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भुखमरी के कगार पर मदरसों के शिक्षक, 34 महीने से नहीं मिला मानदेय
मदरसों के शिक्षक भूखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। एक तरफ सरकारें शिक्षा पर लाखों करोड़ों खर्च करने की बात करती रहती हैं, तो वहीं सैकड़ों शिक्षकों को पिछले 34 महीने से मानदेय नहीं मिला है। इसकी वजह से उनकी माली हालत बद से बदतर हो गई है और आज वे भुखमरी के कगार पहुंच गए हैं।
गोरखपुर: मदरसों के शिक्षक भूखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। एक तरफ सरकारें शिक्षा पर लाखों करोड़ों खर्च करने की बात करती रहती हैं, तो वहीं सैकड़ों शिक्षकों को पिछले 34 महीने से मानदेय नहीं मिला है। इसकी वजह से उनकी माली हालत बद से बदतर हो गई है और आज वे भुखमरी के कगार पहुंच गए हैं।
केंद्र पूर्वनिर्धारित मदरसा आधुनिकरण योजना के तहत जिले के करीब (एसपीकईएम्) 163 मदरसों में तैनात करीब 489 शिक्षकों का 34 माह का मानदेय बकाया है। करीब साढ़े पांच माह से राज्यांश भी नहीं मिला है। शिक्षकों के हालात खराब है। पैसे-पैसे के मोहताज हुए मदरसों के शिक्षक पिछले काफी दिनों से लखनऊ में धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
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मदरसा शिक्षक मोहम्मद आजम का कहना है कि शिक्षकों के हालात खराब है, पैसे-पैसे के लिए मदरसों के शिक्षक मोहताज हैं। मदरसों में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होने वाली है। वहीं मदरसों की जांच सरकार द्वारा कई बार करवाई जा चुकी है। मदरसा व शिक्षकों का सारा विवरण पोर्टल पर मौजूद है। केंद्र व राज्य सरकार के रवैये के विरोध में शिक्षक दिल्ली से लेकर लखनऊ तक गुहार लगा चुके है, लेकिन कहीं पर भी इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
पिछले 25 दिनों से लखनऊ के इको गार्डन में शिक्षकों का अनिश्चितकालीन धरना भी जारी है। उत्तर प्रदेश के करीब 6726 मदरसों में उक्त योजना संचालित है जिसमें करीब 20000 शिक्षक मदरसों में आधुनिक विषयों की शिक्षा विगत सन 1998 से देते चले आ रहे हैं। काफी समय से यह शिक्षक उपेक्षित हैं जिसकी वजह से शिक्षक आज भुखमरी व कर्ज के कगार पर आ गए हैं।
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इस योजना के तहत केंद्र सरकार स्नातक शिक्षक को 6 हजार रूपये और स्नातकोतर शिक्षक को 12 हजार रूपये देती है, और राज्य सरकार स्नातक शिक्षक को 2 हजार व स्नातकोत्तर शिक्षको को 3 हजार रूपये अलग से देती है।
वही मदरसा शिक्षिका शबाना ने बताया की बीते साल सितंबर महीने में जब राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार मंजीत सिंह जिले में आये थे तो उनके सामने शिक्षकों की समस्या उठी थी, इस पर उन्होंने आश्वस्त किया था, की समस्या का समाधान 15 दिनों में करायेंगे, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ।
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उन्होंने कहा कि मंजर आज ये है, कि तमाम शिक्षक आज कर्जदार हो गए हैं। किसी के पास अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है। तो किसी को अपने घर चलाने के लिए तो किसी को इलाज कराने के लिए पैसे नहीं है। उधार मागने पर अब इन्हें कोई उधार देने को तैयार नहीं कि उधार देने के बाद ये पैसे कहां से देगा, क्योंकि अब हमारी वो उम्र भी नहीं कि हम कोई और काम कर सकें।