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संजय सिंह ने EC को कोसा, कहा- आका मोदी को खुश करने के लिए दिया फैसला
आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने के विरोध में पार्टी के नेता संजय सिंह ने चुनाव आयोग को जमकर कोसा।
लखनऊ: आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने के विरोध में पार्टी के नेता संजय सिंह ने चुनाव आयोग को जमकर कोसा।
निर्वाचन आयुक्त (EC) एके ज्योति पर सीधा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वह तीन दिन बाद रिटायर होने वाले हैं। इसलिए अपने आका नरेन्द्र मोदी को खुश करने के लिए उन्होंने यह फैसला दिया। वह नरेंद्र मोदी के साथ मुख्य सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं।
एक तरफा लिया फैसला
आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हुए संजय सिंह ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने विधायकों का पक्ष सुने बिना एक तरफा फैसला कर दिया। संसदीय सचिवों की नियुक्ति का पत्र दिखाते हुए उन्होंने कहा कि इसमें साफ दर्ज है कि सचिवों को किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। उन्हें कार्यालय बंगला या किसी अन्य प्रकार का लाभ नहीं दिया गया। पर मोदी सरकार में संवैधानिक संस्थाओं का कोई मतलब नहीं है। यहां तक की सुप्रीमकोर्ट के चार न्यायधीशों को भी मीडिया के सामने आकर कहना पड़ा कि लोकतंत्र खतरे में है। यह इस बात का प्रमाण है।
पुराने मालिक का रखा ख्याल: संजय सिंह
संजय सिंह ने कहा कि इससे पहले कई अन्य राज्यों में विधायकों की नियुक्ति संसदीय सचिव के पद पर हो चुकी है। साल 2006 में शीला दीक्षित सरकार ने भी दिल्ली में 19 विधायकों को संसदीय सचिव पद पर नियुक्त किया था और इसका विरोध होने पर एक कानून बनाया गया था। इसी तरह झारखंड, पंजाब और हरियाणा में भी विधायकों की नियुक्ति इसी पद पर हुई थी। लेकिन इनमें से पंजाब और हरियाणा में हाईकोर्ट ने संसदीय सचिव की नियुक्ति रद्द करते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता बरकरार रखी थी। मगर निर्वाचन आयुक्त एके ज्योति ने इसका नहीं बल्कि अपने पुराने मालिक का ख्याल रखा। वह खुद लाभ उठाते हैं और दूसरों पर आरोप लगाते हैं।
मीडिया के सामने पेश किया पत्र
संजय सिंह ने संसदीय सचिवों के नियुक्ति का जो पत्र मीडिया के सामने पेश किया। उसमें साफ लिखा है कि ये संसदीय सचिव ऑफिशियल काम के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल कर सकते हैं और अपने काम करन के लिए मंत्री कार्यालय में इनको जगह उपलब्ध कराई जाएगी। सिंह ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सुप्रीमकोर्ट के आदेश हैं कि ऑनरेरियन तौर पर सरकारी काम के लिए किसी विभाग की गाड़ी इस्तेमाल की जा सकती है।