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यूपी में 23 बस स्टेशन पीपीपी माॅडल पर बनेंगे, मिलेगी ये खास सुविधाएं
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश के 23 बस-स्टेशनों को पीपीपी पद्धति के आधार पर विकसित किया जायेगा। इन बस स्टेशनों का माॅडल डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर के आधार पर होगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश के 23 बस-स्टेशनों को पीपीपी पद्धति के आधार पर विकसित किया जायेगा। इन बस स्टेशनों का माॅडल डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर के आधार पर होगा। परिवहन विभाग द्वारा पीपीपी आधार पर विकसित किये जाने वाले बस-स्टेशन पूर्णतः आधुनिक सुविधा युक्त होंगे।
परिवहन विभाग के प्रबंध निदेशक राज शेखर ने शनिवार को बताया कि ये बस-स्टेशन जनपद गाजियाबाद में तीन, जनपद आगरा में तीन, लखनऊ में तीन, प्रयागराज में दो, मेरठ में दो, बुलन्दशहर, मथुरा, कानपुर नगर, वाराणसी, मिर्जापुर, रायबरेली, बरेली, अलीगढ़, अयोध्या तथा गोरखपुर में एक-एक बस स्टेशन पीपीपी माॅडल पर विकसित होंगे।
उन्होंने बताया कि पीपीपी परियोजनाओं में 2.5 फ्लोर एरिया रेसियो का प्रावधान किया गया है। इसमें कुल भूमि के क्षेत्रफल का मात्र 30 प्रतिशत निर्माण कार्य के लिए प्रयोग होगा। 55 प्रतिशत एफएआर का प्रयोग बस-स्टेशन के लिए तथा 45 प्रतिशत एफएआर का प्रयोग कामर्शियल काम्प्लेक्स के रूप में उपयोग किया जायेगा।
इस कामर्शियल काम्प्लेक्स के अन्तर्गत आधुनिक, वाणिज्यिक काम्प्लेक्स का निर्माण होगा, जिसमें माॅल्स, बजट होटल, पीवीआर इत्यादि की सुविधा उपलब्ध होगी।
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18 माह का होगा अनुबन्ध
उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग द्वारा 55 प्रतिशत के तहत बस स्टेशन के निर्माण की अवधि के लिए 18 माह का अनुबन्ध होगा। 45 प्रतिशत के अन्तर्गत वाणिज्यिक उपयोग सुविधा की निर्माण की अवधि 5 वर्षा रखी गई है।
अनुबन्ध की अवधि कुल 60 वर्ष अग्रेतर 30 वर्ष हेतु एफआरओआर आधार पर विस्तार योग्य होगी, परियोजना से सम्बन्धित सभी लागत अनुबन्धकर्ता द्वारा वहन किये जाने का प्राविधान किया गया है।
35 वर्षों तक 55 प्रतिशत एफएआर के अन्तर्गत निर्मित होने वाले बस स्टेशन के सम्पूर्ण रख-रखााव एवं संचालन का उत्तरदायित्व भी अनुबन्धकर्ता द्वारा वहन किये जाने का प्राविधान किया गया है।
35 वर्षों बाद बस स्टेशन का रख-रखाव एवं उस पर स्थिति फूड कोर्ट, स्टालस सहित सभी यात्री सुविधाओं का परिवहन निगम को हस्तान्तरण का भी प्राविधान किया गया है।
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