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मोहनलालगंज रेप-मर्डर केस: आरोपी रामसेवक को आजीवन कारावास, ढाई साल बाद आया फैसला

मोहनलालगंज के बलसिंहखेड़ा प्राथमिक विद्यालय में एक युवती से रेप की कोशिश में असफल होने पर बेरहमी से हत्या करने के आरोपी रामसेवक को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने शनिवार (7 जनवरी) को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 13 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।

tiwarishalini
Published on: 7 Jan 2017 4:45 PM IST
मोहनलालगंज रेप-मर्डर केस: आरोपी रामसेवक को आजीवन कारावास, ढाई साल बाद आया फैसला
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लखनऊ: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा प्राइमरी स्कूल में एक महिला की रेप के बाद हुई हत्या के बहुचर्चित मामले में आरोपी रामसेवक यादव को शनिवार (7 जनवरी) को उम्र कैद की सजा सुनाई है। फैसला सुनाते हुए विशेष जज अनिल कुमार शुक्ल ने रामसेवक पर कुल 13 हजार का जुर्माना भी ठोका है।

कोर्ट ने रामसेवक को शुक्रवार को इस केस मेें देाषी करार दिया था और सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए शनिवार की तारीख नियत की थी। रामसेवक को शनिवार को जेल से लाकर चाक चौबंद सुरक्षा के बीच कोर्ट मे पेश किया गया।

आरोपी के वकील ने क्या कहा ?

सुनवाई के दौरान रामसेवक के वकील प्रांशु अग्रवाल ने उसे कम से कम की सजा देने की मांग की और कहा कि आरेापित का यह पहला अपराध है।

उसके एक बेटा और एक बेटी है।

उसकी कमाई मात्र साढ़े तीन हजार रूपए प्रतिमाह थी जिससे परिवार को पालन पेाषण होता था।

अब उसके परिवार का पालन-पेाषण करने वाला कोई अन्य नहीं है।

सरकारी वकील ने क्या कहा ?

सरकारी वकील प्रतिभा राय और धीरज सिंह ने तर्क दिया कि आरोपित ने जघन्य अपराध किया है।

जिसके लिए उस पर नरमी दिखाने की कोई जरूरत नही है।

कोर्ट ने क्या कहा ?

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह मामला 'रेयरेस्ट आफ दा रेयर' की श्रेणी में नहीं आता है।

अतः आरोपित को उम्र कैद की सजा सुनाने से न्याय की पूर्ति हो जाएगी।

क्या था पूरा मामला?

17 जुलाई, 2014 को मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा प्राइमरी स्कूल में एक महिला की न्यूड डेड बॉडी मिली थी।

जिसकी एफआईआर वादी नोखेलाल ने अज्ञात में दर्ज कराई थी।

विवेचना के दौरान महिला के साथ रेप के बाद उसकी हत्या की बात सामने आई।

पुलिस ने इस वारदात में मुल्जिम रामसेवक यादव का शामिल होना पाया।

21 जुलाई को उसे रेप, हत्या और सबूत मिटाने के आरोप में अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया।

16 अक्टूबर, 2014 को उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201 और 376ए के तहत कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

इस मामले की विवेचना मोहनलालगंज थाने के तत्कालीन इंसपेक्टर संतोष कुमार सिंह ने की थी।

इन साक्ष्यों की आधार पर आरेापित को मिली सजा

43 पन्ने के फैसले में विशेष जज ने अन्य सबूतों के अलावा वैज्ञानिक और फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर मुल्जिम रामसेवक यादव को इस वारदात का गुनाहगार माना है।

-कोर्ट ने सीडीआर से पाया कि घटना के समय रात 11 बजकर 26 मिनट और 11 सेकेंड पर विक्टिम और मुल्जिम के मोबाइल की लोकेशन एक ही टॉवर जैती खेड़ा पर थी।

-कोर्ट ने यह भी पाया कि मोबाइल टॉवर में अल्फा, बीटा और गामा तीन सॉकेट होते हैं।

-प्रत्येक सॉकेट अपनी अलग-ंअलग कम्पनियों को सेवा प्रदान करते हैं।

-घटना के वक्त विक्टिम और मुल्जिम द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला मोबाइल नंबर यूनिनॉर का था। जो अल्फा सॉकेट पर ही था।

-कोर्ट ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला की वैज्ञानिक डॉ. अर्चना त्रिपाठी और डॉ. श्याम सुंदर द्वारा पेश किए गए रिपोर्ट का भी जिक्र अपने फैसले में किया है।

-इस रिपोर्ट की बिना पर कोर्ट ने पाया कि मृतका और मुल्जिम के कपड़ों पर मौजूद ब्लड के मिलान में समानता थी।

-कोर्ट ने डीएनए टेस्ट और बाल परीक्षण से भी मुल्जिम की घटना स्थल पर मौजूदगी पाई है।

-इसके साथ ही कोर्ट ने मृतका की नाबालिग बेटी की गवाही को भी बेहद महत्वपूर्ण माना है।

-इस गवाह ने बताया है कि घटना वाले दिन मुल्जिम ने पीजीआई में किसी मरीज की भर्ती का हवाला देकर उसकी मां को बुलाया था।

-अभियेाजन नेे विचारण के दौरान 18 गवाह पेश किए गए।



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tiwarishalini

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