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Prayagraj: वाह मौलवी साहब! एकदम असली छाप डाले 18 लाख, हैरान कर देगा नोट छपाई का तरीका

Prayagraj: मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिद ए आजम में नकली नोटों की छपाई हो रही थी। चार लोगों ने 18 लाख का फर्जी नोट छाप दिया।

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Newstrack Network
Published on: 30 Aug 2024 3:09 PM IST
Prayagraj News
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गिरफ्तार चारो आरोपी (Pic: Social Media)

Prayagraj News: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से नकली नोट छापने वाले चार जालसाजों को गिरफ्तार किया गया है। नकली नोटों की छपाई एक मदरसे में हो रही थी। इसमें मदरसे के उस्ताद, मौलवी सहित कई लोग शामिल थे। अब तक इन लोगों ने 18 लाख नकली रुपए छाप दिए थे। मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मौलवी और उस्ताद समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही मामले की जड़ तक जाने के लिए आईबी ने भी जांच शुरु कर दी है।

अब तक छाप दिए थे 18 लाख रुपए

मामला प्रयागराज के अतरसुइया इलाके का है। यहां मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिद ए आजम में नकली नोटों की छपाई हो रही थी। मदरसे के कार्यवाहक प्रिंसिपल मो. तफसीरुल हैं। उन्होंने मौलवी और उस्ताद सहित अन्य लोगों को मदरसे में कमरा दिया था। इसी कमरे में नकली नोटों की छपाई होती थी। आरोपी केवल 100 के नोट ही छापते थे। ऐसा इसलिए क्योंकी 500 की नोट लेते समय बाजार में भी लोग ध्यान से देखते हैं। इन्हें पकड़े जाने का डर था। इन नोटों का बाजार में बकायदा ट्रयाल किया जाता था। खास कर उन जगहों पर जहां लोग जल्दी में रहते थे। जैसे रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड। अब तक इन लोगों ने 18 लाख रुपए छाप दिए थे।

मदरसे में फर्जी नोट छापने के मास्टर

इस फर्जीवाडे़ में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मदरसे में प्रिंसिपल 25 साल का मोहम्मद तफसीरूल, जिसने मौलवी की पढ़ाई की है। साथ ही आलिम की डिग्री भी है। दूसरा आरोपी मदरसे का उस्ताद 23 साल का जाहिर खान है, इसने आलिम की डिग्री ली है। तीसरा आरोपी 18 साल का मोहम्मद अफजल जिसका काम नोटों को बाजार में चलाना था। वहीं चौथा भी 18 साल का मोहम्मद शाहिद जो यहां मौलवी बनने आया था मगर फर्जी नोट छापने का गुरु बन गया। खुलासे को बाद सिविल लाइंस थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 178, 179, 180, 181, 182 (1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

हरे टेप का उपयोग कर लोगों को दिया धोखा

बाजार में नोटों को चलाने के लिए आरोपी एक असली नोट के बदले तीन नकली नोट देते थे। पुलिस के अनुसार यह लोग एक दीन में 20 हजार नकली नोट छाप देते थे। यानी महीने में छह लाख रुपए तक। नोट छापने के कई तरीके होते हैं। आरोपी पहले असली नोट को कागज पर चिपका कर प्रिंटाउट निकालते हैं। फिर उन्हें कटर से एकदम बराबर काटा जाता है। टोनर और कलर से प्रिंट किए हुए नोट को चमकाया जाता है। फिर गांधी जी की वाटरमार्क फोटो भी लगाते हैं। इससे नोट असली लगता है। पकड़े गए आरोपियों के पास प्रिंटर, बड़ी संख्या में असली नोट के कागज जैसे पेपर, नोट छापने वाली स्याही और हरे रंग का सेलो टेप बरामद किया गया है। इसी सेलो टेप के जरिए नोट को फिनिसिंग टच दिया जाता था। नोट के बीच में लगने वाले मैटेलिक पट्टी की जगह आरोपी हरे और चमकीले टेप का इस्तेमाल करते थे। यही इनके नोट को पहली नजर में असली बताता था। इसके जरिए ही इन्होंने लोगों को धोखा दिया।



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Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

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मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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