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69000 शिक्षक भर्ती मामला : हाईकोर्ट ने रद्द की 2019 की चयन सूची, ऐसे दिया गया घोटाले को अंजाम, पढ़ें पूरी रिपोर्ट!
Lucknow News : उत्तर प्रदेश की 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है।
Lucknow News : उत्तर प्रदेश की 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है। 2019 की चयन सूची को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को शिक्षक भर्ती 2019 चयन सूची को दोबारा बनाने का आदेश दिया है।
शिक्षक भर्ती मामले को लेकर लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच - न्यायमूर्ति अत्ताउरहमान मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह ने 13 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए फैसला सुनाया था। फैसले की कॉपी गुरुवार को बेबसाइट पर अपलोड की गई है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 69,000 शिक्षक भर्ती में अब तक बनाई गई सभी चयन सूचियों को रद्द किया जाए और नई चयन सूची बनाई जाए। इस नई सूची में आरक्षण नियमावली 1994 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति की जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस भर्ती में नौकरी कर रहे अभ्यर्थी यदि प्रभावित होते हैं तो उन्हें बाहर नहीं किया जाएगा।
आदेश के महत्वपूर्ण बिन्दु
- राज्य सरकार एवं संबंधित अधिकारी चयन सूचियों को नजरअंदाज करते हुए सेवा नियम, 1981 के अनुसार सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए 69,000 उम्मीदवारों की चयन सूची तैयार करेंगे। इस तथ्य से अवगत हैं कि एकल न्यायाधीश ने पहले ही 05 जनवरी 2022 की 6800 उम्मीदवारों की चयन सूची को अपने फैसले के माध्यम से रद्द कर दिया है।
- सेवा नियम, 1981 के तहत चयन सूची तैयार करने के बाद आरक्षण अधिनियम, 1994 की धारा 3 (6) के तहत परिकल्पित आरक्षण नीति अपनाई जाएगी।
- यदि आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित योग्यता के बराबर योग्यता प्राप्त करता है, तो मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार को आरक्षण अधिनियम, 1994 की धारा 3 (6) में निहित प्रावधानों के अनुसार सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
- ऊपर जारी निर्देशों के अनुसार दिए गए ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ नियम के अनुसार क्षैतिज आरक्षण को दिया जाएगा। इस संबंध में लागू है।
- नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करते समय यदि कार्यरत अभ्यर्थियों में से कोई भी राज्य सरकार या सक्षम प्राधिकारी की कार्रवाई से प्रभावित होता है, तो उन्हें सत्र लाभ दिया जाएगा, ताकि छात्रों को परेशानी न हो।
- इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर इस निर्णय के संदर्भ में पूरी कवायद की जाएगी।
बता दें कि 69,000 शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था। इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर आरक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों ने भर्ती नियमावली का सही तरीके से पालन नहीं किए जाने का आरोप लगाया था। इसके बाद अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लखनऊ हाई कोर्ट की डबल बेंच अपना फैसला सुनाया है।
पक्षकार ने क्या कहा?
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए आंदोलन कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि यह फैसला हम सभी के पक्ष में आया है। कोर्ट का धन्यवाद, जो हमें न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि अब सरकार इस मामले में बिना कोई देर किए अभ्यर्थियों के साथ न्याय करते हुए नौकरी दे।
जानिए कब क्या हुआ?
- वर्ष 2018 में 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन किया गया था। यह परीक्षा 06 जनवरी, 2019 को हुई थी और परिणाम 21 मई, 2020 को जारी हुआ था।
31 मई, 2020 : बेसिक शिक्षा विभाग ने 67,867 अभ्यर्थियों की एक चयन सूची जारी की थी। इस चयन सूची में आरक्षित वर्ग (दिव्यांगजन, दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग) के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया था। इसे लेकर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के सामने अपनी पीड़ा रखी थी, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका था।
29 अप्रैल, 2021 : आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने न्याय की आस को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में याचिकाएं दाखिल की। यहां एक वर्ष तक सुनवाई हुई, इसके बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी। आयोग ने स्पष्ट किया कि 69,000 शिक्षक भर्ती में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया है।
22 जून, 2021 : राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की इस रिपोर्ट को बेसिक शिक्षा विभाग ने मानने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन शुरू किया था।
06 सितम्बर, 2021 : आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने लखनऊ के ईको गार्डेन में एकत्रित होकर धरना-प्रदर्शन किया और अपनी मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचायी।
07 सितम्बर, 2021 : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष मुकुल सिंघल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। जांच समिति ने तीन माह बाद अपनी रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी। इस रिपोर्ट में भी पाया गया कि 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया।
23 दिसम्बर, 2021 : आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और बेसिक शिक्षा विभाग को आदेश दिया कि "शीघ्र ही आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान की जाए।
24 दिसंबर, 2021 : तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री के आदेश होने के बावजूद अधिकारियों ने आदेश का पालन नहीं किया।
05 जनवरी 2022 : आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की एक और सूची बेसिक शिक्षा विभाग ने जारी की, लेकिन आचार संहिता लागू हो जाने के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। इसी दौरान अभ्यर्थियों ने इस सूची (6800 चयन सूची) के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। इसके बाद हाईकोर्ट ने चयन सूची पर रोक लगा दी।
13 मार्च, 2023 : एक वर्ष से अधिक समय तक उच्च न्यायालय में मामले में सुनवाई चली। इसके बाद कोर्ट ने 6800 चयन सूची को रद्द कर दिया। इस आदेश के बाद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी परेशान थे।
18 मार्च, 2024 : आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए डबल बेंच में गए। इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुए डबल बेंच ने फैसले को सुरक्षित रख लिया।
13 अगस्त, 2024 : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाया है।