मैनपुरी: प्रशासन का बड़ा कारनामा, कच्चे मकान को कागज में दिखाया पक्का मकान

मजरा नगला फेरती में लक्ष्मीदेवी अपने नाबालिग बच्चों के साथ टूटे-फूटे कच्चे जर्जर मकान में रहने को मजबूर है।

Praveen Pandey
Reporter Praveen PandeyPublished By Chitra Singh
Published on: 21 May 2021 3:15 PM GMT
Widow woman
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विधवा महिला का कच्चा मकान

औंछा/मैनपुरी। 'कभी बेकसी ने मारा, कभी बेवसी ने मारा, गिला मौत से नहीं है हमें जिन्दगी ने मारा', राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म "अलग अलग" का इस गाने की पक्तियां विकास खंड घिरोर की ग्राम पंचायत तिसाह के मजरा नगला फेरती में एक विधवा की जिन्दगी पर सटीक बैठती नजर आ रही हैं। जो नौकरशाही की लापरवाही के चलते टूटे-फूटे कच्चे मकान पर रहने को मजबूर है। जिसका मकान आजादी के बाद से कच्चा है और नौकरशाही की निगाह में पक्का बना हुआ है। विधवा के घर में कोई भी कमाने वाला नहीं है। शायद इसीलिए उसका कच्चा मकान जर्जर अवस्था में पहुंच गया है।

विकास खंड घिरोर की ग्राम पंचायत तिसाह के मजरा नगला फेरती में लक्ष्मीदेवी पत्नी बलवीर सिंह अपने नाबालिग बच्चों के साथ टूटे-फूटे कच्चे जर्जर मकान में निवास करती है। जिनके पति की मृत्यु गंभीर बीमारी से 12 साल पहले ही हो चुकी है। विधवा की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय है। इस आपदा के समय तो परिवार पर बहुत ही बड़ा संकट आ गया है। परिवार की आजीविका तो रामभरोसे ही चल रही है। इनका मकान आजादी के बाद से ही कच्चा है। इस गरीब विधवा को किसी भी जनप्रतिनिधि से किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है। मकान कच्चा होने की वजह से विधवा ने ग्राम प्रधान से गुहार लगाई। लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। विधवा के द्वारा आवास दिलाने के लिए शिकायत की गई, तो सर्वे करने के लिए टीम आई। टीम ने भी मकान को पक्का दर्शा दिया। विधवा के द्वारा मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल जनसुनवाई पर भी शिकायत की गई, लेकिन जांच अधिकारी ने उस शिकायत के निस्तारण में मकान पक्का होने की रिपोर्ट लगा दी। जब कि आजादी के बाद से ही मकान कच्चा और जर्जर है।

आवास की आस में निकाल दी आधी जिन्दगी

विधवा लक्ष्मीदेवी का आरोप है कि गरीब होने के साथ-साथ घर कमाने वाला भी नहीं है। उनकी उम्र 38 साल है और 12 साल पहले ही पति की गंभीर बीमारी से मृत्यु हो चुकी है। वह बताती हैं कि शासन प्रशासन से आवास की मदद मिलने के प्रयास में उन्होंने अपनी आधी जिन्दगी भागदौड़ में निकाल दी है। उनका शासन प्रशासन के ऊपर से भरोसा उठ गया है।

मामले की जानकारी नहीं है। अगर रिपोर्ट लगाने में पक्का लिखा गया है तो परिवार में किसी का पक्का मकान होगा। वह इस संबंध में ब्लॉक आकर मिले, तो समस्या हल करने की कोशिश की जाएगी। पता किया जाएगा कि गलती कहां पर हो रही है।

Chitra Singh

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