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Ramcharitmanas Controversy: श्रीरामचरितमानस की प्रतियाँ जलाने का मामले में पांच गिरफ्तार, स्वामी प्रसाद मौर्य भी हैं आरोपी
Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर प्रदेश में इस विवाद को खड़ा करने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल है।
Ramcharitmanas Controversy: राजधानी लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन करने वालों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। पीजीआई थाने में करीब दर्जन भर लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज हुई है। एफआईआर दर्ज करने के बाद लखनऊ पुलिस ने आरोपी सत्येंद्र कुशवाहा, यशपाल सिंह, देवेंद्र प्रताप यादव, सुरेश सिंह यादव, मोहम्मद सलीम को किया गिरफ़्तार किया है। इनमें रामचरितमानस के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर प्रदेश में इस विवाद को खड़ा करने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल है।
रामचरितमानस की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन करने वालों के विरूद्ध ऐशबाग निवासी सतनाम सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई है। गौरतलब है कि रविवार को सपा के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में रामचरितमानस की कुछ प्रतियों को जलाकर विरोध–प्रदर्शन किया था।
स्वामी के समर्थन में ओबीसी महासभा
कुछ दिनों पहले सपा एमएलसी और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की थी। जिसके विरोध में संत-समाज और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग सड़कों पर उतर गए थे। प्रदेश के कई हिस्सों में स्वामी के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे। तभी ओबीसी महासभा नामक संगठन ने स्वामी प्रसाद के समर्थन का ऐलान किया।
क्या कहा था मौर्य ने ?
पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि रामचरितमानस बकवास है, करोड़ो लोग इसे नहीं पढ़ते हैं। इसकी रचना तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए की। इसमें कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है। क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का अधिकार नहीं है। इसमें तुलसीदास शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। उन्होंने इस पर सरकार से संज्ञान लेने की मांग करते हुए कहा कि रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश को बाहर कर देना चाहिए या पूरी पुस्तक पर प्रतिबंध लगा देनी चाहिए।
बता दें कि रामचरितमानस को लेकर विवाद की शुरूआत बिहार से हुई थी। यहां के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत का ग्रंथ बताकर सूबे में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया था।