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UP में दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों की बढ़ेगी परेशानी, सरकार ला रही ये कानून
योगी सरकार ‘हम दो हमारे दो’, ‘बच्चे दो ही अच्छे’ की सोच रखने वाले अभिभावकों को जिंदगी की राह आसान बनाने जा रही है। जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में दो बच्चे से अधिक वाले माता-पिता की मुश्किलें बढ़ने वाली है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 'हम दो हमारे दो', 'बच्चे दो ही अच्छे' की सोच रखने वाले अभिभावकों को जिंदगी की राह आसान बनाने जा रही है। जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में दो बच्चे से अधिक वाले माता-पिता की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्योंकि यूपी सरकार जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण कानून ला सकती है। राज्य विधि आयोग ने इसके लिए मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। यूपी विधि आयोग राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में लागू कानूनों के साथ सामाजिक परिस्थितियों व अन्य बिंदुओं पर अध्ययन कर रहा है। आयोग जल्द ही अपना प्रतिवेदन तैयार कर सरकार को सौंपेगा।
योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में कई अहम कानूनों में बदलाव किया है। इसी कड़ी में विधि आयोग ने अब जनसंख्या नियंत्रण के बड़े मुद्दे पर अपना काम शुरू किया है। इसके तहत दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाओं में कितनी कटौती की जाए, इस पर मंथन होगा। फिलहाल राशन व अन्य सब्सिडी में कटौती के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। राज्य में बीते चार वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम व उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम समेत कई नए कानून लागू किए गए हैं। कई अहम कानूनों में बदलाव की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। इसी कड़ी में विधि आयोग ने अब जनसंख्या नियंत्रण के बड़े मुद्दे पर अपना काम शुरू किया है।
आयोग द्वारा मंजूर प्रतिवेदन
राज्य विधि आयोग के दो प्रतिवेदन के तहत राज्य सरकार करीब 470 निष्प्रयोज्य व अनुपयोगी अधिनियमों को खत्म कर चुकी है, जबकि कई अन्य को समाप्त करने पर विचार चल रहा है।
आयोग की सिफारिश पर उप्र गो-वध निवारण (संशोधन) अधिनियम-2020 बना।
सूबे में आदर्श किराया नियंत्रण व बेदखली को लेकर अध्यादेश लागू हुआ।
राज्य में किन्नर समुदाय के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक उत्थान, कृषि तथा संपत्ति में उत्तराधिकार को कर उप्र राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम 2020 बनाया गया।
उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून बना।
प्रदेश में महिलाओं से चेन, पर्स, मोबाइल व अन्य आभूषण लूटने की घटनाओं पर प्रतिबंध के लिए कड़ी सजा के प्रस्ताव को मानकर राज्य सरकार ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा।
उप्र लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली को लेकर कानून लागू।
उप्र शहरी भवन किरायेदारी विनियमन के लिए अध्यादेश लागू।
असम में भी लागू होगा दो बच्चा नीति
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि कुछ विशेष सरकारी योजनाओं का लाभ देने में दो बच्चा नीति लागू करेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीति को असम की सभी योजनाओं में तुरंत लागू नहीं किया जाएगा, क्योंकि कई योजनाएं केंद्र की मदद से चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा, कुछ योजनाओं में हम दो बच्चा नीति को लागू नहीं कर सकते हैं। बता दें कि वर्तमान में असम पंचायत अधिनियम, 1994 में 2018 में एक संशोधन के अनुसार पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और कार्यात्मक स्वच्छता शौचालय की आवश्यकताओं के साथ ही दो बच्चों का मानदंड भी निर्धारित है।
2019 तक विभिन्न राज्यों में दो बच्चों से संबंधित नीति की स्थिति
असम
असम मंत्रिमंडल द्वारा लिये गए फैसले के अनुसार, वर्ष 2021 से दो से अधिक बच्चों वाले लोग सरकारी नौकरी हेतु अयोग्य माने जाएंगे।
राजस्थान
