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20 ट्रिलियन का पैकेज और नई विश्व व्यवस्था में रिक्त स्थान की पूर्ति के प्रयास

Mayank Sharma
Published on: 17 May 2020 11:28 AM GMT
20 ट्रिलियन का पैकेज और नई विश्व व्यवस्था में रिक्त स्थान की पूर्ति के प्रयास
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अशोक सिंह

नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक भी हो सकता है यह पैकेज और आगे आने वाले सुधार

कोविड 19 त्रासदी के बीच, 13 मई रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की है। यह पैकेज राशि कुल जीडीपी का 10% है। इस पैकेज के सन्दर्भ में यह भी कहा जा रहा है कि यह देश में किसी भी सरकार द्वारा कभी भी दिए गए सबसे बड़े राहत पैकेजों में से एक है। इस पैकेज के माध्यम से श्रमिक, किसान, एमएसएमई उद्यमों एवं मध्यमवर्गीय सैलरी क्लास को राहत पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का जो सपना हमें दिखा रहे हैं, उसे वे सत्य सिद्ध कर के रहेंगे। सरकार इस पैकेज के माध्यम से श्रमिक, किसान, एमएसएमई उद्यमों एवं मध्यमवर्गीय प्रोफेशनल्स को आत्मनिर्भर रखने के पुरजोर प्रयास कर रही है। मुझे ऐसा लगता है कि सरकार पीएम किसान सम्मान योजना के विस्तार पर भी फैसला लेगी तथा किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर भी कुछ नए ऐलान किये जाएंगे। पिछले कुछ वर्षों में खेती किसानी को लेकर बहुत से सुधार मौजूदा सरकार ने किये भी हैं। जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था काफी सक्षम और समर्थ हुई है। माजूदा पैकेज के माध्यम प्रधानमंत्री इन रिफॉर्म्स को नई उचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। कोरोना आपदा का निश्चित रूप से खेती किसानी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और संभवतः आगे भी पड़ेग। इस असलियत को प्रधानमंत्री ने समझा है और इसीलिए वे कृषि क्षेत्र एवं किसानों से संबंधित सुधारों के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। तकनीकि के इस्तेमाल और ग्लोबल सप्लाई चेन से किसानों को जोड़ते हुए भारत और भारत का किसान दोनों आगे बढ़ सकते हैं। मौजूदा आर्थिक पैकेज के बहुत से प्रावधान संदर्भित विषयों से जुड़े हुए हैं।

आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को सत्य सिद्ध करने के लिए एमएसएमई क्षेत्र को पहले से अधिक सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक है। हमें याद रखना होगा कि एमएसएमई क्षेत्र ही देश के सबसे बड़ा विनिर्माणकर्ता, रोजगार प्रदाता एवं निर्यातक है। देश की जीडीपी में इसका योगदान उल्लेखनीय है। पिछले दिनों इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए लेबर लॉज़ यानी श्रमिक कानून में कई सुधार किये गए हैं। लैंड, लेबर, लिक्विडीटी एवं लॉज़ के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र को आत्मनिर्भर एवं सुदृढ़ करने के प्रयास निश्चित रूप से इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक हैं। वर्तमान आर्थिक पैकेज में गृह उद्योग, कुटीर उद्योग तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए किये गए प्रावधान इन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। दरअसल मुझे तो ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी श्रम की महत्ता को समझते हैं और वो आत्मनिर्भIर भारत के माध्यम से हर मौसम में दिन रात परिश्रम करने वाले किसान - श्रमिकों सभी ख्याल रखेंगे। क्योंकि बिना इनके श्रम के भारत के आगे बढ़ने का कोई भी स्वप्न देखा ही नहीं जा सकता है।

इस आर्थिक पैकेज में ईमानदारी से टैक्स भरने वाले मध्यमवर्गीय नौकरीपेशा लोगों के लिए भी बहुत से प्रावधान किये गए हैं। इन मध्यमवर्गीय नौकरीपेशा लोगों का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान महत्वपूर्ण रहा है और ये अगर इस संकटकाल में भी मजबूती से आत्मनिर्भर खड़े रहेंगे तो आगे भी भारतवर्ष के योगदान में अतुलनीय योगदान बनाये रखेंगे। राहत पैकेज के माध्यम से मूलभूत ढाँचे यानी इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी निवेश को बढ़ाया गया है, जिससे रोजगार बने भी रहें और पैदा भी होते रहें। दरअसल इस क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के निवेश को भी आकर्षित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कथन भी सही ही है कि हमारे पास साधन, सामर्थ्य, प्रतिभा तो है ही, तो क्यों न इसे चैनेलाइज कर भारत बढ़िया एवं क्वालिटी उत्पादों का निर्माण करे और ग्लोबल सप्लाई चेन का उपयोग करते हुए एक सशक्त एवं आत्मनिर्भर भारत के रूप में खड़ा हो।

बहुत से लोग इन प्रावधानों को सही न मानते हुए इनकी निंदा भी कर रहे हैं, लेकिन वे इस बात को भूल रहे हैं कि इस लम्बी चलने वाली त्रासदी के लिए हमारे कदम भी दूरदर्शी होने चाहिए। कोविड 19 ने विश्व के सबसे बड़े निर्माता चीन की अंतर्राष्ट्रीय साख को जबरदस्त बट्टा लगाया है। बहुत से देश अब चीन से वैश्विक व्यापार करने में कतरा भी रहे हैं। जापान अपनी विनिर्माण इकाइयाँ वहां से हटा रहा है। ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका इत्यादि भी चीन का समर्थन अब कतई नहीं कर रहे हैं। अतः इन वैश्विक परिस्थितियों में हिसाब से तो नरेंद्र मोदी संभवतः सही गेमप्लान बना रहे हैं। चीन अगर सस्ते और ख़राब क्वालिटी के उत्पादों पर इस विश्व व्यवस्था में खेल सकता है। तो भारत क्यों नहीं तर्कशील दामों और बेहतर क्वालिटी के साथ अपनी जगह नहीं बना सकता, जबकि भारत के पास खुद अपना ही बाजार बहुत बड़ा है और संभवतः कोविड 19 के बाद की विश्व व्यवस्था में किसी न किसी को तो चीन द्वारा रिक्त हुए स्थान की पूर्ती करनी ही होगी।

(अशोक सिंह मुंबई स्थित ईएसपीएस कैपिटल लिमिटेड के संस्थापक एवं निदेशक हैं।)

Mayank Sharma

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