TRENDING TAGS :
मथुरा के हाथियों को मिला एक नया साथी, दशकों से हो रहा था टॉर्चर
अंबेडकरनगर से एक हाथी को मुक्त कराकर चुरमुरा गांव स्थित हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र लाया गया है। हाथी आंशिक रूप से अंधा हो गया है।
मथुरा: वन्य जीवों के संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे एशिया के सबसे बड़े एनजीओ ‘वाइल्डलाइफ एसओएस’ ने इस बार 36 घंटों की जद्दोजहद के बाद एक ऐसे नर हाथी को अंबेडकरनगर से मुक्त कराया है, जिसे बंधक बनाने वाले लोग हर प्रकार से प्रताड़ित करते हुए मनमाने ढंग से उसका उपयोग तो करते ही थे, उसके लंबे दांतों को काटकर अच्छी खासी रकम भी बना चुके थे।
उसे मंगलवार (7 फरवरी) को एक विशेष एंबुलेंस के माध्यम से पशु विशेषज्ञों एवं हाथी केयर में प्रशिक्षित टीम की निगरानी में 700 किमी की यात्रा कर मथुरा के चुरमुरा गांव स्थित ‘हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र’ ले जाया गया है। एनजीओ अब तक 24 हाथियों को अवैध कब्जेदारों से मुक्त करा चुका है। जिनमें से तीन मादा हाथी हरियाणा के ‘हाथी सेंटर’ पर रखी गई हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि यूं तो दुनिया की 98 फीसद एशियन हाथियों की आबादी अवैध शिकारियों ने समाप्त कर दी है, लेकिन फिर भी अब तक जो बचे हैं उनमें से 50 प्रतिशत भारत में मौजूद हैं। इसलिए तेजी से समाप्त होती हाथियों की इस विशिष्ट प्रजाति को बचाने के लिए बहुत बड़े स्तर पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।’
एक अन्य सह-संस्थापक गीता शेषमणि का कहना है कि जैसे ही यह हाथी मथुरा सेंटर पर पहुंचा वहां उसने अपने ही जैसे से अन्य 20 साथियों को देखकर इतना प्रफुल्लित हो उठा कि जैसे वह एक पल के लिए अपने सारे दुख भूल गया हो। लगता है वह यहां आकर बहुत संतुष्ट है। उसने अपने परिवार में लौटने जैसा अहसास किया है।
एनजीओ की मीडिया हेड अरिणीता शाण्डिल्य ने बताया कि तकरीबन साढे़ तीन टन (3500 किलो) वजनी, 50 साल की दीर्घदंती नर हाथी से मनमाने तरीके से व्यावसायिक गतिविधियों, शादी-विवाहों, मेले, खेल-तमाशों, भिक्षावृत्ति जैसे कामों में किया जाता था। इसके चलते उसके पैर, तलवे, कोहनी और पूंछ तक गंभीर रूप से घायल हैं। उनमें गंभीर जख्म बन गए हैं। वह आंशिक रूप से अंधा भी हो गया है।
आगे की स्लाइड्स में देखिए और फोटोज ...