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Ram Mandir: राम मंदिर में नहीं होगा कोई मुख्य पुजारी, ट्रस्ट ने लिया बड़ा फैसला, जानें वजह

Ram Mandir: राम मंदिर में नए मुख्य पुजारी की नियुक्ति को लेकर मंदिर के ट्रस्ट ने बड़ा फैसला लिया है।

Newstrack          -         Network
Published on: 17 March 2025 4:07 AM
Ram Mandir: राम मंदिर में नहीं होगा कोई मुख्य पुजारी, ट्रस्ट ने लिया बड़ा फैसला, जानें वजह
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Ram Mandir: अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में नए मुख्य पुजारी की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी। मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के निधन के बाद यह पद खाली था, लेकिन अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बड़ा फैसला लिया है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जानकारी दी है कि अब राम मंदिर में कोई मुख्य पुजारी नहीं होगा।

सत्येंद्र दास के सम्मान को कोई बराबरी नहीं कर सकता

ट्रस्ट की बैठक में इस विषय पर गंभीरता से विचार किया गया। चंपत राय ने बताया कि आचार्य सत्येंद्र दास की विद्वता और उनकी सेवा भावना अतुलनीय थी। वे वर्ष 1993 से रामलला की सेवा में कार्यरत थे और उन्हें मात्र 100 रुपये मासिक वेतन दिया जाता था। चंपत राय ने स्पष्ट किया कि सत्येंद्र दास जैसे सम्मानित और विद्वान व्यक्ति की कोई बराबरी नहीं कर सकता, इसलिए अब मंदिर में किसी को मुख्य पुजारी नियुक्त नहीं किया जाएगा।

ट्रस्ट ने पहले ही लिया था फैसला

महासचिव चंपत राय ने बताया कि यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया, बल्कि इस पर पहले से विचार किया गया था। उन्होंने कहा कि आचार्य सत्येंद्र दास से इस बारे में छह महीने पहले ही चर्चा की गई थी। चंपत राय ने कहा, "हमने आचार्य सत्येंद्र दास से छह महीने पहले ही पूछा था, और अब हमने यह तय किया है कि मंदिर में कोई मुख्य पुजारी नहीं होगा।"

युवा पुजारियों को मिलेगी जिम्मेदारी

राम मंदिर में सेवा कार्य जारी रखने के लिए अब कई युवा पुजारियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। चंपत राय के अनुसार, वर्तमान में मंदिर में सेवा कर रहे सभी पुजारी युवा हैं और उनकी उम्र भी लगभग समान है। उनकी विद्वता और अनुभव को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि सभी मिलकर मंदिर की पूजा व्यवस्था को संभालेंगे।

आचार्य सत्येंद्र दास का योगदान

आचार्य सत्येंद्र दास का इसी साल 12 फरवरी को लखनऊ के एसपीजीआई अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। उन्होंने राम जन्मभूमि में बतौर मुख्य पुजारी 34 वर्षों तक सेवा दी। खासतौर पर 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, तब उन्होंने रामलला को अपनी गोद में उठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया था। इस घटना के बाद से उन्होंने अपना पूरा जीवन रामलला की सेवा में समर्पित कर दिया।

Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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