TRENDING TAGS :
Lucknow Centennial School Case: ACS आराधना शुक्ला ने तत्कालीन DIOS अमरकांत सिंह को हटाया, अब तक 5 अधिकारी सस्पेंड
Lucknow Centennial School Case: विभाग की ACS आराधना शुक्ला ने DIOS अमरकांत सिंह को भी सस्पेंड कर दिया है। इस मामले में अब तक 5 अधिकारियों व दो बाबुओं को सस्पेंड किया जा चुका है।
Lucknow: राजधानी के कैसरबाग स्थित सेंटेनियल स्कूल (centennial school) पर अवैध कब्जे (illegal possession) के मामले ने पूरे शासन-प्रशासन तक को हिला दिया था। जिसके बाद से ही माध्यमिक शिक्षा विभाग (Secondary Education Department) के अधिकारियों पर हंटर चल रहा है। विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला (Additional Chief Secretary Aradhana Shukla) द्वारा इस मामले में अब तक 5 अधिकारियों व दो बाबुओं को सस्पेंड किया जा चुका है। वहीं, मंगलवार को एड़ी बेसिक मुकेश कुमार सिंह को निलंबित करने के बाद, लखीमपुर जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक व लखनऊ के तत्कालीन डीआईओएस अमरकांत सिंह (DIOS Amarkant Singh) को भी सस्पेंड कर दिया गया है।
इन अधिकारियों के खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई
सेंटेनियल स्कूल के मामले में अब तक दो बाबुओं व 5 अधिकारियों को हटाया गया है। जिसमें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह, एड़ी बेसिक पीएन सिंह और डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटीज एंड चिटफंड लखनऊ मंडल विनय कुमार का नाम है।
क्या था मामला?
बता दें कि जुलाई के पहले हफ़्ते में सेंटेनियल इंटर कालेज में अवैध तरीके से एक स्कूल खोल दिया गया था। जिसका नाम मैथोडिस्ट चर्च रखा गया था। जिसके बाद, शिक्षकों ने स्कूल के बाहर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था। दो-तीन दिन तक यह मामला चलने के पश्चात इसमें जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने हस्तक्षेप किया। उसके बाद, जांच में पाया गया कि लालबाग गर्ल्स कॉलेज की सेवानिवृत्त प्राचार्य अणिमा रिसाल सिंह समेत अन्य कई लोगों को दोषी पाया गया। इन्होंने स्कूल भवन और खेल के मैदान पर कब्ज़ा कर लिया था।
पूर्व मैनेजर की मौत के बाद हुआ खेल
स्कूल से जुड़े शिक्षकों का कहना है कि 2021 में स्कूल के पूर्व मैनेजर की मौत के बाद शिक्षा माफिया ने विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर मैनेजर से लेकर पूरी कमेटी दूसरी बनवा ली। नई कमेटी के सभी नियमों को दरकिनार कर सेंटीनियल इंटर कॉलेज के स्थान पर मैथोड्रिस्ट चर्च स्कूल शुरू कर दिया था। यह सब बीते 5-6 महीने में हुआ है। शिक्षा माफिया की नजर इस पर कई सालों से गड़ी थी, लेकिन अब अंदरुनी मिलीभगत कर उसे सफलता भी हासिल हो गई थी। उसने शिक्षा विभाग से मिलकर पूरा खेल कर दिया और अमला खामोश बैठा रहा। इस पूरे मामले की कई बार शिकायत भी शिक्षा विभाग के अफसरों से की गई थी।