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VIDEO: निकलते हैं जब फुटपाथ के फरिश्ते तो भूखा नहीं सोता कोई बच्चा

Sanjay Bhatnagar
Published on: 23 Jun 2016 1:35 PM IST
VIDEO: निकलते हैं जब फुटपाथ के फरिश्ते तो भूखा नहीं सोता कोई बच्चा
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[nextpage title="next" ] गोरखपुर: न कोई शोर न हंगामा, बस भूखों को तलाशना और उनका पेट भरना। यही मकसद है इस छोटे से समूह का, जिसमें छात्र भी हैं, व्यवसाई भी और नौकरीपेशा भी। फेसबुक और व्हाट्स ऐप के माध्यम से कुछ लोग मिले और तय किया कि फुटपाथ पर पड़े बेसहारा बच्चों और बुजुर्गों का पेट भरना है। और निकल पड़े हाथों में झोला लेकर।

poor children-group of friends नशे की भेंट नहीं चढ़तीं रोटियां

आगे की स्लाइड में पढ़िए कौन हैं ये फरिश्ते

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poor children-group of friends हर घर कुछ देता है

एक घर, दो रोटियां

-एक नेक मकसद के लिए हाथों में झोला लेकर कुछ युवक हर रोज गोरखपुर की गलियों में निकलते हैं।

-इनमें कोई छात्र है, कोई नोकरीपेशा तो कोई व्‍यवसाई।

-हर दिन शाम 4 से 7 बजे तक ये समूह घर-घर घूम कर दो दो रोटियां इकट्ठा करता है।

poor children-group of friends यूं बनते हैं गरीबों की रोटियों के रोल

-रोटियां जमा करके समूह अपने खर्च से जरूरत भर सब्‍जी जुटाता है और रोटियों के रोल पैक करता है।

-समूह ने इस मुहिम को नाम दिया है- अन्‍नपूर्णा।

आगे की स्लाइड में पढ़िए क्यों जागा यह जज्बा

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poor children-group of friends सहयोग में शामिल हैं 200 परिवार

ताकि भूखे न सोएं बच्चे

-इस मुहिम की शुरूआत तब हुई, जब इनमें से किसी ने भिखारियों को भीख के रुपये नशे में उड़ाते देखा।

-और देखा कि इन नशेड़ियों के बच्चे भूख से रोते-बिलबिलाते थक कर सो जाते हैं।

-समूह ने रुपए की जगह सीधे रोटियां मुहैया कराने का संकल्प लिया, ताकि बच्चे भूखे न रहें, और नशेड़ियों को नकद न मिले।

आगे की स्लाइड में पढ़िए कैसे बना यह काफिला

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poor children-group of friends धीरे धीरे जुड़ रहे हैं अन्नपूर्णा से लोग

काफिला बनता गया

-पहले रत्‍नेश,हिमांशु और आनन्‍द ने यह काम शुरू किया।

-फिर कुछ और दोस्त जुड़े, और अंत में फेसबुक और व्हाट्स ऐप के माध्यम से पूरा समूह तैयार हो गया।

-शुरू में इन्हें अपमान और उपहास का सामना करना पड़ा, लेकिन अब इलाके के लोग इनके जज्बे को सलाम करते हैं।

आगे की स्लाइड में पढ़िए दो रोटियों के साथ क्या मिलता है बच्चों को

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poor children-group of friends भूख से निजात मिले तो दो अक्षर भी पढ़ेंगे बच्चे

दो रोटियां, दो अक्षर

-आज करीब 200 परिवार इनके लिये गर्म रोटी की व्‍यवस्‍था करते हैं।

-गोरखपुर के रेलवे और बस स्टेशन, मंदिरों और मस्जिदों में गरीब बच्चों के पेट भरने लगे हैं।

-ये समूह न सिर्फ बच्चों का पेट भर रहा है, बल्कि उन्हें पढ़ाने की भी पहल कर रहा है।

आगे की स्लाइड में देखिए, फुटपाथ के फरिश्तों का VIDEO...​

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Sanjay Bhatnagar

Sanjay Bhatnagar

Writer is a bi-lingual journalist with experience of about three decades in print media before switching over to digital media. He is a political commentator and covered many political events in India and abroad.

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