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बेटे की मौत का गम भी न मना पाया पिता, गरीबी ने बोझा ढोने को किया मजबूर
एटा: गरीबी इंसान को मजबूर कर देती है। जैथरा के नेहरू नगर में एक बेटे की टिटनेस से तड़प-तड़प कर मौत हो गई। मुफलिसी के चलते पिता उसका ठीक से इलाज तक नहीं करवा सका। इतना ही नहीं वह अपने नौजवान बेटे की मौत पर गम मनाने के बजाय दो जून की रोटी के खातिर बेटे को दफनाने के बाद पीठ पर बोझा ढोने पहुंच गया।
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क्या है मामला
-मामला जैथरा के मोहल्ला नेहरू नगर का है।
-यहां रहने वाले पप्पन खां मेहनत मजदूरी कर गुजर-बसर करते हैं।
-परिवार इतनी गरीबी से जूझ रहा है कि पप्पन की पत्नी भी पल्लेदारी का काम करती हैं।
-घर के छोटे-छोटे बच्चे दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करते हैं।
-पप्पन के बड़े बेटे सलमान (25) को पिछले दिनों टिटनेस हो गया।
-मुफलिसी से गुजर रहे पप्पन ने बेटे के इलाज के लिए हर दर पर भीख मांगी।
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प्रशासन ने नहीं ली सुध
-पैसे जुटाकर उसने आगरा के एसएनएन मेडिकल कॉलेज में बेटे का इलाज कराया लेकिन निराशा हाथ लगी।
-बेटे ने बुधवार की रात तड़प- तड़प कर दम तोड़ दिया।
-सलमान की मौत ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं की पोल खोल दी है।
-अब तक न तो प्रशासन ने कोई सुध ली है और न ही जनप्रतिनिधियों ने।
बेटे को दफनाकर मजदूरी करने पहुंचा
-जिम्मेदारों के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी कि जिसके नौजवान बेटे की बुधवार की रात मौत हुई और गुरुवार को उसे सुपुर्द ए खाक किया गया।
-मजबूर पिता अपने दिल पर पत्थर रखकर उसी दिन मजदूरी को पहुंच गया।
-बाप तो मजदूरी पर गया ही, सलमान का छोटा भाई भी पीठ पर बोझा उठाने पहुंच गया।
रहने को नहीं घर
-सलमान की मौत ने नेताओं और प्रशासन के साथ - साथ शासन की अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चलाई जा रही योजनाओं की भी पोल खोल दी है।
-पप्पन के पास रहने को घर तक नहीं है, वह घास -फूस की झोपड़ी में रहकर गुजर बसर कर रहा है।
-जिस जगह पर झोापड़ी पड़ी है, वह जमीन भी बसपा सरकार में तत्कालीन डीएम गौरव दयाल ने पट्टे के रूप में दी थी ।
-30 वर्ग मीटर जमीन का अधिकांश हिस्सा खुला पड़ा है ।
-आसमान से बरसती आग के बीच चूल्हे पर जब कभी दो वक्त की रोटी पकती है ।
-पप्पन के पास राशन कार्ड तक नहीं है। शाशन प्रशाशन की मुंह चिढ़ाती योजनाओं ने इसे समाजवादी पेंशन तक के लायक नहीं समझा
-गरीबी से जूझ रहे इस परिवार की कभी निकाय कर्मियों तक ने परवार नहीं की।
-जिससे वह राशन के लाभ से भी वंचित है। पप्पन के 5 छोटे-छोटे बच्चे हैं।
-सबसे छोटी बेटी 2 साल की चांदनी है, वहीं बड़ा बेटा रिजवान लगभग 18 साल का है।
अग्निकांड का आज तक नहीं मिला मुआवजा
-पप्पन खां के घर में लगभग दो माह पूर्व उसकी बेटी की शादी का कार्यक्रम था।
-शादी से एक दिन पहले ही घर में आग लग गई । सामान जलकर खाक हो गया।
-स्थानीय व पुलिस के सहयोग से शादी तो संपन्न हो गई, लेकिन उसे अग्निकांड का मुआवजा तक अंधे और बहरे प्रशाशन से नहीं मिला ।
-पप्पन ने बताया आज तक उनके घर पर कोई भी राजस्व कर्मी अग्निकांड में हुए नुकसान का आंकलन करने नहीं पहुंचा।
-लेखपाल के भी कई चक्कर लगाए लेकिन, नतीजा शून्य रहा।
मां के इलाज में भी गरीबी बनी रोड़ा
-पप्पन ने गरीबी में अपना जवान बेटा खो दिया, अब मां भी मौत के मुहाने पर खड़ी है।
-पप्पन की बुजुर्ग मां सनवरी बेगम को फालिस मार गई है।
-सस्ते देशी नीम हकीम इलाज के सहारे उनको ठीक कराने के प्रयास हो रहे हैं ।
-मिट्टी की दीवारों पर घास- फूस से बनी छत के नीचे वे चारपाई पर जिंदगी और मौत से जूझ रहीं हैं।