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Sonbhadra News: न्यूज ट्रैक इंपैक्ट- फर्जी रिलिजिंगः डीएम की सख्ती पर 50 ट्रकें ब्लैकलिस्टेड
Sonbhadra News: फर्जी रिलीज आर्डर पर थानों में बंद कराए गए वाहनों को रिलीज कराने के खेल पर डीएम चंद्र विजय सिंह की सख्ती पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।
Sonbhadra News: फर्जी रिलीज आर्डर पर थानों में बंद कराए गए वाहनों को रिलीज कराने के खेल पर डीएम चंद्र विजय सिंह (DM Chandra Vijay Singh) की सख्ती पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। डीएम द्वारा लगाई गई फटकार और कार्रवाई की दी गई चेतावनी के बाद हरकत में आए परिवहन विभाग (transport Department) के अफसरों ने दो दिन के भीतर जहां 50 वाहनों को ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई की है।
वहीं अब तक मामले में 49 वाहनों के स्वामियों और चालकों के खिलाफ एफआईआर कराई जा चुकी है। एक वाहन के स्वामी और चालक के खिलाफ एफआईआर के लिए विंढमगंज थाने (Vindhamganj Police Station) में भी तहरीर दे दी गई है। अभी कई और वाहनों को लेकर कार्रवाई की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
फर्जी रिलिजिंग आर्डर के खेल का खुलासा न्यूजट्रैक ने किया
बताते चलें कि फर्जी रिलिजिंग आर्डर के खेल का खुलासा सबसे पहले न्यूजट्रैक ने 19 जुलाई को किया था। इसके बाद जहां परिवहन महकमे में हड़कंप की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। वहीं स्थानीय स्तर पर मामले के तेजी से मैनेज करने के प्रयास शुरू कर दिए गए थे। मामले को किस हद तक मैनेज की कोशिश की गई, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विभागीय रिकर्ड में गत 21 जून को ही फर्जी रिलिजिंग आर्डर का मामला सामने आने के बाद आरआई आलोक यादव को सत्यापन के निर्देश दे दिए गए।
वहीं वाहनों के सत्यापन की जिम्मेदारी संभालने वाले आरआई आलोक यादव को, वाहनों के अवमुक्ति सत्यापन में ही कई दिन लग गए। वहीं 22 जुलाई को विभागीय सत्यापन की रिपोर्ट संबंधित लिपिक के टेबल से एआरटीओ के टेबल पर तब पहुंची, जब न्यूज टैक ने इसका खुलासा किया। इसके बाद भी एफआईआर तब कराई गई, जब गत 25 जुलाई को सड़क सुरक्षा समिति की बैठक ले रहे डीएम ने फटकार लगाई और एफआईआर दर्ज न कराने पर कार्रवाई की चेतावनी दी।
मंडलायुक्त के निर्देश पर वाहनों की जांची गई रिलिजिंग, तब मामला आया सामने
एआरटीओ पीएस राय (ARTO PS Rai) ने पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि मंडलीय समीक्षा बैठक में मंडलायुक्त ने निर्देश दिया था कि परिवहन विभाग द्वारा विभिन्न थानों में निरूद्ध मामलों का त्वरित निस्तारण कराया जाए। इस पर 21 जून को संभागीय निरीक्षक प्राविधिक आलोक कुमार यादव को निर्देशित किया गया कि थाने में निरूद्ध ऐसे वाहन जिनके चालान के प्रशमन, संबंधित वाहन स्वामियों-चालकों द्वारा नहीं कराया गया है और यदि वे वाहन थाने से अवमुक्त हो चुके हैं तो इससे संबंधित वाहन के स्वामियों-चालकों द्वारा थाने में प्रस्तुत किए गए अवमुक्ति आदेश की छायाप्रति प्रस्तुत करें।
उक्त के क्रम में आलोक कुमार यादव ने चोपन थाना, डाला पुलिस चौकी, म्योरपुर थाना, बभनी थाना और विंढमगंज थाने से छोड़े गए वाहनों की जानकारी दी। इस पर विनोद कुमार श्रीवास्तव पटल सहायक को इसके विभागीय सत्यापन का निर्देश दिया गया। 22 जुलाई को प्रधान सहायक श्रीवास्तव ने रिपेार्ट दी कि उनके यहां अब तक जो भी वाहनों के अवमुक्ति की जानकारी आई है, उसमें 50 वाहनों को अवमुक्त किए जाने का आदेश कार्यालय स्तर से जारी नहीं किया गया है। उधर, एआरटीओ पीएस राय ने बताया कि अब तक चोपन थाना, डाला चौकी, म्योरपुर थाना, बभनी थाना और विंढमगंज थाने में बंद कराए गए 50 वाहनों को फर्जी आदेश पर अवमुक्त कराए जाने का मामला सामने आया है।
चोपन, म्योरपुर और बभनी थाने में 49 वाहनों के बाबत, संबंधित वाहन स्वामी-चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। विंढमगंज में भी एफआईआर की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। अभी जांच जारी है। जैसे-जैसे मामले सामने आते जाएंगे, वैसे-वैसे एफआईआर और विभागीय स्तर पर संबंधित वाहनों को ब्लैकलिस्टेड करने की कार्रवाई जारी रहेगी।
बगैर सत्यापन कैसे छूटे वाहन, इस पर भी उठ रहे सवाल
उधर, वाहन संचालकों ने, इस मामले में सीधे वाहन स्वामी और चालक को आरोपी बनाए जाने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि वाहन चालकों ने जुर्माने की धनराशि भी दी और ठगी का शिकार हो गए। उनका यह भी कहना था कि इस मामले में बगैर सत्यापन केसे वाहन छूटे और जो वाहन एक बार सीज कर दिए गए, उन्हें दोबारा, तिबारा कैसे सीज किया गया, इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।