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Kushinagar News: कुशीनगर में 9 पशु चिकित्सकों के सहारे 24 राजकीय पशु अस्पताल
Kushinagar News: कुशीनगर जनपद में पशुओं के राजकीय चिकित्सालय डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। अधिकतर अस्पतालों में पशु चिकित्सालय में फार्मासिस्ट व वार्ड ब्वाय और पशु प्रसार अधिकारी के भरोसे व्यवस्थाएं चल रही हैं।
Kushinagar News: कुशीनगर जनपद में पशुओं के राजकीय चिकित्सालय डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। अधिकतर अस्पतालों में पशु चिकित्सालय में फार्मासिस्ट व वार्ड ब्वाय और पशु प्रसार अधिकारी के भरोसे व्यवस्थाएं चल रही हैं। जिले के पशु अस्पतालों का बुरा हाल है एक पशु चिकित्सक पर कई पशु अस्पतालों की जिम्मेदारी है ऐसे में मवेशियों के बीमारियों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है।
जनपद में 9 पशु चिकित्सकों की तैनाती कुशीनगर
कुशीनगर जनपद तराई क्षेत्र है यहां खेती बारी के साथ किसान मवेशियों को भी पालते हैं। जिनमें गाय ,बकरी, भैंस और भेड़ आदि है। जनपद के लगभग सवा छह लाख मवेशी हैं जिनके लिए 24 अस्पताल और है इनमें मात्र 9 चिकित्सकों की तैनाती है। इलाज से लेकर टीकाकरण व्यवस्थाएं प्रभावित हो गई हैं।
जनपद में 16 पशु चिकित्सकों का पद रिक्त है। जनपद में 24 फार्मासिस्ट की जगह लगभग आधा दर्जन की ही तैनाती है। राजकीय पशु चिकित्सालय रामकोला, हाटा तमकुही, समउर ,तुर्कपट्टी, पडरौना, कप्तानगंज एवं वोदरवार में चिकित्सकों की तैनाती है। पशुधन प्रसार अधिकारियों के माध्यम से अन्य जगहों पर काम चलाया जा रहा है।
व्यवस्था में ही पेच तो कैसे बढ़ेगा दुग्ध उत्पादन
कुशीनगर जनपद पशुपालन के लिए बहुत ही सूटेबल जलवायु वाला क्षेत्र है ।गन्ना बहुल क्षेत्र होने की वजह से साल भर पशुओं के चारे की दिक्कत नहीं होती है। अधिकतर किसान पशुओं को हरे चारे के रूप में गन्ने की पत्ती ही खिलाते हैं। साथ ही सूखा चारा भूसा और धान का पुआल भी भरपूर मिलता है । किसान पशु भी खूब पालते हैं। खेती में रसायनिक खादों के अधिक प्रयोग होने के कारण पशुओं का चारा भी प्रभावित हो गया है।
इस चारे को खाने के बाद पशुओ को बीमारियों की चपेट में आने की संभावना प्रबल रहती है। ऐसे में जनपद में धराशाई हुए पशु अस्पताल की व्यवस्था पशुपालकों के लिए समस्या बनी हुई है। पशुपालक नीम हकीम से भी पशुओं का इलाज करा रहे हैं । कई गांव में तो ऐसा भी देखा गया है कि बेहतर इलाज के अभाव में महंगे दुधारू पशु दम तोड़ दे रहे हैं। अच्छी पशु चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में सरकार के दूध बढ़ाने की योजना फिसड्डी हो रही है।