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UP News: मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश की हिंदी में ऐतिहासिक पहल, डॉक्टरी की पढ़ाई अब हिंदी भाषा में

Medical Studies In Hindi Language In UP: सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट के माध्यम से घोषणा करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होगी।

Dr. Saurabh Malviya
Published on: 10 Nov 2022 6:55 PM IST
After Madhya Pradesh, Uttar Pradeshs historic initiative in Hindi, medical studies now in Hindi language
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मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश की हिंदी में ऐतिहासिक पहल, डॉक्टरी की पढ़ाई अब हिंदी भाषा में: Photo- Social Media

Medical Studies In Hindi Language In UP : मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) ने हिंदी भाषा में चिकित्सा की पढ़ाई प्रारम्भ करके शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। इस पहल के लिए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान (Chief Minister Shivraj Chouhan) की सरहाना की जानी चाहिए। भारत एक विशाल देश है। यहां के विभिन्न राज्यों की अपनी क्षेत्रीय भाषाएं हैं। स्वतंत्रता के पश्चात से ही मातृभाषा को प्रोत्साहित करने की बातें चर्चा में रही हैं, परंतु इनके विकास के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। इसके कारण प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी भाषा अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित हो गया।

अब भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सरकारों ने देश के विभिन्न राज्यों की मातृभाषाओं के विकास का बीड़ा उठाया है। इसका प्रारम्भ मध्य प्रदेश से हुआ है। मध्य प्रदेश के पश्चात अब उत्तर प्रदेश में भी चिकित्सा एवं तकनीकी पढ़ाई हिंदी में होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट के माध्यम से इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कुछ पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद कर दिया गया है। आगामी वर्ष से प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में इन विषयों के पाठ्यक्रम हिंदी में भी पढ़ने के लिए मिलेंगे।

भोपाल में चिकित्सा शिक्षा की हिंदी भाषा की तीन पुस्तकों का विमोचन

उल्लेखनीय है कि गत 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने भोपाल में चिकित्सा शिक्षा की हिंदी भाषा की तीन पुस्तकों का विमोचन किया। इनमें एमबीबीएस प्रथम वर्ष की एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो केमिस्ट्री की पुस्तकें सम्मिलित हैं, जिनका हिन्दी में अनुवाद किया गया है। उल्लेख करने योग्य बात यह भी है कि चिकित्सीय शब्दावली को ज्यों का त्यों रखा गया है, क्योंकी संपूर्ण पाठ का हिंदी में अनुवाद करना संभव नहीं है। यदि ऐसा किया जाता है, तो इससे छात्रों के लिए कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। राज्य के 13 राजकीय महाविद्यालयों में हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई प्रारम्भ हो गई है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस पहल के लिए शिवराज सरकार को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन शिक्षा के क्षेत्र में नवनिर्माण का दिन है। शिवराज सरकार ने देश में सर्वप्रथम चिकित्सा की हिंदी में पढ़ाई प्रारम्भ करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा की पूर्ति की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, बंगाली आदि सभी क्षेत्रीय भाषाओं में चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने का आह्वान किया था।

आपको अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए

उन्होंने कहा कि देश के विद्यार्थी जब अपनी भाषा में पढ़ाई करेंगे, तभी वह सच्ची सेवा कर पाएंगे। साथ ही लोगों की समस्याओं को ठीक प्रकार से समझ पाएंगे। चिकित्सा के पश्चात अब 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई उनकी मातृभाषा में प्रारम्भ होने वाली है। देशभर में आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की पुस्तकों का अनुवाद का कार्य प्रारम्भ हो चुका है । कुछ ही समय में देश के सभी विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त करना प्रारम्भ करेंगे। मैं देश भर के युवाओं से कहता हूं कि अब भाषा कोई बाध्यता नहीं है। आप इससे बाहर आएं। आपको अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए। अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करके आप अपनी प्रतिभा का और अच्छी तरह प्रदर्शन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

मातृभाषा में व्यक्ति सोचने, समझने, अनुसंधान, तर्क एवं कार्य और अच्छे ढंग से कर सकता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भारतीय छात्र जब मातृभाषा में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा का अध्ययन करेंगे तो भारत विश्व में शिक्षा का बड़ा केन्द्र बन जाएगा। जो लोग मातृभाषा के समर्थक हैं, उनके लिए आज का दिन गौरव का दिन है। उन्होंने नेल्सन मंडेला का स्मरण करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में ही होती है। नेल्सन मंडेला ने कहा था कि अगर व्यक्ति से उसकी मातृभाषा में बात करें तो वह बात उसके दिल में पहुंचती है।

