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UP: ग्रामीणों ने मतदान का किया बहिष्कार, कहा- बिजली नहीं तो वोट नहीं

इस गांव की हकीकत यह है कि सैकड़ो पीढ़ियो से लोग इस गांव में रह रहे है, लेकिन उनके गांव और घरो में एक भी बिजली का बल्ब नहीं जला है।

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Published on: 22 Jan 2017 11:28 AM IST
UP: ग्रामीणों ने मतदान का किया बहिष्कार, कहा- बिजली नहीं तो वोट नहीं
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UP: ग्रामीणों ने मतदान का किया बहिष्कार, कहा- बिजली नहीं तो वोट नहीं

कानपुरः बिजली नहीं तो वोट नहीं यह बैनर लगाकर ग्रामीणों ने सभी प्रत्याशियों को चेतावनी दी है। सौ प्रतिशत यादव आबादी वाले इस गांव की सुध अखिलेश यादव की सरकार ने भी नहीं ली जबकी इस विधानसभा का विधायक भी समाजवादी पार्टी से है। यूपी के इस गांव में आजतक बिजली नहीं पहुंच पाई है। वर्तमान अखिलेश सरकार लैपटॉप और स्मार्ट फोन देकर गांवो को हाईटेक करने की बात करते है। जबकि इस गांव की हकीकत यह है कि सैकड़ो पीढ़ियो से लोग इस गांव में रह रहे है, लेकिन उनके घरो में बिजली का बल्ब नहीं जला है। इससे नाराज ग्रामीणों ने वोट का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि किसी भी पार्टी को वोट नहीं देगे चाहे वह सपा हो या बसपा। बता दें कि कानपुर में तीसरे चरण में 19 फरवरी को मतदान होने हैं।

भीतरगांव ब्लाक स्थित मिर्जापुर गांव बिठूर विधानसभा क्षेत्र में आता है, जिसकी आबादी लगभग 22 है। जिसमें लगभग 2 हजार वोटर है। यह गांव पूरी तरह से यादव बाहुल गांव है, लेकिन इस गांव का दुर्भाग्य यह है कि यहां कभी बिजली का बल्ब नहीं जला, बिजली के खम्भे नहीं लगे। जबकि इसके आसपास के गांव साढ़, भीतरगांव, बिराहर, कुढनी, तिवारीपुर समेत दर्जनों गांवो में बिजली है। लेकिन यह गांव हमेशा से उपेक्षा का शिकार रहा है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह भी मानी जाती है कि इस गांव की सौ प्रतिशत यादव आबादी का होना है।

आगे की स्लाइड में देखें क्या कहते हैं ग्रामीण?

विजय सिंह यादव के मुताबिक हमारे कई पूर्वज इसी आस में रह कर इस दुनिया से चले गए कि आज नहीं तो कल बिजली गांव में आ जाएगी। अब हमारी पीढ़ी चल रही और हम भी इसी आस में है कि शायद हमारे जिन्दा रहते हमारे गांव में बिजली आ जाए। हमारे पूर्वजो और हमने अंधेरे में जिन्दगी बिता ली। लेकिन अपने बच्चो को हम अंधेरे में जिन्दगी नहीं बिताने देगे। हम सभी गांव वासियों ने मिलकर यह फैसला किया है कि हम विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। जो भी प्रत्याशी यहां आएंगे उसे गांव के अन्दर नहीं घुसने दिया जाएगा। चाहे वह किसी भी पार्टी का हो।

गलत प्रत्याशी का किया हमने चयन- ग्रामीण

बलबीर सिंह यादव ने बताया कि 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनीं थी। तो हम सभी में एक उम्मीद की एक किरण जगी थी कि शायद अखिलेश यादव हमारे गांव का अंधियारा दूर करेगे। हमारे गांव में भी रौशनी होगी हम भी भी रौशनी में बच्चो के साथ मिलकर त्यौहार मनाएंगे। बिठूर विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक मुनीन्द्र शुक्ला हमारे गांव की बिजली की समस्या से मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे। उन्होंने बताया कि हमने गलत प्रत्यशी का चयन किया जो साल 2012 में वोट मांगने आया था इसके बाद से गांव नहीं आया।

यादव होने की मिल रही सजा- मनोज ग्रामीण

मनोज यादव के मुताबिक हमारे यहां बिजली नहीं आने की सबसे बड़ी वजह है इस गांव का सौ प्रतिशत यादव बाहुल होना। हमारा गांव अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। अकबरपुर लोकसभा में बीएसपी, कांग्रेस और बीजेपी का कब्ज़ा रहा है। इन पार्टियों के सांसदो का कहना था कि तुम समाजवादी पार्टी के वोटर हो तुम्हें बिजली की क्या जरूरत है। तुम्हारा गांव तो हमें वोट देता नहीं है। उन्होंने ने बताया कि गांव की बिजली सम्बन्धी समस्या को लेकर वर्तमान बीजेपी सांसद देवेन्द्र सिंह भोले के पास कई बार लिखित प्रार्थना पत्र दे चुके है लेकिन आज तक हमारी सुनवाई नहीं हुई। वही इस सम्बन्ध में अपने बिठुर विधानसभा से सपा के विधयक मुनीन्द्र शुक्ला को भी प्रार्थना पत्र दिया लेकिन वह हमारी फरियाद सुनते ही नहीं है।

क्या कहते हैं ग्राम प्रधान राजकारण?

हमारे गांव के पास दो पावर हॉउस है। जिनसे आसपास के गांवो को बिजली सप्लाई की जाती है, लेकिन हमारे गांव में बिजली तो दूर कोई खभे लगवाने की भी बात नहीं करता है। गांव के बच्चे परीक्षाओं के समय अंधेरे में पढने के लिए मजबूर है। हमारा तो जीवन कट गया लेकिन हमारे बच्चो का भविष्य नहीं बर्बाद हो इसलिए हमने अपने विरोध का यह तरीका निकला है कि हम वोटिंग का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने ने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री डिजिटल इण्डिया की बात करते है। अभी तक गांवो को बिजली तो दे नहीं सके तो इण्डिया डिजिटल कैसे होगा? मुख्यमंत्री के लैपटॉप चार्ज नहीं होते है वह वैसे ही डिब्बो में पैक रखे हैं।



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