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ACS होम अवनीश कुमार अवस्थी के पिता का कोरोना से निधन, PGI में ली अंतिम सांस
कोरोना वायरस से संक्रमित आदित्य कुमार अवस्थी का पीजीआइ के कोविड हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था।
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम-9 का अहम हिस्सा अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी के पिता आदित्य कुमार अवस्थी का सोमवार को निधन हो गया। कोरोना वायरस से संक्रमित आदित्य कुमार अवस्थी का पीजीआइ के कोविड हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था।
अवनीश कुमार अवस्थी के पिता आदित्य कुमार अवस्थी स्वतंत्र भारत के इंजीनियर्स के पहले बैच के सदस्य थे।आदित्य कुमार अवस्थी वाराणसी के आईआईटी-बीएचयू से इंजीनियरिंग की थी। वह मेटलर्जिस्ट और जर्मनी में प्रशिक्षित इंजीनियर थे। उनका देश में लौह व इस्पात बुनियादी ढांचे की नींव रखने में अहम योगदान था। वह बेहद अनुशासनप्रिय थे।
आदित्य कुमार अवस्थी दृढ़ इच्छा-शक्ति और शांत व्यक्तित्व के लिए अपने काम में लगन से जुट जाने के लिए जाने जाते थे। अपनी जुझारू प्रवृति के कारण ही उन्होंने लम्बे समय तक कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाने के बाद भी संघर्ष किया।
उनके परिवार में पत्नी उषा अवस्थी के साथ तीन पुत्र अवनीश कुमार अवस्थी, मनीष कुमार अवस्थी व आशीष कुमार अवस्थी और तीन पुत्रवधू पद्मश्री मालिनी अवस्थी, मनाली अवस्थी व जूही अवस्थी हैं। अवनीश कुमार अवस्थी उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, जबकि मनीष व आशीष अमेरिका में कार्यरत हैं।
लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने आदित्य कुमार अवस्थी के निधन की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से भी दी। उन्होंने लिखा कि हमारे पूज्य पिताजी श्री आदित्य कुमार अवस्थी आज ब्रह्ममुहूर्त में गोलोकधाम सिधार गए। जीवन भर सबके लिए सोचने वाले, करने वाले अत्यंत सरल सौम्य मृदुभाषी हमारे पिता को परमपिता ने अपने समीप बुला लिया।
मालिनी ने आगे लिखा कि आईटी बीएचयू बनारस से मेटलर्जी के इंजीनियर और जर्मनी में प्रशिक्षित हमारे पिताजी उस पीढ़ी के नायक थे जिस पीढ़ी ने स्वाधीन भारत की दृढ़ आधारशिला रखी। स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया SAIL की सेवा में उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया। राउरकेला बोकारो भिलाई के संयंत्र में लोहे की ढलाई यानी कास्टिंग में पिताजी की दक्षता अद्वितीय थी। वे रेल इंजन और बोगी की ढलाई के लिए दूर दूर से परामर्श के लिए बुलाये जाते थे। अंतिम समय तक अपना काम स्वयं करने वाले कर्मठ पिताजी कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन के आधार पर आजीवन चले। परिवार के वटवृक्ष थे, शांत गंभीर संयत! आज उनकी शीतल छाया सदा के लिए ब्रह्माण्ड में विलीन हो गई। संलग्न छवि में पिताजी हमारे सहायक रवि के पुत्र आकाश को पढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं, यह उनके जीवन के एक एक पल की सार्थकता का प्रमाण है। पूज्य पिताजी सदगति प्राप्त करें, यही महादेव से प्रार्थना है। इस कष्ट के समय अम्मा श्रद्धेया ऊषा अवस्थी जी हम सबका पुण्यसंबल हैं आश्रय हैं। भवानी अम्मा को यह कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति।
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