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गन्ना शोध संस्थान की वैज्ञानिक भर्ती में हुआ बड़ा घोटाला, रिटायर्ड अधिकारी ने खोली पोल

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Published on: 25 April 2017 5:47 AM GMT
गन्ना शोध संस्थान की वैज्ञानिक भर्ती में हुआ बड़ा घोटाला, रिटायर्ड अधिकारी ने खोली पोल
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ganna sansthan

शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर के गन्ना रिसर्च सेंटर में हुए वैज्ञानिकों के भर्ती घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें सपा सरकार में 19 वैज्ञानिकों की नियम विरूद्व भर्ती करके बड़ा घोटाला किया गया है। यूपी के सबसे बड़े गन्ना शोध संस्थान में हुए भर्ती घोटाले के खुलासे से हड़कंप मचा हुआ है। भर्ती घोटाले का खुलासा संस्थान के ही एक रिटायर्ड अधिकारी ने किया है। खास बात ये है कि संस्थान के निदेशक इसके लिए शासन को जिम्मेदार बता रहे हैं, तो वहीं यूपी के कैबिनेट मिनिस्टर ने भर्ती घोटाले की समीक्षा के बाद कार्रवाई की बात कर रहे हैं।

ये है उप्र का गन्ना शोध संस्थान जो इन दिनों 19 वैज्ञानिकों के घोटाले के मामले में इन दिनों चर्चा में है। गन्ना शोध परिषद पूर्व अधिकारी का गोविंद दीक्षित का आरोप है कि 19 वैज्ञानिकों की नियम विरूद्व तरीके से भर्ती कर ली गई। आरोप है कि गन्ना शोध संस्थान के डायरेक्टर और गन्ना उपाध्यक्ष राम कृष्ण यादव के साथ मिलकर नियमों केा ताख पर रखकर मनमाने ढंग से आयोग्य वैज्ञानिकों की भर्ती कर ली गई। नवंबर 2015 में हुई इन 19 भर्तियों में पैसा न देने वाले योग्य वैज्ञानिकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

आगे की स्लाइड में जानिए क्या है पूर्व वैज्ञानिकों का कहना

क्या है पूर्व वैज्ञानिक गोविंद दीक्षित का कहना

पूर्व अधिकारी गोविंद दीक्षित की माने तो पदम रोग वैज्ञानिकों के लिए 3 लोगों की भर्ती में 29 आवेदन आए, जिसमें से सिर्फ पहले से तय 3 ही लोगों के आवेदनों को पास किया गया और उनकी आसानी भर्ती कर ली गई। जबकि एक वैकेंसी पर तीन लोगों को चुना जाता है ,जिसका इंटरव्यू होता है, उसमें से एक को चुना जाता है।

-दैहिकी वैज्ञानिकों के लिए 2 लोगों की भर्ती के लिए 21 आवेदन आए, जिनमें से तय शुदा 2 लोगों की पास करके 2 की भर्ती कर ली गई।

-वैज्ञानिक कीट के 1 पद के सापेक्ष 13 आवेदन में 12 को बाहर कर दिया गया और तय शुदा एक ही वैज्ञानिक को भीतर कर लिया गया।

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गोविंद दीक्षित की मानें तो इसी तरह हर कैटेगरी की भर्ती के लिए दो-दो एक्सपर्ट को साक्षात्कार में बैठना था, लेकिन गन्ना शोध संस्थान के डायरेक्टर ने सिर्फ दो ही एक्सपर्ट को बुलाकर सभी र्गों का इंटरव्यू करवा दिया। वहीं स्क्रीनिंग कमेटी में जिन वैज्ञानिकों को 30 अब मिले, उन काबिल वैज्ञानिकों को बाहर कर दिया गया और 10 नंबर वाले वैज्ञानिक की भर्ती कर ली गई। शिकायत के बाद अब इस भर्ती घोटाले की जांच शासन स्तर पर जांच तो शुरू हुई। राजनैतिक संरक्षण के लिए अब तक ये जांच फाइलों में दबी हुई थी। लेकिन सूबे में नई सरकार के बाद अब भर्ती घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है।

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ऐसे में पूरे भर्ती घोटाले में संस्थान के डायरेक्ट और पूर्व में उप्र गन्ना परिषद के उपाध्यक्ष राम कृष्ण यादव का नाम निकल कर सामने आ रहा है। इस मामले में जब गन्ना शोध सस्थान के डायरेक्टर से बात करने की कोशिश की गई, तो वो इस मामले में भर्ती प्रक्रिया को ठीक बताकर मामले की जांच शासन स्तर पर होने की बात कर रहे हैं।

हालांकि प्रमुख सचिव गन्ना उप्र इस मामले की जांच कर रहे हैं। लेकिन गन्ना शोध संस्थान के डायरेक्टर ने जांच में सहयोग करने से मना कर दिया। लेकिन अब सूबे में बीजेपी सरकार के मंत्री सुरेश कुमार खन्ना पूरे मामले की समीक्षा करने के बाद कार्यवाही बात कर रहे हैं।

इस गन्ना शोध संस्थान में उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए गन्ने की नई-नई प्रजातियों को विकसित किया जाता है और गन्ने से जुड़े कई रिसर्च यहां किए जाते हैं। लेकिन ऐसे में सवाल यही उठता है। जब अयोग्य वैज्ञानिकों की भर्ती होगी, तो रिसर्च के बेहतर परिणाम मिलना मुश्किल होगा। फिल्हाल गन्ना शोध संस्थान में हुए भर्ती घोटाले के खुलासे के बाद यहां हड़कंप मचा हुआ है।

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