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74वें संशोधन में नगर निकायों को अधिकार, पर अभी तक कई राज्यों में लागू ही नहीं

Newstrack
Published on: 3 Nov 2017 9:19 AM GMT
74वें संशोधन में नगर निकायों को अधिकार, पर अभी तक कई राज्यों में लागू ही नहीं
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लखनऊ: भारत सरकार ने तो 1993 में ही नगर निकायों को खूब अधिकार दे दिए लेकिन उतरप्रदेश सहित कई राज्यों में वह अभी तक लागू ही नहीं है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में यह लागू किया गया तो वह के नगर निगम खूब विकसित हुए। इसी स्वायत्तता का परिणाम है कि इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर बनने का मौक़ा मिला। उतर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में इसका अभी तक न लागू होना यहां के नगर निगमों के विकास में बहुत बड़ी बाधा है। इसके लागू न होने से महापौर और चुनी हुई कार्यकारिणी बहुत सीमित भूमिका में ही रहती है।

निर्णय सम्बन्धी सभी अधिकार नगरायुक्त के पास ही रह जाते हैं। इस प्रकार नगर विकास विभाग के मंत्री , अधिकारी और बाबुओ निगमों पर कब्जा रह जाता है और उन्ही की मनमानी चलती रहती है। प्रदेश के वर्त्तमान उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा जब उत्तरप्रदेश महापौर संघ के मुखिया चुने गए थे उस समय भी संविधान संशोधन को लागू करने की मांग उठी थी। लेकिन विपक्ष की सरकार होने के कारण वक् मांग पूरी नहीं हुई। अब जब की केंद्र से लेकर प्रदेश तक भाजपा की ही सरकार है और डॉ. शर्मा स्वयं उपमुख्यमंत्री भी हैं तो उम्मीद की जानी चाहिए कि यह संशोधन लागू हो सकता है।

- 1 जून 1993 से लागू 74वें संविधान संशोधन के अनुसार नगर निकायों के पास इन कामों का अधिकार होगा

- नगरीय योजना (इसमें शहरी योजना भी सम्मिलित है)।

- भूमि उपयोग का विनियम और भवनों का निर्माण।

- आर्थिक और सामाजिक विकास की योजना।

- सडक़ें और पुल।

- घरेलू, औद्योगिक और वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिये पानी सप्लाई।

- लोक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सफाई तथा कूड़ा-करकट का प्रबन्ध।

- अग्निशमन सेवाएं।

- नगरीय वानिकी, पर्यावरण का संरक्षण

- समाज के कमजोर वर्गों (विकलांग और मानसिक रूप से मन्द व्यक्ति भी) के हितों का संरक्षण।

- गन्दी बस्तियों में सुधार।

- नगरीय निर्धनता में कमी।

- नगरीय सुख-सुविधाओं, जैसे पार्क, उद्यान, खेल का मैदान इत्यादि की व्यवस्था।

- सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सौन्दर्यपरक पहलुओं को बढ़ाना

- कब्रिस्तान, श्मशान का संचालन

- पशु-तालाब तथा जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकना।

- लोक सुख सुविधायें (पथ-प्रकाश, पार्किं ग स्थल, बस स्टाप, लोक सुविधा सहित)।

- नगरीय संस्थाओं की वित्तीय स्थिति के लिए वित्त आयोग का गठन किया जाएगा, जो करों, शुल्कों, पथकरों, फीस की शुद्ध आय और संस्थाओं तथा राज्य के बीच वितरण के लिए राज्यपाल से सिफ़ारिश करेगा।

7 साल पहले की खबर .... ‘सडक़ों पर उतरेंगे मेयर’

(सितंबर 2010 की खबर)

उत्तर प्रदेश महापौर परिषद ने मेयर अधिकारों और 74वें संविधान संशोधन को लागू कराने के लिए आर-पार की लड़ाई छेडऩे का ऐलान किया है। एक दिवसीय सम्मेलन में परिषद ने कई राजनैतिक प्रस्ताव भी पारित किए। इसके तहत प्रदेश भर के सभी मेयर मिलकर अपनी मांगों को लेकर आगामी नवम्बर माह में सडक़ों पर उतरेंगे। मेयर अधिकारों में लगातार हो रही कटौती और वित्तीय मामलों में गठित समितियों का अध्यक्ष कमिश्नर को बनाना, लगभग 18 वर्ष पहले पारित 74वें संविधान संशोधन को अभी तक लागू नहीं किया जाना, अवैध पशु कटान, दलीय आधार पर स्थानीय निकाय चुनाव में रोक, उपमेयर पद खत्म करना आदि विभिन्न मुद्दों पर आज प्रदेश भर से आए मेयरों ने राजनैतिक प्रस्ताव पारित किए।लखनऊ नगर निगम मेयर व उत्तर प्रदेश महापौर परिषद अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि शहर का प्रथम नागरिक राजनैतिक उपेक्षा का शिकार है। शहरी विकास सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने 74वां संविधान संशोधन किया लेकिन राज्य सरकार ने इसे लागू करने की जगह मेयर अधिकारों में कटौती कर दी। नए नगर निगम बन रहे हैं, मेयर कार्यालय आदि की व्यवस्था तक नहीं है।

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