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क्या उत्तर प्रदेश में बनने से पहले ही महागठबंधन को लगेगा पलीता?
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को रोकने के लिए बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनने के पहले ही पलीता लगता दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस ने सपा को चौंकाया
बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, नीतीश कुमार के जनता दल यू, लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस को लेकर महागठबंधन की बात चल रही है। लेकिन गठबंधन में सीटों के तालमेल के बीच कांग्रेस के 125 सीट मांगने ने सपा को चौंका दिया है।
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अमर सिंह ने पीके को मुलायम से मिलाया
सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस के यूपी में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने महागठबंधन पर बात की। इसी बातचीत में प्रशांत किशोर ने सपा अध्यक्ष से 125 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात की। जाहिर है, इस संख्या ने सपा अध्यक्ष को चौंकाया होगा। सपा अध्यक्ष और प्रशांत किशोर की बातचीत सपा के महासचिव अमर सिंह ने कराई। दरअसल, कार्यकर्ता विहीन हो गई कांग्रेस इससे ज्यादा सीटों पर लड़ने की कूबत भी नहीं रखती।
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सपा की हैं 227 सीटें
इसके अलावा अजित सिंह का रालोद भी है। जिसका पश्चिमी यूपी के जाट बेल्ट में खासा प्रभाव माना जाता है।इसके अलावा पूर्वी यूपी के कुछ हिस्सों में भी उसका प्रभाव है। नीतीश कुमार का प्रभाव बिहार से सटे यूपी के कुछ जिलों जैसे- वाराणसी, चंदौली, कुशीनगर और देवरिया जिलों में है। हालांकि दोनों दलों ने अभी सीटों की मांग नहीं की है। जाहिर है ये दोनों पार्टिंया भी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लडना चाहेंगी। सपा यूपी में सत्ता में है। उसकी अभी 227 सीटे हैं। जाहिर है सपा कम से कम इतनी सीटों पर चुनाव तो लडेगी ही।
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रालोद-जेडीयू में हुआ गठबंधन
सीटों की मांग ही महागठबंधन का रास्ता रोक सकती है। हालांकि रालोद, जनता दल यू और राजद में गठबंधन हो चुका है। अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी सीएम चेहरा घोषित हो चुके हैं।
नीतीश स्थापना दिवस से रहेंगे नदारद
सपा का स्थापना दिवस 5 नवंबर को है। इसमें कौन-कौन शामिल होगा, ये देखने की बात होगी। अलग-अलग दलों के नेताओं के शामिल होने से ही महागठबंधन का भविष्य तय होगा। मिली जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार सपा के स्वर्ण जयंती के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे ।