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यूपी की राजनीति में कूदी आम आदमी पार्टी, अलग-अलग तरीकों से आ रही चर्चा में

यूपी की राजनीति में विपक्ष की खत्म हो रही भूमिका को हासिल करने के लिए अब आम आदमी पार्टी भी मैदान में कूद पड़ी है।

Newstrack
Published on: 4 Sep 2020 1:52 PM GMT
यूपी की राजनीति में कूदी आम आदमी पार्टी, अलग-अलग तरीकों से आ रही चर्चा में
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यूपी की राजनीति में कूदी आम आदमी पार्टी, अलग-लग तरीकों से आ रही चर्चा में (file photo)

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: यूपी की राजनीति में विपक्ष की खत्म हो रही भूमिका को हासिल करने के लिए अब आम आदमी पार्टी भी मैदान में कूद पड़ी है। बगैर किसी विधायक या सांसद के इस सियासी हैसियत को हासिल करने के लिए विभिन्न मुद्दों पर जहां पार्टी के आनुषागिंक संगठन जहां सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे है तो पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह सोशल मीडिया और प्रेस वार्ताओं के जरिए यूपी सरकार को घेरने में जुटे हुए है।

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आम आदमी पार्टी काफी समय से यूपी में अपनी सियासी पारी का आगाज करना चाहती है

दरअसल, आम आदमी पार्टी काफी समय से यूपी में अपनी सियासी पारी का आगाज करना चाहती है और इससे पहले भी यूपी की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर चुकी है पर, उसकी कोशिश कामयाब नहीं हुई। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि यूपी में पैर जमाने के लिए यह सबसे मुफीद समय है। यूपी में इस समय विपक्षी दलों की भूमिका बहुत ही सीमित हो गई है। सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने के लिए सभी विपक्षी दल लगे हुए है लेकिन इन विपक्षी दलों के बीच भी एक स्पद्र्धा स्वयं को सबसे ताकतवर और बेहतर विपक्ष साबित करने की है। सड़क पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन करने और अपने हल्ला बोल के लिए मशहूर समाजवादी पार्टी इक्का-दुक्का मौकों पर ही सड़क पर दिखाई देती है।

sanjay-singh-aap-mla- sanjay-singh-aap-mla (file photo)

यूपी के अध्यक्ष अजय कुमार भी विरोध-प्रदर्शन में जुटे रहते है

सपा की इस कमजोरी को भांपते हुए ही कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने कई मुद्दों और घटनाओं पर सरकार को घेरने के लिए मौके पर पहुंच कर विरोध करने की शैली अपनाई और उनके यूपी के अध्यक्ष अजय कुमार भी विरोध-प्रदर्शन में जुटे रहते है लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी समस्यायें उसे आगे बढ़ने नही दे रही है। जबकि राज्य की तीसरी प्रमुख विपक्षी पार्टी बहुजन समाज पार्टी कैडर की राजनीति करती है और सड़क पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन के स्थान पर बड़ी रैलियां आयोजित करने में भरोसा रखती है। ऐसे में मौजूदा सरकार का ज्यादा मुखर और सक्रिय विरोध करके मुख्य विपक्षी दल के पद पर पहुंचने की होड़ में शामिल होने के लिए आम आदमी पार्टी को यह मौका बेहतर लगा।

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आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है

आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि दिल्ली चुनाव की जीत ने पूरे देश में यह संदेश दे दिया है कि अमित शाह जैसे राजनीति के माहिर और उनकी भगवा ब्रिगेड से निपटना उन्हे बखूबी आता है। पार्टी के एक पदाधिकारी के मुताबिक यूपी में लोग भाजपा से नाराज तो है लेकिन उनके सामने कोई सही विकल्प नहीं है।

सभी विपक्षी दल उसी पुरानी रणनीति का अनुसरण करते है। वह कहते है यूपी के लोग बदलाव चाहते है और आम आदमी पार्टी का दिल्ली का उदाहरण उनके सामने है। आम आदमी पार्टी के अपनी दिल्ली की नीति से हट कर यूपी में जाति की राजनीति में कूदने के बारे में वह बताते है कि पार्टी यूपी में जाति की राजनीति नहीं कर रही है बल्कि यहां के दबाये जा रहे वर्गों के साथ खड़ी है।

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