बरेली: यूपी विधानसभा 2017 चुनाव के दूसरे चरण में हो रही वोटिंग में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी रामपुर में पोलिंग बूथ संख्या 303 में वोट डाला, तो वहीं उनके नाना जुर्रियत हुसैन काजमी भी वोट डालने के लिए पहुंचे। बता दें कि जुर्रियत हुसैन काजमी 115 साल के पूरे हो चुके हैं। चलने फिरने में वह सक्षम नहीं हैं, जिसकी वजह से लोग उन्हें गोद उठाकर वोट डलवाने के लिए ले गए। उनके बेटे ने बताया कि उनके पिता जुर्रियत हुसैन वोट डालने के लिए काफी उत्साहित थे। रात 3 बजे ही उठ गए थे। बाद में उन्हें टाइम बताकर फिर सुलाया गया।
यह बोले मुख्तार अब्बास नकवी
सपा-कांग्रेस का अलायंस करप्शन और लूट का अलायंस: वोट डालने के लिए पहुंचे मुख्तार अब्बास ने सपा-कांग्रेस के गठबंधन को लेकर कहा कि लोग यूपी में फैले क्राइम, अत्याचार के खिलाफ वोटिंग कर रहे हैं। BJP भारी मतों से जीतेगी। सपा-कांग्रेस गठबंधन करप्शन और लूट का गठबंधन है। यह ऐसे हंसों का जोड़ा है, जो चुनाव के बाद अलग हो जाएगा। जिसके बाद सब यही कहेंगे कि ‘जुलम भयो रमा, गजब भयो रे।
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जुर्रियत हुसैन की तरह ही कई जगहों पर उम्रदराज लोग भी वोट डालने के लिए पहुंच रहे हैं। बिजनौर के नहटौर में 106 साल की बुज़ुर्ग महिला ने भी वोट डालने पहुंची।
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70 साल की मोबिना बेगम भी वोट डालने पहुंची।
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आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहना था मुख्तार अब्बास नकवी के नाना जुर्रियत हुसैन काजमी का
जुर्रियत हुसैन को अपने कार्यकाल में कई डकैतों को पकड़ने का श्रेय मिल चुका है। सात बार राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके जुर्रियत हुसैन आज के नेताओं और राजनीति से खफा हैं। वह अपनी नौकरी के दौरान का एक किस्सा याद करते हुए बताते हैं कि एक बार वह एक डकैत को पकड़कर कोर्ट में पेश करने ले जा रहे थे, डकैत की बहन की शादी अगले ही दिन थी। डकैत ने बहन की शादी की दुहाई दी और शादी के बाद खुद समर्पण करने का वादा किया। पहले तो उन्होंने यकीन नहीं किया। पर बाद में उसे छोड़ दिया। अगले दिन वह आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि शादी कराने के बाद डकैत ने खुद आकर गिरफ्तारी दी थी।
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वह कहते हैं कि डकैत की ईमानदारी देखकर काफी खुश हुए। तब डकैतों पर भी भरोसा किया जा सकता था। मगर आज के नेताओं पर भरोसा करना सबसे बड़ी बेईमानी है, ये कहते कुछ हैं और करते कुछ और ही हैं।
जुर्रियत हुसैन का कहना है कि आज महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी काफी बढ़ गई है, तब दस रुपए वेतन में आधे से ज्यादा बचा लेते थे। आज महंगाई कमर तोड़ रही है, वेतन पाने वाले भी नहीं सुखी हैं और जो बेरोजगार हैं, उनका दर्द तो पूछिए ही मत।
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120 से भी ज्यादा लोग हैं कुनबे में: केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नाना सैय्यद जुर्रियत हुसैन काजमी के परिवार में आठ बेटे और दो बेटियां हैं। एक बेटी तहजीब फातिमा जो कि मुख्तार अब्बास की मां थी, अब उनका इंतकाल हो चुका है।
रोजाना आठ किलोमीटर टहलते हैं: मुख्तार अब्बास नकवी के नाना के बारे में ख़ास बात तो यह है कि जिंदगी के 115 बसंत देख लेने के बाद भी वे बिना चश्मे के अखबार पढ़ लेते हैं। रोजाना करीब आठ किलोमीटर टहलना उनकी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है।
सैय्यद जुर्रियत हुसैन काजमी कभी 17 गांवों के जमींदार थे, पर अफसरशाही में लड़कर एक इंच जमीन भी नहीं पा सके।
सैय्यद जुर्रियत हुसैन काजमी का जन्म मुरादाबाद के कुंदरकी के जमींदार घराने में 1905 में हुआ था।
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