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भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम: इस धारा में ऐसा क्या है, जो प्रशासनिक अधिकारी नहीं चाहते

प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1 )(घ ) नहीं भा रही है।राजधानी में चल रही उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन की बैठक में भी

Anoop Ojha
Published on: 16 Dec 2017 2:10 PM IST
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम: इस धारा में ऐसा क्या है, जो प्रशासनिक अधिकारी नहीं चाहते
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भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम: इस धारा में ऐसा क्या है, जो प्रशासनिक अधिकारी नहीं चाहते

लखनऊ: प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1 )(घ ) नहीं भा रही है।राजधानी में चल रही उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन की बैठक में भी यह मुद्दा कल काफी जोर शोर से उठाया गया। संगठन की वार्षिक बैठक में इस पर चर्चा के बाद प्रस्ताव पारित किया गया कि अधिनियम से धारा को सरकार हटा ले। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन किया गया है और यह नया कानून बनने वाला है।

संगठन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और वरिष्ठ नौकरशाह प्रवीर कुमार ने कहा कि यह धारा बिना मतलब दूसरों के कार्यों के लिए नौकरशाहों को दोषी बनाती है और इसमें अधिकारी लपेटे में आ जाता है। संगठन में इस धारा को लेकर कई बार सवाल उठे हैं और एक स्वर से इसे हटाने की बात होती रही है। आखिर इस धारा में ऐसा क्या है जो प्रशासनिक अफसरों को रास नहीं आ रहा है।

इस बारे पता चला है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 [1988 का अधिनियम सं , 49] के तहत् धारा 13 के अनुसार,लोक सेवक द्वारा आपराधिक अवचार के लिए दंड का प्राविधान किया गया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 [1988 का अधिनियम सं , 49] के तहत् धारा 13 के अनुसार –

धारा 13 लोक सेवक द्वारा आपराधिक अवचार-

1- लोक सेवक आपराधिक अवचार के अपराध का करने वाला कहा जाता है-

क. यदि वह अपने लिए या किसी अन्य के लिए वैध पारिश्रमिक से भिन्न कोई पारितोषण हेतु या ईनाम के रूप में जैसा कि धारा 7 में उपबन्धित है किसी व्यक्ति से अभ्यासतः प्रतिग्रीत या अभिप्राप्त करता है, करने को सहमत होता है या करने का प्रयत्न करता है; या

ख. यदि वह अपने लिए या कीसी अन्य के लिए कोई मूल्यवान वस्तु प्रतिफल के बिना या ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका पर्याप्त होना वह जानता है किसी ऐसे व्यक्ति से जिसका अपने द्वारा की गई या की जाने वाली किसी प्रक्रिया या कारबार से संबंध रहा होगा या हो सकना अथवा अपने या किसी ऐसे लोक सेवक जिसका वह अधीनस्थ है पदीय कार्यों से कोई संबंद होना वह जानता है अभ्यासतः प्रतिग्रहीत या अभिप्राप्त करता है या प्रतिग्रहीत करने के लिए सहमत होता है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करता ; या

ग. यदि वह लोक सेवक के रूप में उसे सौंपी गई या उसके नियंत्रणाधीन कोई संपत्ति अपने उपयोग के लिए बेईमानी से या कपटपूर्वक दुर्विनियोग करता है या अन्यथा सम्परिवर्तत कर लेता है या किसी अन्य को ऐसे करने देता है, या

घ. यदि वह-

एक. भ्रष्ट या अवैध साधनों से अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान वस्तु या धन संबंधी लाभ अभिप्राप्त करता है, या

दो. लोक सेवक के रूप में अपनी स्थिति का दुरूपयोग करके अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान चीज या धन संबंधी लाभ अभिप्राप्त करता है, या

तीन. ऐसे लोक सेवक के रूप में पद पर होते हुए किसी लोक रूचि के बिना किसी व्यक्ति के लिए मूल्यवान वस्तु या धन संबंधी लाभ अभिप्राप्त करता है, या

ड़. यदि उसके या उसकी ओर से किसी व्यक्ति के आधिपत्य में ऐसे धन संबंधी साधन एवं ऐसी सम्पति जो उसकी आय की ज्ञात स्त्रोतों की आनुपातिक है अथवा उसकी पदीय कालावधि के दौरान किसी समय आधिपत्य में रही है जिसका लोक सेवक समाधानप्रद रूप से विवरण नहीँ दे सकता।

इस धारा के उद्देश्यों के लिए आय के ज्ञात स्त्रोतों पद का तात्पर्य होगा कोई ऐसे वैध स्त्रोत जिससे आय प्राप्त की गई है औरलोक सेवक पर तत्समय प्रवृत्त किसी विधि, नियम या आदेश के अधीन उसकी प्राप्ति की सूचना दे दी गई है। कोई लोक सेवक जो आपराधिक अवचार करेगा ऐसे अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा जो एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडनीय किया जाएगा।

इस बारे में जानकारों का कहना है कि प्रायः हर विभाग का मुखिया कोई न कोई वरिष्ठ नौकरशाह ही होता है। ऐसे में यदि विभाग में कोई गड़बड़ी हो रही है तो जाहिर है कि विभागाध्यक्ष होने के नाते उसकी जिम्मेदारी बनती है। ऐसे में वह अपनी जिम्मेदारी से मुकर कैसे सकता है।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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