मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़ मूक-बधिर बच्चों को महिला दे रही प्रशिक्षण, 40 को मिलती है नि:शुल्क ट्रेनिंग

मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़ मनप्रीत कौर इन 40 बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। मूक-बधिर और विकलांग बच्चे जिन्हें अक्सर अपने मां ,बाप,रिश्तेदार व समाज ठुकरा देता है। उन्हें किसी काबिल नहीं समझता है जिसकी वजह से बच्चों के अंदर हीन भावनाएं आती है और वह गलत कदम उठा लेते है। जिससे यह बच्चे अपने पैरो में खड़े होकर अपनी जीविका चला सके और किसी पर बोझ नहीं बने।

priyankajoshi
Published on: 26 Feb 2017 10:58 AM GMT
मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़ मूक-बधिर बच्चों को महिला दे रही प्रशिक्षण, 40 को मिलती है नि:शुल्क ट्रेनिंग
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कानपुर : मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़ मनप्रीत कौर इन 40 बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। मूक-बधिर और विकलांग बच्चे जिन्हें अक्सर अपने मां ,बाप,रिश्तेदार व समाज ठुकरा देता है। उन्हें किसी काबिल नहीं समझता है जिसकी वजह से बच्चों के अंदर हीन भावनाएं आती है और वह गलत कदम उठा लेते है। उन बच्चों को ट्रेनिंग देकर अपने पैरो में खड़े होकर अपनी जीविका चला सके और किसी पर बोझ नहीं बने।

कौन है मनप्रीत कौर?

-दर्शनपुरवा में रहने वाली मनप्रीत कौर के पति हरकीरत सिंह दवा कारोबारी है।

-परिवार में ससुर बरन सिंह ,सास जोगिंदर सिंह और बेटी हुनर के साथ के साथ रहती है।

-बेटी हुनर 8वीं क्लास की छात्रा है।

-मनप्रीत की शादी के 15 साल बीत चुके है ।

-उन्होंने इंग्लिश से एमए, बीएड और 2013 में मूकबधिर से पीजीपीडी का एक साल का कोर्स इंदौर से किया है ।

आगे की स्लाड्स में जाने क्यों ठानी ये राह...

इस कारण ये राह चुनी...

उन्होंने ने बताया, 'जब मै इंदौर में मूक बधिर का पीजीपीडी का कोर्स कर रही थी। तभी मेरे मन में ख्याल आया कि इन बच्चों को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो अपने मन की बात भी किसी से नहीं कह पाते है। वे बच्चें लोगों की बात सुन सकते है लेकिन समझ नहीं सकते है। तभी मैंने ठान लिया कि इन बच्चो के लिये मैं कुछ करुंगी। इनको इस काबिल बनाएंगे ताकि वह भी समाज में सिर उठाकर जी सके।'

पति और सास-ससुर ने दिया साथ

मनप्रीत ने बताया कि मै ईएक्सएल मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती थी यदि जॉब नहीं छोड़ती तो आज इंडिया से बाहर होती। लेकिन इन बच्चो की कार्यप्रणाली से इतना प्रभावित हुई कि मैंने जॉब छोड़ दिया । कानपुर आकर मैंने अपने ही घर के आधे पोर्शन में इन बच्चों के लिये स्टडी रूम खोल दिया। इस काम में मेरे पति और सास-ससुर ने मेरा सहयोग किया। मैं पिछले 5 साल से इन बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हूं। अब यह बच्चे अपने मन की बात अपने पैरेंट्स से कह सकते है।

ड्रीम प्रोजेक्ट

-मनप्रीत ने कहा कि मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है कि इनके लिए हॉस्टल बनाए।

-जिसमें यह बच्चे यहीं पर रह कर पढ़ाई कर सके।

-इसके साथ ही रोजगार के लिए ट्रेनिंग भी ले सके।

-उन्होंने ने कहा कि इन 40 हुनर मंद बच्चों को सिलाई ,कड़ाई ,कंप्यूटर, मोबाइल रिपेयरिंग और अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं।

-ताकि यह बच्चे आगे चलकर अपने पैरो पर खड़े हो सके और किसी पर बोझ नहीं बने।

अधिक जानकारी के लिए आगे की स्लाड्स में देखें...

बेटी बचाओ के बनाए पोस्टकार्ड

-मूक बधिर बच्चे हिमाशु गुप्ता ,स्वाति गुप्ता ,सिमरन ,साहिल ,गोपाल ने ने बेटी बचाओ के पोस्टकार्ड बनाए है।

-इन पोस्टकार्डो से डीएम इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने ने सभी स्कूल को आदेश दिए थे कि इन पोस्टकार्ड की प्रदर्शनीय लगाकर इन्हें खरीदा जाए।

-ताकि यह इससे होने वाली आय इन बच्चों को दिया जा सके।

-मनप्रीत ने बताया कि एक माह पहले जम्मू में एक डांस कॉम्पिटिशन था, जिसमें हमारे यहां से भी बच्चियां गई थी। इन बच्चों ने फर्स्ट प्राइज जीता है।

-यह हमारे लिये बहुत ही सम्मान की बात है।

छात्रा की मां ने क्या बताया?

-स्टूडेंट स्वाति गुप्ता (17) की मां ज्योति गुप्ता ने बताया कि वह मूल रूप से बांदा की रहने वाली है।

-मेरे पति रितु राज गुप्ता प्राइवेट नौकरी एक शॉप में करते है।

-चार बेटियां है, जिसमें से स्वाति गुप्ता सबसे बड़ी बेटी है।

-उनका कहना है कि यह जन्म से ही बोल और नहीं सुन पाती थी। हम लोग बेटी की कोई बात नहीं समझ पाते थे।

-तब हमें मनप्रीत कौर के बारे में जानकारी हुई और उनका नंबर मिला।

-उन्होंने बताया, 'तीन साल पहले मैं बेटी को लेकर कानपुर आई।'वहां किराए का कमरा लेकर बेटी के लिए रह रहे है।

-बाकि परिवार बांदा में रहता है।

-अब मेरी बेटी लोगों की बात समझने के साथ अपनी बात को इशारे से कहने लगी है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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