वनाथगंज से सपा के राजा राम निर्वाचित घोषित हुए थे।

-प्रतापगढ़ से नागेंद्र सिंह भी सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे।

-पट्टी से भी सपा के उम्मीदवार राम सिंह निर्वाचित घोषित हुए थे।

-रानीगंज सीट पर भी सपा ने शिवाकांत ओझा के रूप में जीत दर्ज की थी।

अहम हैं सीटें

-हालांकि, यहां के दो विधाय़कों को मंत्रिमंडल में जगह मिली, लेकिन वह स्थायी नहीं रह सकी।

-कुंडा के विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया और विश्वनाथगंज विधायक राजाराम पांडे को सरकार में मंत्री बनाया गया।

-बाद में राजाराम पांडे को मंत्री पद से हटाया गया और फिर राजा भैया को भी मंत्री पद से हटना पड़ा।

-राजा भैया की मंत्रिमंडल में वापसी हुई, हालांकि उन्हें पुराना विभाग न मिलना चर्चा में रहा।

-2014 में दो विधानसभाओं के उपचुनाव हुए। विश्वनाथगंज से आरके वर्मा जीते, तो प्रमोद तिवारी की पुत्री आराधना मिश्रा रामपुर-संग्रामगढ़ से विधानसभा पहुंचीं।

-2012 और 2014 के बाद काफी कुछ बदल चुका है। खास कर लोकसभा चुनाव के नतीजे अलग रहे।

-इसलिये इस बार संघर्ष कांटे का होगा, और उम्मीदवार इसकी तैयारियों में जुट गये हैं।

-यहां 30 जनवरी से नामांकन होगा, नाम वापसी के बाद ही परिदृश्य साफ हो सकेगा।

zafar

zafar

Next Story