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Siddharthnagar News: अमरगढ़ महोत्सव में 30 कलाकारों ने किया 26 नवंबर 1858 की क्रांति का सजीव मंचन
Siddharthnagar News Today: डुमरियागंज में आयोजित अमरगढ़ महोत्सव में नृत्यांजलि फाउंडेशन एवं संस्था भरत रंग लखनऊ से आए 30 सदस्यीय टीम द्वारा 26 नवंबर 1858 की क्रांति का मंचन किया गया।
Siddharthnagar News: डुमरियागंज में आयोजित अमरगढ़ महोत्सव में नृत्यांजलि फाउंडेशन एवं संस्था भरत रंग लखनऊ से आए 30 सदस्यीय टीम द्वारा 26 नवंबर 1858 की क्रांति का मंचन किया गया। दर्शकों से खचाखच भरे कार्यक्रम प्रांगण में सैकड़ों लोगों ने खड़े होकर प्रस्तुति को देखा और खुले मन से संकल्प के इस प्रयास की सराहना की। लगभग डेढ़ घंटे की इस नाट्य प्रस्तुति ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से 1858 के अमरगढ़ की क्रांति को मंच पर जीवंत कर दिया। कलाकारों के अभिनय का जादू दर्शकों पर इस कदर हावी हो गया कि कलाकारों के साथ दर्शक भी भारत माता की जय और अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाने लगे।
दर्शक नहीं रोक पाये आंसू, सबकी आंखें नम
नाटक में कुछ पल ऐसे आए कि लोग अपने आंखों को नम होने से नहीं रोक पाए। विशेष रूप से अमरगढ़ में बाला राव सहित सैकड़ों लोगों के शहादत का दृश्य और राप्ती तट पर 80 से अधिक लोगों के शहादत के दृश्य ने दर्शकों को रूला दिया। क्रांतिकारियों पर कैप्टन कैडूलस की अमानवीय क्रूरता और भारतीयों के मूछ का एक एक बाल उखाड़ने वाले अंग्रेज अफसर की क्रूरता ने दर्शकों को विचलित कर दिया। वहीं कार्यक्रम के अंत में कामरान रिजवी(हल्लौरी) द्वारा तिरंगा फहराने वाले दृश्य ने गर्व से भर दिया। दर्शकों ने जमकर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए। लखनऊ से निर्देशक चंद्रभाष सिंह, संयोजक रागिनी श्रीवास्तव कलाकार जूही कुमारी, निहारिका कश्यप, कामरान रिजवी हल्लौरी, अग्नि सिंह, अनुराग शुक्ला, प्रणव श्रीवास्तव आदि ने भाग लिया।
वैज्ञानिक तरीकों को अपनाएं, पाएंगे बेहतर उत्पादन : सांसद
अमरगढ़ महोत्सव के दूसरे दिन राष्ट्र निर्माण में किसानों की भूमिका विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि सांसद कुशीनगर विजय दुबे ने कहा जनपद के किसान रबी व खरीफ की मुख्य फसलों की बोआई से लेकर कटाई तक में वैज्ञानिक विधि का उपयोग करें। उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि होगी। उन्होंने किसानों को जैविक विधि से खेती के लिए प्रेरित किया। इस विधि से उत्पन्न अनाज पौष्टिक होने के साथ ही महंगे रेट पर बिक रहा है। इससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। किसानों के अनुदान की अब हर सुविधा आनलाइन हो गई है। कृषि यंत्र अब बिना किसी सिफारिश पर मिल जा रहे हैं। सब्सिडी भी सीधे खातों में जाती है इससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई है।
उन्नत प्रजाति के बीजों व उर्वरकों तथा यंत्रों के सहायता से हो सकता है उत्पादन प्राप्त: डॉ. एसके मिश्रा
डॉ. एसके मिश्रा ने कहा कि उन्नत प्रजाति के बीजों व उर्वरकों तथा यंत्रों के सहायता से अब प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल धान, 30 चना, 800 गन्ना, लहसुन 150 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है। कालानमक पर जानकारी देते हुए बताया कि इस धान की दो प्रजातियां तैयार की गई हैं। जिसमें पूसा नरेंद्र कालानमक एक व दो बेहतर हैं। मूल कालानमक प्रजाति में महक की मात्रा 440 थी जो नई प्रजाति में बढ़कर 660 हो गई है। साथ ही आयरन, जिंक, ओमेगा डी 30 भी पाया गया है। डॉ. मारकंडेय सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में बताया।