×

गोरखपुर: राज्यपाल की माफी के बाद रिहा हुए 107 साल के बुजुर्ग कैदी चौथी यादव

लगभग तीन दशक पहले उरूवा थानाक्षेत्र में हुए हत्या के मामले में मंडलीय कारागार गोरखपुर में उम्र कैद की सजा काट रहे 107 साल के कैदी चौथी यादव गुरुवार (13 अप्रैल) को रिहा हो गए।

tiwarishalini
Published on: 13 April 2017 6:53 PM IST
गोरखपुर: राज्यपाल की माफी के बाद रिहा हुए 107 साल के बुजुर्ग कैदी चौथी यादव
X
गोरखपुर: राज्यपाल की माफी के बाद रिहा हुए देश के सबसे बुजुर्ग कैदी, 107 साल है उम्र

गोरखपुर: लगभग तीन दशक पहले उरूवा थानाक्षेत्र में हुए हत्या के मामले में मंडलीय कारागार गोरखपुर में उम्र कैद की सजा काट रहे 107 साल के कैदी चौथी यादव गुरुवार (13 अप्रैल) को रिहा हो गए। चौथी यादव की रिहाई के लिए परिजन और उनकी वृद्ध और अंधी पत्नी ने लगातार दो सालों तक राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कारागार मंत्री से मानवीय आधार पर रिहाई की फ़रियाद लगाई।

बता दें, कि साल 1979 में (पहले खजनी थाना) अब उरूआ थाना क्षेत्र के बगल में पचहुआ गांव में नाली के विवाद में हुई मारपीट में स्थानीय निवासी श्याम नारायण तिवारी की हत्या के केस में सजा काट रहे बेलीपार थानाक्षेत्र के मलांव गांव निवासी चौथी यादव को कुछ साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला कारागार से 20 साल सजा काट लेने के बाद रिहाई मिल गई थी। रिहाई मिल जाने पर श्यामनारायण तिवारी के बेटे ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट में दखल देकर चौथी यादव को फिर से सलाखों के पीछे भिजवा दिया।

चौथी यादव की रिहाई के लिए बरसों तक प्रयासरत रहे और अब सफलता मिलने से खुश उनके भतीजे और पूर्व राष्ट्रीय धावक (अखिल भारतीय विश्वविद्यालय धावक प्रतियोगिता 1500 और 800 मीटर) गौतम कुमार यादव ने बताया कि दरअसल उनके चाचा उक्त घटना में शामिल ही नहीं थे। वह तो रिश्तेदारी में औपचारिकता निभाने गए थे कि पीड़ित पक्ष ने रंजिशन उनका नाम भी मुकदमे में लिखवा दिया था। उन्होंने कहा कि ताऊ जी (पिता के बड़े भाई) दोबारा जब जेल भेजे गए तो उनकी उम्र लगभग 90 साल से ज्यादा थी। अब जबकि पिछले 11 जनवरी 2016 को जब उनकी तबियत खराब हुई और इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया था, तब से ही उनकी रिहाई के लिए राज्य और केंद्र के सभी मंत्रियों के यहां माफीनामा मंजूरी करवाने के लिए दौड़ लगाता रहा।

आखिर में उनकी स्थिति देखते हुए लगभग एक साल पहले सपा सरकार में कारागार मंत्री रहे रामू सिंह आहलुवालिया ने उनको वाराणसी से गोरखपुर जेल स्थानांतरित करने के आदेश दिए। तब से वह गोरखपुर मंडलीय कारागार में ही निरुद्ध थे। लेकिन उनकी रिहाई के लिए बराबर पत्र व्यवहार और व्यक्तिगत अधिकारियों, नेताओं के यहां चक्कर लगाता रहा।

इस दौरान लगभग 40 से 50 बार उन्होंने माफीनामा पत्र सम्बंधित अधिकारियों और मंत्रियों के यहां दिए। अंत में गत 12 मार्च को राज्यपाल राम नाईक ने उनकी उम्र देखते हुए उनके माफीनामा पर हस्ताक्षर कर रिहाई के आदेश दिए। राज्यपाल का उक्त पत्र लखनऊ सचिवालय से गत 15 मार्च 2017 को गोरखपुर जिला प्रशासन के पास आ गया था, लेकिन प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लागू आचार संहिता के चलते उनकी रिहाई सम्भव नही हो सकी।

चुनाव बीतने के एक महीने बाद रिहाई के सवाल पर उनका कहना था कि यह तो जिला प्रशासन के लेट लतीफी का नतीजा है, जिसके कारण इतना विलंब हुआ। फिलहाल देश के या यूं कहें कि विश्व के सबसे उम्रदराज कैदी की रिहाई पर जहां उनके परिजन, गांव के निवासी और सभी लोग ख़ुशी से फुले नही समा रहे हैं। वहीँ उनके साथ मंडलीय कारागार में सजा काट रहे कैदियों में अपने बुजुर्ग से बिछड़ने का दर्द साफ दिखा, लेकिन इसके साथ ही उनके मन में इस बात की खुशी भी है कि जीवन के अंतिम समय वह अपने परिजनों संग बिताएंगे।

बता दें, कि चौथी यादव के दो बेटे हैं। उनकी पत्नी सुमरा देवी के आंखों की रौशनी भी न के बराबर हो गई है। उम्र के अंतिम पड़ाव में वाराणसी केंद्रीय जेल में आजीवन सजा काट रहे चौथी यादव को 2005 में अच्छे चाल-चलन के लिए जेल प्रशासन ने स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि बनाया था।

आगे की स्लाइड्स में देखिए फोटोज

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story