यह सर्वविदित है कि मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना अत्यंत सहज एवं सुगम होता है। अपनी मातृभाषा में विद्यार्थी किसी भी विषय को सरलता से समझ लेता है, जबकि अन्य भाषा में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ता है। विश्व भर के शिक्षाविदों ने मातृभाषा में शिक्षा प्रदान किए जाने को महत्व दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार अपनी मातृभाषा में चिकित्सा की पढ़ाई करवाने वाले देशों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था अन्य देशों से अच्छी स्थिति में है। चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस एवं जापान सहित अनेक देश अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सर्वविदित है कि ये देश लगभग प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी हैं। इन देशों ने अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करके ही उन्नति प्राप्त की है। यदि स्वतंत्रता के पश्चात भारत में भी मातृभाषा में चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाती तो हम भी आज उन्नति के शिखर पर होते।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय भाषाओं का प्रोत्साहन

उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई प्रारंभ होने से देश में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन आएगा। लाखों छात्र अपनी भाषा में अध्ययन कर सकेंगे तथा उनके लिए कई नये अवसरों के द्वार भी खुलेंगे।

निसंदेह ग्रामीण परिवेश एवं मध्यम वर्ग के हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए चिकित्सा एवं तकनीकी पढ़ाई सुगम हो जाएगी, क्योंकि उन्हें चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकों में अंग्रेजी भाषा के कठिन शब्द समझने में कठिनाई होती है।

चिकित्सा एवं इंजीनियरिग की शिक्षा के पश्चात विज्ञान, वाणिज्य एवं न्याय की शिक्षा भी मातृभाषा में होनी चाहिए। न्यायिक क्षेत्र में सारे कार्य भी मातृभाषा में होने चाहिए। न्यायिक मामलों की कार्यवाही भी मातृभाषा में होनी चाहिए। प्राय : न्यायालयों का सारा कार्य अंग्रेजी में होता है। लोगों को पता नहीं होता कि अधिवक्ता न्यायाधीश से क्या कह रहा है और क्या नहीं। उन्हें कार्यवाही की कोई जानकारी नहीं होती। अपनी मातृभाषा में न्यायिक कार्य होने से लोगों को आसानी हो जाएगी।

कुछ लोग हिंदी में चिकित्सा एवं तकनीकी की पढ़ाई का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि छात्रों को हिंदी में पुस्तकें उपलब्ध नहीं होंगी। वास्तव में यही वे लोग हैं, जो अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित रखने के पक्ष में हैं। ये लोग नहीं चाहते कि भारतीय भाषाएं उन्नति करें। ऐसे लोगों के कारण ही स्वतंत्रता के पश्चात भी अंग्रेजी फलती-फूलती रही तथा भारतीय भाषाओं का विकास अवरुद्ध होता चला गया। वर्तमान में इन विषयों की बहुत सी पाठ्य पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध नहीं हैं, किन्तु अभी चिकित्सा एवं तकनीकी पुस्तकों का अनुवाद का कार्य चल रहा है। पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अतिरिक्त चिकित्सा से संबंधित अन्य पुस्तकों का अनुवाद का कार्य भी होगा। भविष्य में इन विषयों की पुस्तकों का कोई अभाव नहीं रहेगा। इसलिए पुस्तकों की उपलब्धता के कारण इस नई पहल का विरोध करना उचित नहीं है।

भारतीय भाषाओं का मान-सम्मान पुन: होगा

पूर्व में अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान न होने के कारण योग्य एवं प्रतिभाशाली विद्यार्थी चिकित्सा एवं तकनीकी आदि विषयों की पढ़ाई नहीं कर पाते थे, किन्तु अब भाषा की बाधा दूर हो रही है। अब अंग्रेजी भाषा विद्यार्थियों के सुनहरे भविष्य के आड़े नहीं आएगी। यह देश का दुर्भाग्य है कि हिंदी को देश की राजभाषा घोषित करने पश्चात भी एक राजनीतिक षड्यंत्र के कारण विदेशी भाषा अंग्रेजी में कार्य करने को विशेष महत्व दिया जाता रहा है। अंग्रेजी के कारण हिंदी सहित लगभग सभी भारतीय भाषाएं पिछड़ती चली गईं। ये सब भाषाएं आज भी अपने मान-सम्मान के लिए संघर्ष कर रही हैं। किन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से चिकित्सा एवं तकनीकी पढ़ाई हिंदी में प्रारम्भ होने से यह आशा जगी है कि भारतीय भाषाओं को उनका खोया हुआ मान-सम्मान पुन: प्राप्त हो सकेगा।

(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में सहायक प्राध्यापक हैं)



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Shashi kant gautam

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