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आरुषि केस: पड़ोसियों ने कहा- देर से ही सही इंसाफ मिला, लेकिन सवाल अब भी बरकरार

aman
By aman
Published on: 16 Oct 2017 6:42 AM GMT
आरुषि केस: पड़ोसियों ने कहा- देर से ही सही इंसाफ मिला, लेकिन सवाल अब भी बरकरार
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पड़ोसियों ने कहा- देर से ही सही इंसाफ मिला, लेकिन सवाल अब भी बरकरार

नोएडा: बहुचर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में नूपुर व राजेश तलवार को भले ही बरी कर दिया हो, लेकिन एक सवाल आज भी लोगों के मन में चल रहा है कि आखिर इस मर्डर मिस्ट्री का पूरा सच है क्या? इन दोनों की इतनी बेरहमी से हत्या आखिर किसने और क्यों की?

हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद newstrack.com की टीम ने राजेश और नूपुर तलवार के पड़ोसियों से बातचीत की और इस मामले पर उनकी प्रतिक्रिया ली।

'फैसले से मिली खुशी'

तलवार दंपति की पड़ोसी दीपाली ने कहा, हाइकोर्ट के फैसले से खुशी मिली है। काफी सालों बाद आखिर परिजनों को इंसाफ मिला। हंसते-खेलते परिवार को पता नहीं किसकी नजर लगी थी। हब सभी लोग एक साथ ही घूमते थे। पता नहीं, अचानक ऐसा क्या हुआ कि पूरा परिवार बर्बाद हो गया। बाद में तलवार दंपति यहां का मकान बेचकर चले गए। हालांकि, आज के फैसले के बाद खुशी हुई है। साथ ही भी पता चला कि परिजनों ने यह घिनौना क़त्य नहीं किया था।

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आरुषि केस: पड़ोसियों ने कहा- देर से ही सही इंसाफ मिला, लेकिन सवाल अब भी बरकरारफैसला संतोषप्रद, लेकिन आरुषि को किसने मारा?

वहीं, एक अन्य पड़ोसी आशीष महेश्वरी बोले, 'नोएडा पुलिस ने बिना जांच किए ही नूपुर और राजेश तलवार को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया। इसके बाद सीबीआई ने भी उन्हें दोषी माना। लेकिन परिजनों को इंसाफ मिला। हां, इसमें देर जरूर हो गई। एक बार फिर से ये लोग अपना जीवन शांति से बिता सकेंगे। लेकिन सवाल अब भी यही है कि आखिर आरुषि की हत्या किसने की?'

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आरुषि-हेमराज की याद में लगाए थे पेड़

वहीं, एक अन्य पड़ोसी प्रोफेसर आरके गुप्ता ने कहा, 'आरुषि और हेमराज की याद में घटना के कुछ साल बाद हमने दो पेड़ लगाए थे। दोनों ही पेड़ आरुषि के घर के सामने पार्क में लगाए गए। ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले। पुलिस व सीबीआई ने आरुषि के माता-पिता को ही हत्यारोपी माना। लेकिन सबूतों के अभाव में दोनों को ही बरी कर दिया गया। हमें न्यायप्रणाली पर भरोसा तो है लेकिन इस फैसले से यह तो साबित नहीं हुआ कि हत्या को अंजाम किसने दिया।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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