राजस्थान में सरकारी नौकरियों के मामले में जिन उम्मीदवारों के दो से अधिक बच्चे होंगे वे नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे। राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे हैं तो उसे ग्राम पंचायत या वार्ड सदस्य के रूप में चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाएगा। हालाँकि पिछली सरकार ने विकलांग बच्चे के मामले में दो बच्चों संबंधी मानदंड में ढील दी थी।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश वर्ष 2001 के बाद से दो बच्चों के मानदंड संबंधी नीति का पालन कर रहा है। मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवाओं की सामान्य स्थिति) नियमों के अनुसार, 26 जनवरी, 2001 को या उसके बाद यदि तीसरे बच्चे का जन्म होता है तो वह व्यक्ति किसी भी सरकारी सेवा हेतु अयोग्य माना जाएगा। यह नियम उच्चतर न्यायिक सेवाओं पर भी लागू होता है।
मध्य प्रदेश ने वर्ष 2005 तक स्थानीय निकाय चुनावों के उम्मीदवारों के लिये दो-बच्चों के आदर्श का पालन किया परंतु व्यावहारिक रूप से आपत्तियाँ आने के बाद इसे बंद कर दिया गया। हालाँकि विधानसभा और संसदीय चुनावों में ऐसा नियम लागू नहीं था।
तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश
धारा 19 (3) के तहत तेलंगाना पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 153 (2) और 184 (2) के तहत दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाएगा। हालांकि 30 मई, 1994 से पहले अगर किसी व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे थे तो उसे अयोग्य घोषित नहीं किया जाएगा। आंध्र प्रदेश पंचायत राज्य अधिनियम, 1994 में समान खंड आंध्र प्रदेश के लिये भी लागू होता है, जहाँ दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया जाएगा।
गुजरात
वर्ष 2005 में सरकार द्वारा गुजरात स्थानीय प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन किया गया था जिसके अनुसार स्थानीय स्वशासन, पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगम के निकायों का चुनाव लड़ने हेतु दो से अधिक बच्चों वाले किसी भी व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया गया है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम स्थानीय निगम चुनाव (ग्राम पंचायत से लेकर नगर निगम तक) लड़ने के लिये दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जाएगा। महाराष्ट्र सिविल सेवा (छोटे परिवार की घोषणा) निगम, 2005 के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को राज्य सरकार के किसी भी पद हेतु अयोग्य घोषित किया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं को नहीं दिया जाता।
उत्तराखंड
उत्तराखंड सरकार द्वारा दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का फैसला लिया गया था एवं इस संबंध में विधानसभा में एक विधेयक पारित किया गया था। परंतु ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य का चुनाव लड़ने वालों द्वारा इस फैसले को उच्च न्यायालय में दी गई चुनौती के उपरांत उन्हें राहत प्रदान की गई। इसके तहत दो बच्चों वाले मानदंड की शर्त केवल उन लोगों पर लागू की गई है जिन्होंने ज़िला पंचायत के चुनाव लड़े।
कर्नाटक
कर्नाटक (ग्राम स्वराज और पंचायत राज) अधिनियम, 1993 दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को ग्राम पंचायत जैसे- स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित नहीं कर सकता। हालांकि कानून के अनुसार, एक व्यक्ति ''जिसके परिवार के सदस्यों के उपयोग के लिये सैनिटरी शौचालय उपलब्ध नहीं है,'' वह चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य होगा।
ओडिशा
ओडिशा ज़िला परिषद अधिनियम दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करता है।
दो बच्चों से संबंधित राष्ट्रनीति
13 अगस्त, 2018
दो बच्चों से संबंधित राष्ट्र नीति को लागू करने हेतु राष्ट्रपति को याचिका सौंपी गई।
15 अगस्त, 2019
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताई थी।
10 जनवरी, 2020
सर्वोच्च न्यायालय ने जनसंख्या नियंत्रण कानून वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
18 जनवरी, 2020
RSS के संघ संचालक मोहन भागवत द्वारा जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा उठाया गया।