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एएफटी लखनऊ में ऐतिहासिक रूप से स्पेशल ड्राइव में हुए फैसले

यह विशेष अदालत 12 और 13 सितंबर को एक विशेष अभियान के तहत लगाई गई। इन दो दिनों में करीब 384 मामले सुनवाई के लिए लिस्टेड किये गए। महत्वपूर्ण बात यह रही कि जस्टिस वीरेंद्र सिंह और एयर मार्शल बीबीपी सिन्हा की पीठ ने इस दौरान करीब 25 फीसदी मामलों का त्वरित निस्तारण किया।

राम केवी
Published on: 26 May 2023 6:08 PM GMT
एएफटी लखनऊ में ऐतिहासिक रूप से स्पेशल ड्राइव में हुए फैसले
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लखनऊ। आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल, एएफटी लखनऊ में चेयरपर्सन और न्यायिक सदस्य जस्टिस वीरेंद्र सिंह और प्रशासनिक सदस्य एयर मार्शल बीबीपी सिन्हा ने पिछले दिनों कोर्ट लगाई।

यह स्पेशल कोर्ट ऑनरेरी नायब सूबेदार पेंशन और डिसेबिलिटी पेंशन से जुड़े लंबित मामलों के निस्तारण के लिए एक विशेष अभियान के तहत लगाई गई थी।

एएफटी सूत्रों के अनुसार यह विशेष अदालत 12 और 13 सितंबर को एक विशेष अभियान के तहत लगाई गई। इन दो दिनों में करीब 384 मामले सुनवाई के लिए लिस्टेड किये गए। महत्वपूर्ण बात यह रही कि जस्टिस वीरेंद्र सिंह और एयर मार्शल बीबीपी सिन्हा की पीठ ने इस दौरान करीब 25 फीसदी मामलों का त्वरित निस्तारण किया।

विशेष अभियान की जरूरत पूर्व सैनिकों की परेशानी को देखते हुए महसूस की गई। वर्तमान में पिछले काफी समय से इस बेंच में किसी न्यायिक सदस्य की नियुक्ति नहीं हुई है। इसके चलते एएफटी में पूर्व सैनिकों के हित से जुड़े तमाम मामले लंबित होते जा रहे थे। हालांकि इस दौरान रजिस्ट्री की सक्रियता से वादों के दायर होने का कार्य प्रभावित नहीं हुआ लेकिन विभागाध्यक्ष के न होने से केसों पर निर्णय का कार्य प्रभावित हो रहा था।

इसमें ऐतिहासिक यह रहा कि 13 सितंबर को जहां कोर्ट रात आठ बजे तक चली वहीं मामलों की संख्या को देखते हुए पीठ ने शनिवार अवकाश के दिन में कोर्ट लगाने का फैसला किया। और यह कोर्ट भी रात आठ बजे तक चली।

इससे पूर्व 12 सितंबर को जस्टिस वीरेंद्र सिंह और एयर मार्शल बीबीपी सिन्हा का बार में स्वागत किया गया। अपने स्वागत भाषण के दौरान जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने लखनऊ पीठ के रजिस्ट्रार के के श्रीवास्तव की कोर्ट की जमकर सराहना की।

लखनऊ दौरे के दौरान जस्टिस वीरेंद्र सिंह और एयर मार्शल बीबीपी सिन्हा वार मेमोरियल भी गए और शहीदों को नमन किया।

ऐतिहासिक निर्णय

लखनऊ पीठ में अपनी कोर्ट के दौरान जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने वैवाहिक विवाद के दौरान मासूम बच्ची का बचपन पिसते देखकर ऐतिहासिक निर्णय भी दिया जिसके चलते दम्पति के बीच सुलह का रास्ता खुला और दोनो एक दूसरे के प्रति लगाए गए आरोपों को वापस लेने के लिए सहमत हो गए। इस तरह एक विवाह टूटने से बचा। हालांकि यह मामला सैन्य विसंगतियों का नहीं था लेकिन अदालत ने एक कदम बढ़ाते हुए सैन्यकर्मी दम्पति के बीच उनके मासूम बच्ची के भविष्य की डोर बांधते हुए दोनो के साथ रहने का पथ प्रशस्त किया।

जस्टिस वीरेंद्र सिंह और एयर मार्शल बीबीपी सिन्हा के लखनऊ प्रवास के दौरान रजिस्ट्रार केके श्रीवास्तव, ज्वाइंट रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट कालोनल सीमित कुमार, डिप्टी रजिस्ट्रार एसएन द्विवेदी व एएफटी बार के सदस्यों व एएफटी स्टाफ की भूमिका उल्लेखनीय रही।

राम केवी

राम केवी

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