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गवर्नर ने विस से पास दो विधेयक राष्ट्रपति को भेजे, अखिलेश खुश तो बहुत होंगे

Rishi
Published on: 30 Dec 2017 8:11 PM IST
गवर्नर ने विस से पास दो विधेयक राष्ट्रपति को भेजे, अखिलेश खुश तो बहुत होंगे
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लखनऊ : समाजवादी सरकार के कार्यकाल में भी गवर्नर रामनाईक ने कई विधेयकों को राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजा था। ठीक उसी तर्ज पर योगी सरकार में भी विधानसभा और विधानपरिषद से पास दो विधेयकों को प्रेसीडेंट को संदर्भित किया गया है। इनमें कर्मचारी प्रतिकर (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 और भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 शामिल है।

राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों विधेयकों के प्रस्तावित प्रावधानों से केन्द्रीय कानून प्रभावित होते हैं। इसकी वजह से इन पर राष्ट्रपति का अनुमोदन जरूरी है। इसलिए राज्य सरकार ने राज्यपाल को भेजे गये अपने प्रस्ताव में कहा है कि इन विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए संदर्भित कर दिया जाये। हालांकि सपा सरकार के कार्यकाल में विधेयकों पर अनुमति देने को लेकर सरकार और राजभवन के बीच तनातनी की खबरें आम थी।

कर्मचारी प्रतिकर (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2017

इस विधेयक में कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923 के प्राविधानों में संशोधन किया गया है। दरअसल, ड्यूटी के दौरान हुई क्षति या दुर्घटना के लिए कर्मचारियों को प्रतिकर देने की व्यवस्था है। पर आश्रितों की निरक्षरता या अज्ञानता के कारण प्रतिकर दावा प्रस्तुत करने में कठिनाईयां होती हैं। इसको देखते हुए इस संशोधित विधेयक की व्यवस्था की गई है ताकि राज्य सरकार के प्राधिकृत किसी अधिकारी के माध्यम से आश्रित अपना दावा प्रस्तुत कर सके।

भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2017

इसके द्वारा अधिनियम 1996 में संशोधन कर धारा 3 में उपधारा(1) बढ़ाकर अधिनियम के प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है, इसके द्वारा उपकर के निर्धारण के लिए भूमि के मूल्य, किसी कर्मकार या उसके उत्तराधिकारयों को संदत्त प्रतिकर, एमआरआई, सीटी स्कैन और डायलिसिस जैसी मशीनों को उपकर के निर्धारण से छूट प्राप्त है।

इन दो विधेयकों पर लगाई मुहर

राज्यपाल राम नाईक ने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों से पारित उत्तर प्रदेश पंचायत राज (संशोधन) अधिनियम 2017 और उत्तर प्रदेश विनियोग (2017-18 का अनुपूरक) विधेयक 2017 पर अपनी सहमति दे दी है।

उत्तर प्रदेश पंचायत राज (संशोधन) अधिनियम 2017

संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम 1947 में संशोधन किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय शासन की स्थापना और विकास के लिए यह अधिनियम गठित हुआ था। इसमें ग्राम और न्याय पंचायतों की व्यवस्था थी। परन्तु 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा त्रि-स्तरीय ग्राम पंचायतों की व्यवस्था की गयी। नतीजतन न्याय पंचायतें अक्रियाशील हो गयी हैं। मौजूदा संशोधन में न्याय पंचायतों से संबंधित उपबंधों को हटाया गया है।

उत्तर प्रदेश विनियोग (2017-18 का अनुपूरक) विधेयक 2017

इसके द्वारा 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा सेवाओं और प्रयोजनों के संबंध में विविध परिव्यय चुकाने के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था की गयी है।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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