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Sonbhadra News: ग़ालिब जयंती- सच कहने पर जान गंवानी पड़ती है, ख़ुद ही अपनी लाश उठानी पड़ती है

Sonbhadra News: गालिब जयंती के उपलक्ष्य में मंगलवार की रात कड़कती ठंड के बीच जिला मुख्यालय शेरो-शायरी ओर कविताओं की महफिल सजी तो रचनाओं की तपिश में हर कोई वाह-वाह कर उठा।

Kaushlendra Pandey
Published on: 28 Dec 2022 7:35 PM IST
On the occasion of Ghalib Jayanti, a gathering of poetry and poems was organized at the district headquarters in Sonbhadra.
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सोनभद्र: गालिब जयंती पर जिला मुख्यालय पर कवियों की महफिल सजी

Sonbhadra News: गालिब जयंती के उपलक्ष्य में मंगलवार की रात कड़कती ठंड के बीच जिला मुख्यालय शेरो-शायरी ओर कविताओं की महफिल सजी तो रचनाओं की तपिश में हर कोई वाह-वाह कर उठा। इस दौरान रचनाओं के जरिए न केवल बदलाव के दौर को रेखांकित किया, बल्कि चंद लाइनों में, मानव जीवन की पीड़ा भी उकेरी गई।

मित्र मंच फाउंडेशन राबट्र्सगंज की तरफ से मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंती के मौके आयोजित 20वें मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में प्रख्यात शायर ख़ुमार देहल्वी ने आखिर दिलों से दूर अदावत हमीं ने की, इंसानियत की आम रवायत हमीं ने की... से खास रंग जमाया। विकास वर्मा बाबा ने क्यू आपसे तुलना करूं संतुष्ट हूं पूरी तरह, भगवान से जो भी मिली सौगात मेरी ठीक है।

आप जो भी अर्थ मेरी बात का समझे मगर, बात जो मैं कह रहा हूं, बात मेरी ठीक है, हसन सोनभद्री ने आइए ग़म ही बांट देते हैं, इश्क़ में और कुछ बचा ही नहीं.., पं. प्रेम बरेलवी ने यूँ भी अक्सर मुँह की खानी पड़ती है, सच कहने पर जान गवांनी पड़ती है, कौन यहां किसको ढोता है? यूं समझो, ख़ुद ही अपनी लाश उठानी पड़ती है... से बदलते सामाजिक परिवेश की हकीकत बयां की।

याद जागती होगी दर्द सो गया होगा

मनमोहन मिश्र ने-

अम्न कतरा रहा है आने से, फ़ायदा क्या नगर बसाने से। रोक सकती नहीं हवा मुझको, प्यार का इक दीया जलाने से

डॉ. शाद मशरिक़ी ने-

दौरे-ग़म में आयेगी चंद ऐसी रातें भी, याद जागती होगी दर्द सो गया होगा

अब्दुल हई ने-

रो के बुलबुल ने कहा क़ैद से रिहा न करो, गुलसितां पर अभी सैय्याद के पहरे होंगे..,

क़ाशिफ़ अदीब ने-

बहुत से लोग हैं तेरे सबब ही हमसे ख़फ़ा, बहुत से लोग समझते हैं तू हमारा है..,

जगदीश पंथी ने-

प्यार तुम्हारा मिला कि सावन बरस गया, जीवन में हरियाली आयी पत्ता लरज़ गया

प्रद्युम्न त्रिपाठी ने-

मत करो हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, हम फ़क़त इंसानियत की बात करते हैं

अनुपमा वाणी ने-

प्रेम भी करने लगे हैं लोग रेटिंग देखकर, ज़िंदगी का फ़ैसला दो-चार डेटिंग देखकर

कमल नयन त्रिपाठी ने-

मुझको क़ातिल कहा गया इसी सुबूत पर, आधा लहू बदन में था बाक़ी ख़ुतूत पर

अंश प्रताप ग़ाफ़िल ने-

एक हम हैं जो अभी ख़ुद को मयस्सर न हुए, एक तुम हो जिसे लगता है कि पा लोगे मुझे

कौशल्या कुमारी चैहान ने-

देश ही मेरा सब कुछ है, मैं देश की दीवानी हूँ मुझको अबला मत समझो, मैं झांसी वाली रानी हूं...जैसी रचनाओं से महफिल की फिजा बनाए रखी।

जयंती का आयोजन होटल अरिहंत कैंपस में किया गया। मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में देश के नामचीन शायरों, कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया। मुशायरा शाम 7रू00 बजे से रात्रि 1रू00 बजे तक चला। मुख्य अतिथि जिला जज एम.ए.सी.टी. संजय हरि शुक्ल ने ग़ालिब की तस्वीर पर माल्यार्पण कर शम्मा रोशन की रस्म अदा की।

कवि सम्मेलन की शुरुआत सरस्वती वंदना से

इससे पूर्व नपा के पूर्व चेयरमैन एवं मित्रमंच फाउंडेशन के संरक्षक विजय जैन, संरक्षक सरदार दया सिंह, उमेश जालान, राधेश्याम बंका, अध्यक्ष विकास वर्मा, सचिव अशोक श्रीवास्तव आदि ने शायरों, कवियों-कवियत्रियों का माल्यार्पण-बैज लगाकर स्मृति चिह्न भेंट किया। इस बार यहां ग़ालिब सम्मान की भी शुरुआत की गयी और पहले ग़ालिब सम्मान से ख़ुमार देहल्वी को नवाजा गया। उन्हें शॉल ओढ़ाकर प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न और 10,001 रुपये की थैली भेंट की गई। अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार रामनाथ शिवेंद्र ने और संचालन हसन सोनभद्री ने किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत अनुपमा वाणी ने सरस्वती वंदना से की।

जेबी सिंह, आलोक श्रीवास्तव, धर्मराज जैन, इकराम ख़ंँ, फ़रीद अहमद, अशोक श्रीवास्तव, विमल जैन, संदीप चैरसिया, अमित वर्मा, मुरली अग्रवाल, विनोद कुमार चैबे, रामप्रसाद यादव, आलोक वर्मा, ज्ञानेंद्र राय, विकास मित्तल, गणेश प्रसाद, धीरेंद्र अग्रहरि, संतोष वर्मा, राजेश सोनी, डॉ. गोविंद यादव, इसरार अहमद, साबिर अली, नसीम, फ़िरोज ख़ान, एमडी असलम आदि मौजूद रहे।



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Shashi kant gautam

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