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7 साल से कोर्ट से भाग रहा था दरोगा, कोर्ट ने दिया ये आदेश
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के पकरी थाना क्षेत्र में दर्ज आपराधिक मुकदमे में आरोपी दरोगा को सीजेएम बलिया की अदालत में हाजिर कराने का निर्देश दिया है। मजिस्ट्रेट ने दरोगा बृजेश यादव के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में कई बार गैर जमानती वारंट व कुर्की आदेश जारी किया है। इसके बावजूद वह कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा है जिसके चलते 2011 में कायम मुकदमे की सुनवाई रूकी हुई है। कोर्ट ने अध्ीनस्थ न्यायालय को मुकदमे की सुनवाई कर छह माह में निर्णीत करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सी.डी.सिंह ने अवधेश चैहान की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता परवेज इकबाल अंसारी ने बहस की। याची ने दरोगा बृजेश यादव के खिलाफ मारपीट व गालीगलौज के आरोप में अदालत में इस्तगासा दायर किया है जिसमें आरोपी दरोगा नहीं पेश नहीं हो रहा है। जिस पर याचिका दाखिल कर आरोपी को कोर्ट में पेश करने का निर्देश जारी करने की मांग की गयी थी।
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नोशनल प्रोन्नति के साथ कर्मी को सेवानिवृत्त परिलाभों के भुगतान का निर्देश
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में तैनात चपरासी को 1 फरवरी 83 से सेवा में मानते हुए जूनियर क्लर्क पद पर 4 जनवरी 91 से पदोन्नति देने का निर्देश दिया है। क्योंकि याची सेवानिवृत्त हो चुका है। इसलिए नोशनल आधार पर सेवाजनित सभी परिलाभों का हकदार है। कोर्ट ने विभाग को पेंशन आदि का निस्तारण तदनुसार करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सी.डी.सिंह की खण्डपीठ ने इलाहाबाद के प्रेम नारायण मिश्र की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर अधिवक्ता के.के.मिश्र व वरूण मिश्र ने बहस की। एकलपीठ ने याची को प्रोन्नति देने का आदेश दिया था किन्तु वरिष्ठता उससे कनिष्ठ कर्मी की प्रोन्नति तिथि से तय करने को कहा था जिसे चुनौती दी गयी थी। याची से जूनियर को 4 जनवरी 91 को प्रोन्नति दी गयी जबकि याची 1983 से सेवारत है। याची 1986 में निकाल दिया गया था जिसे श्रम न्यायालय ने रद्द कर दिया और बहाल करने का निर्देश दिया थ। जिसे विभाग ने स्वीकार किया किन्तु 1983 से वरिष्ठता नहीं दी और जूनियरों को प्रोन्नति दे दी गयी। कोर्ट ने 83 से सेवा में मानते हुए सभी लाभ देने का आदेश दिया है।
विभाग ने ब्याज लिया है तो वापसी भुगतान पर ब्याज देना होगाः हाईकोर्ट
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई विभाग ब्याज सहित भुगतान लेता है तो वापसी में उसे भी ब्याज का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने प्रदेश के सभी स्टैम्प शुल्क वसूली प्राधिकारियों को निर्देश दिया है कि यदि उन्होंने अतिरिक्त धनराशि जमा करायी है तो उसकी वापसी में ब्याज का भी भुगतान करे। कोर्ट ने गाजियाबाद के स्टैम्प विभाग के सहायक आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह याची को वापस की गयी राशि पर डेढ़ फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करे। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मे.कैलाश मानसरोवर बिल्डर कंपनी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने स्टैम्प विभाग को निर्देश दिया है कि वह याची को 18 फीसदी वार्षिक ब्याज का एक माह में भुगतान करे। याचिका पर अधिवक्ता दिलीप कुमार पाण्डेय ने बहस की। याची ने गाजियाबाद के इंदिरापुरम शक्ति खण्ड-2 के मकान संख्या 193 का बैनामा कराया और 18 मई 05 को हुए इस बैनामे पर 4 लाख 82 हजार स्टैम्प शुल्क जमा किया उसके खिलाफ कम स्टैम्प शुल्क देने की कार्यवाही हुई और डेढ़ फीसदी प्रतिमाह ब्याज के साथ दस लाख 9 हजार 782 रूपये जमा करा लिये गये। कोर्ट ने इसे अधिक भुगतान माना और वापस करने का निर्देश दिया। डीएम व सहायक आयुक्त ने स्टैम्प को याची ने जमा राशि वापसी की अर्जी दी। विभाग ने याची से हलफनामा मांगा कि वह इस राशि पर ब्यज नहीं लेगा। इसी शर्त पर भुगतान किया गया। भुगतान लेने के बाद याची ने ब्याज की मांग की और कहा कि ब्याज पाना उसका कानूनी अधिकार है। कोर्ट ने याची के तर्क को वैध माना और कहा कि भुगतान में देरी पर जब विभाग ने याची से ब्याज वसूला है तो विभाग द्वारा गलत जमा करायी गयी राशि पर उसे ब्याज देना होगा और एक माह में ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
माफिया बृजेश सिंह को हत्या केस में बरी करने के खिलाफ अपील दाखिल
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वांचल के माफिया डान बृजेश सिंह को तिहरे हत्याकांड में सत्र न्यायालय गाजीपुर द्वारा बरी किये जाने के खिलाफ आपराधिक अपील सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है और पत्रावली तलब कर ली है। अपील की सुनवाई 21 जनवरी 19 को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति डी.के.सिंह की खण्डपीठ ने पंकज सिंह की धारा 372 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दाखिल अपील दाखिल करने की अनुमति अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने अर्जी मंजूर कर ली है। अर्जी पर अधिवक्ता दिलीप कुमार व अजय श्रीवास्तव ने बहस की। यह अपील अपर सत्र न्यायाधीश गाजीपुर के 24 जुलाई 18 के आदेश के खिलाफ दाखिल की गयी है। भावरकोल थाना क्षेत्र में 1991 में हुई हत्या केस में बृजेश सिंह व अन्य आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया जिसे चुनौती दी गयी है। याची का कहना है कि गोलीबारी की घटना में पांच घायल हो गये और तीन की मौत हो गयी थी। चश्मदीद गवाह जारनाथ सिंह को गोली लगी थी। अधीनस्थ न्यायालय ने इसकी अनदेखी कर आरोपियों को बरी कर दिया है। हालांकि आरोपी चैबीस साल फरार रहने के बाद 08 से जेल में बंद है। उनके खिलाफ दर्ज 28 आपराधिक मामलों में 20 में हत्या के आरोप है। पुलिस ने 1991 में चार्जशीट दाखिल की। जनवरी 08 में दिल्ली की स्पेशल टास्क फोर्स ने उड़ीसा से आरोपी को गिरफ्तार किया। जारनाथ ने हाईकोर्ट से विचारण ठीक से न होने की शिकायत की थी। कोर्ट ने सभी गवाहों के बयान दर्ज करने के आदेश भी दिये थे। इसके खिलाफ एसएलपी खारिज हो गयी। चश्मदीद गवाहों के बावजूद कोर्ट ने हत्या के आरोपी को बरी कर दिया। कोर्ट के निष्कर्ष भी विरोधाभासी है। इस पर कोर्ट ने अपील स्वीकार कर ली और अधीनस्थ न्यायालय की पत्रावली तलब कर पेपरबुक तैयार करने का निर्देश दिया है।