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Supertech Twin Tower : लोगों को सता रही प्रदूषण और मलबे की चिंता, बोले- बड़े टुकड़े यहां न तोड़ें

लोगों की चिंता मलबा है।उनका कहना है कि 'मलबे के बड़े टुकड़ों को यहां नहीं तोड़ा जाना चाहिए। प्रदूषण के कारण हमें काफी नुकसान हुआ है। हम चाहते हैं कि वे क्रेन में मलबा बाहर ले जाएं।

Krishna Chaudhary
Published on: 29 Aug 2022 12:13 PM IST
after supertech twin tower demolition people are worried about pollution and debris
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Supertech Twin Towers (Social Media)

Supertech Twin Towers : नोएडा के एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी के निवासी आज जब जगे तो सामने नियंत्रित विस्फोट से निकले मलबे का एक पहाड़ था। सुपरटेक ट्विन टावरों को कल धराशायी कर दिया गया था, जिससे रियाल्टार के साथ उनकी नौ साल की कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई। आज सुबह घटनास्थल पर सफाई कर्मी काम करते हुए दिखाई दिये, जहां कल दोपहर 2.30 बजे तक ट्विन टावर खड़े थे, सफाईकर्मी उस जगह के पास जमीन से धूल की परत को हटाने में जुटे हैं।

विस्फोटों के कारण निकलने वाली धूल को रोकने के लिए जुड़वां टावरों के बगल में इमारतों में लगाए गए कवर अभी तक नहीं उतरे हैं और उनके सामने मलबे का एक विशाल पहाड़ है। एक प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि वह रात करीब 11.30 बजे घर लौटी। तो वातावरण से डायनामाइट की गंध आ रही थी, बाकी सब ठीक था। उसने बताया कि उसने बस एसी के कवर हटा दिए और सो गए। आज सुबह आसमान साफ था जब लोग जागे।

'सामने नीला आकाश था'

हाउसकीपिंग और बागवानी सेवाओं का प्रबंधन करने वाले आरडब्ल्यूए एक सदस्य ने कहा, 'हमें एक सलाह मिली थी कि प्रदूषण होगा। जब मैं सुबह सोकर उठा तो सामने नीला आकाश था इसलिए मैं बिना मास्क के बाहर आ गया।'

जश्न की तैयारी

यह भी जानकारी में आया है कि यहां के लोग रियाल्टार के खिलाफ कानूनी जीत और जुड़वां टावरों के विध्वंस का जश्न मनाने की योजना बना रहे हैं। आज शाम इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है। लोगों का मानना है कि उन्होंने लड़ाई निश्चित रूप से जीती जाती है। यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण है।

जानें क्या था मामला?

बताया गया कि रियाल्टार सुपरटेक ने एक ऐसे क्षेत्र में जुड़वां टावरों का निर्माण किया था जिसे मूल भवन योजना में एक बगीचे में बनाया जाना था। उन्होंने तर्क दिया कि रियाल्टार ने अधिक फ्लैट बेचने और लाभ मार्जिन बढ़ाने के लिए मानदंडों का उल्लंघन किया। रियाल्टार ने बाद में 24 मंजिलों के साथ दो और टावरों को शामिल करने के लिए भवन योजना को संशोधित किया। इस के बाद मंजिलों की संख्या बढ़ाकर 40 कर दी गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसमें पाया गया कि रियाल्टार ने नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से बिल्डिंग के नियमों का उल्लंघन किया है। अदालत ने पिछले साल रियाल्टार के खर्च पर दो टावरों को गिराने का आदेश दिया था।

यूपी सरकार ने नहीं किया हस्तक्षेप

एक अन्य ने कहा, 'सोसायटी के निवासियों और रियाल्टार के बीच कानूनी लड़ाई में यूपी सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि सरकार ऐसी ही बनी रहेगी। और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी जिनकी गलती का खामियाजा निवासियों को भुगतना पड़ता है।'

मलबे के बड़े टुकड़ों को यहां न तोड़ें

लोगों की चिंता मलबा है उन्होंने कहा, कि 'मलबे के बड़े टुकड़ों को यहां नहीं तोड़ा जाना चाहिए। प्रदूषण के कारण हमें काफी नुकसान हुआ है, हम चाहते हैं कि वे क्रेन और लॉरी में मलबा उठाएं और उसे ले जाएं। वे उसे कहीं भी तोड़ सकते हैं, लेकिन यहां नहीं।'



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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