×

बहुत खासियतें समेटे है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, यहां प्वाइंट्स में समझिए

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी आज अपना शताब्दी समारोह मना रहा है. ये यूनिवर्सिटी अपने आप में अनोखी है. इसके कैंपस की लाइफ स्टाइल, यहाँ की पढ़ाई, बोलचाल, विचारधारा सबका अलग ही अंदाज रहा है.

Newstrack
Published on: 22 Dec 2020 9:11 AM IST
बहुत खासियतें समेटे है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, यहां प्वाइंट्स में समझिए
X
बहुत खासियतें समेटे है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, यहां प्वाइंट्स में समझिए

लखनऊ: अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी आज अपना शताब्दी समारोह मना रहा है. ये यूनिवर्सिटी अपने आप में अनोखी है. इसके कैंपस की लाइफ स्टाइल, यहाँ की पढ़ाई, बोलचाल, विचारधारा सबका अलग ही अंदाज रहा है.

इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी. सर सैयद अहमद खान ने उस समय आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया था. वो इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से बहुत प्रभावित थे और भारत में भी ऐसा ही कुछ चाहते थे. उनका मानना था कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपनी परम्पराएँ सहेजते हुए आधुनिक शिक्षा भी अवश्य प्राप्त करनी चाहिए.

इसी सोच के साथ उन्होंने 1875 में एक स्कूल शुरू किया जो बाद में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज और अंततः 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। 1929 में राजा महेंद्र प्रताप ने 3.04 एकड़ जमीन इस विश्वविद्यालय को दे दी थी. हैदराबाद के सातवें निज़ाम- मीर उस्मान अली खान ने वर्ष 1951 में इस विश्‍वविद्यालय को 5 लाख रु का दान दिया था। एएमयू से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स भी हिंदू थे, जिनका नाम इश्वरी प्रसाद था. आज इस यूनिवर्सिटी का परिसर 467 हेक्टेयर में फैला हुआ है.

ख़ास बातें

- ये कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। एएमयू पहले कलकत्ता यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध था और 1885 में ये इलाहबाद यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध हो गया. आज इस विश्वविद्यालय में 250 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं।

- अलीगढ़ दिल्ली के दक्षिण पूर्वी में 130 किमी दूरी पर दिल्ली-कोलकाता रेलवे और ग्रांड ट्रंक रूट की स्थित है. ये वही जीटी रोड है जिसे शेर शाह सूरी ने बनाया था.

- एएमयू संभवतः इकलौता विश्विद्यालय है जहाँ एक बेहतरीन ‘राइडिंग क्लब’ यानी घुड़सवारी का क्लब है. इस क्लब की स्थापना 1889 में हुई थी और इसे भारत का सबसे पुराना सिविलियन राइडिंग क्लब माना जाता है.

- एएमयू के 13 संकायों को नैक की ‘ए’ ग्रेडिंग मिली हुई है. इस यूनिवर्सिटी में 13 संकाय, 7 सम्बद्ध कालेज, 15 केंद्र, 3 संस्थान, 10 स्कूल और 1 इंटरनेश्नल स्टडी सेंटर है.

ये भी पढ़ें: गौरवशाली इतिहास और विवाद का AMU, जानिए इसके बारे में…

- एएमयू की पृष्ठभूमि में कई पिक्चरें भी बनीं हैं - मेरे महबूब (1963), और नई उमर की नई फसल (1966) सबसे चर्चित रहीं हैं.

- एएमयू की संस्कृति में रैगिंग कभी नहीं रही. यहाँ नए छात्रों का सिर्फ इंट्रोडक्शन होता था जिसमें चुटकुले सुनाना, गाना गाना, शेर शायरी होर्ती थीं.

AMU

छात्रों का अलग अंदाज़

- यहाँ के छात्रों की ख़ास पहचान होती थी - मोबाइल फोन में एएमयू तराना की रिंगटोन, बढ़िया उर्दू बोलना, हमेशा अच्छे ड्रेसअप रहना, सबको शालीनता से अभिवदान करना, और अनजान लोगों को ‘पार्टनर’ कह कर संबोधित करना.

- यहाँ ड्रेस कोड भी बहुत उम्दा है. पूरी बांह की शर्ट, पैंट और जूते. अगर कुरता पैजामा पहना है तो शेरवानी जरूरी है. ये हॉस्टल में रहने वालों के लिए तो कम्पलसरी था. ये रूल डाइनिंग हाल और एंटरटेनमेंट रूम में भी लागू रहता था. सभी महत्वपूर्ण अवसरों पर कली शेरवानी, कुर्ता पैजामा पहनना अनिवार्य है.

ये भी पढ़ें: AMU के शताब्दी समारोह को संबोधित करेंगे PM मोदी, 55 साल बाद होगा ऐसा

- यहाँ डाइनिंग हॉल में लंच और डिनर के बाद चाय जरूर पी जाती है. ये एक परम्परा है. एएमयू का चाय कल्चर भी एक अनोखा है. हर इवेंट के बाद चाय जरूर साथ बैठ कर पी जाती है.

- एएमयू का केनेडी हाल बहुत मायने रखता है यहाँ परफॉर्म करना छात्रों के लिए एक उपलब्धि माना जाता है. सभी महत्वपूर्ण इवेंट इसी हाल में होते हैं.

लाखों दुर्लभ किताबों वाली लाइब्रेरी

- एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी दुनिया भर में मशहूर है. इसकी स्थापना 1877 में हुई थी और यहाँ 13.50 लाख किताबों के साथ तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं. यहाँ रखी ‘इंडेक्स इस्लामिक्स’ की कीमत 12 लाख रुपये है। इसके अलावा अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता, 400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि, तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र, 1400 साल पुरानी कुरान, मुगल शासकों के कुरान लिखे विशेष कुर्ते (रक्षा कवच), सर सैयद की पुस्तकें व पांडुलिपियां, जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश की अद्भुत पेंटिग मौजूद हैं.

- एएमयू के ‘मूसा डाकरी म्यूजियम’ में अनेक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण वस्तुएँ जिनमें सर सैयद अहमद का 27 देव प्रतिमाओं का भी कलेक्शन है. म्यूजियम में महावीर जैन का स्तूप और स्तूप के चारों ओर की आदिनाथ की 23 प्रतिमाएं, सुनहरे पत्थर से बने पिलर में कंकरीट की सात देव प्रतिमायें, एटा व फतेहपुर सीकरी से खोजे गए बर्तन, पत्थर व लोहे के हथियार, महाभारत काल की भी कई चीजें और डायनासोर के अवशेष शामिल हैं.

विश्वविद्यालय में शिक्षा पाए गणमान्य लोग

डॉ. जाकिर हुसैन, खान अब्दुल गफ्फार खान, प्रो. राजा राव, प्रो. एआर किदवई, नसीरुद्दीन शाह, प्रो. इरफान हबीब, कुर्रातुल एन हैदर, जावेद अख्तर, अली सरदार जाफरी, प्रो. शहरयार, जस्टिस एस. सगीर अहमद, लियाकत अली खान (पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री), पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, ध्यानचंद, क्रिकेटर मुश्ताक अली, लाला अमरनाथ, इतिहासकार ईश्वरी प्रसाद, कैफी आजमी, राही मासूम रजा, फिल्मकार के आसिफ आदि शामिल हैं.

नीलमणि लाल

Newstrack

Newstrack

Next Story