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Agra Mayor: आरक्षण की घोषणा के साथ ही दावेदारों ने शुरू की गणेश परिक्रमा, ये तीन नाम है रेस में
Agra News: आरक्षण सूची की तस्वीर साफ होने के बाद भारतीय जनता पार्टी से मेयर पद के लिए दावेदारों के नाम पर चर्चा शुरू हो गई है। आगरा के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्री के परिवार की बिटिया टिकट की दावेदार हो सकती है।
Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में मेयर की सीट अनुसूचित महिला खाते में चली गई है। आरक्षण सूची की तस्वीर साफ होने के बाद भारतीय जनता पार्टी से मेयर पद के लिए दावेदारों के नाम पर चर्चा शुरू हो गई है। आगरा के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्री के परिवार की बिटिया टिकट की दावेदार हो सकती है। तो वहीँ एक पूर्व केंद्रीय मंत्री की पत्नी भी चुनावी घमासान में ताल ठोक सकती हैं। एक पूर्व महिला विधायक ने भी मेयर पद के लिए दावेदारी की है। इसके अलावा भी कई दिग्गज परिवारों की बहुओं ने भी मेयर पद की टिकट के लिए दावेदारी की है। कौन कौन है चुनावी मैदान में आई डालते है नजर इस रिपोर्ट में.......
इस बार आगरा की मेयर अनुसूचित जाति की महिला होगी। आरक्षण सूची जारी होने के बाद ये तस्वीर बिल्कुल साफ हो चुकी है। तस्वीर साफ होने के बाद सामान्य और पिछड़ा वर्ग के दावेदार मायूस हैं।
ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि मेयर पद पर भारतीय जनता पार्टी की टिकट से चुनाव कौन लड़ सकता है । ऐसे में सबसे पहला नाम पूर्व विधायक हेमलता दिवाकर कुशवाहा का सामने आ रहा है।
हेमलता दिवाकर कुशवाहा ने मेयर पद की टिकट के लिए दावेदारी पेश की है । हेमलता दिवाकर कुशवाहा आगरा ग्रामीण विधानसभा से विधायक रही हैं। हेमलता दिवाकर कुशवाहा को इस बार विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था।
बेबी रानी मौर्य ने हेमलता दिवाकर कुशवाहा की टिकट कटवा कर आगरा ग्रामीण से चुनाव लड़ा और अब बेबी रानी मौर्य मंत्री बन गई है। चर्चा चल रही है कि हेमलता दिवाकर कुशवाहा का राजनीतिक गुट मजबूत है और वह एक प्रबल प्रत्याशी के रूप में लोगों को नजर आ रही हैं।
दूसरा नाम प्रदेश सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री के पुत्र अवधेश सुमन की पत्नी इति सुमन का सामने आ रहा है। इति सुमन वर्तमान में एत्मादपुर से ब्लॉक प्रमुख भी हैं। इति सुमन ने भी भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी की है। सुमन परिवार का जाटव समाज में अच्छा दखल है । इसलिए इति सुमन भी मजबूत प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में नजर आ रही हैं।
इसके अलावा पूर्व विधायक गुटियारी लाल दुबे इसकी पुत्रवधू हिमांशी दुबेश ने भी भाजपा की टिकट के लिए दावेदारी पेश की है । गुटियारी लाल दुबेश दो बार बसपा के टिकट पर विधायक रहे हैं।
पूर्व विधायक गुटियारी लाल दुबे के साथ भाजपा में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं । पुत्रवधू की सिफारिश के लिए लखनऊ दिल्ली एक किए हुए हैं । गुटियारी लाल दुबेश की पुत्रवधू को भी मजबूत प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा के कार्यकर्ता राहुल सागर की पत्नी ने भी मेयर पद की टिकट के लिए संगठन में दावेदारी पेश की है । इसके साथ ही भाजपा ब्रज क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री अशोक पर्पल की पुत्रवधू कल्पना पिप्पल ने भी मेयर पद की टिकट के लिए दावेदारी पेश की है। अशोक पिप्पल की संगठन और संघ में मजबूत पकड़ है। इस लिहाज से कल्पना पिप्पल की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है ।
केंद्रीय राज्य मंत्री की बेटी और पूर्व केंद्रीय मंत्री की पत्नी का नाम भी भाजपा की टिकट के लिए चर्चाओ में
यूं तो मेयर पद की टिकट के लिए भाजपा में दावेदारों की लंबी सूची है लेकिन दो बड़े नाम ऐसे हैं जिन्होंने टिकट के लिए अभी तक दावेदारी तो पेश नहीं की है। लेकिन चर्चाओं के बाजार में दोनों का नाम सबसे ऊपर चल रहा है।
पहला नाम केंद्रीय राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह की बेटी सलोनी बघेल का है । ऐसी बाजार में चर्चाएं हैं कि केंद्रीय राज्य मंत्री की बेटी डॉक्टर सलोनी बघेल मेयर पद के लिए भाजपा की प्रत्याशी हो सकती हैं।
डॉक्टर सलोनी बघेल एमबीबीएस डॉक्टर हैं। और एसएन मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रही हैं। दूसरा बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और वर्तमान में इटावा से सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया की पत्नी डॉ मृदुला कठेरिया का है।
चर्चाओं के बाजार में डॉक्टर मृदुला कठेरिया भी लोगों को मेयर पद के लिए भाजपा की प्रत्याशी नजर आ रही हैं । प्रो रामशंकर कठेरिया आगरा सुरक्षित लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। ऐसे में चर्चाएं हैं कि सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया अपनी पत्नी डॉ मृदुला कठेरिया को भाजपा की टिकट दिलवाने के लिए पूरी पैरवी कर सकते हैं।
आगरा के 100 वार्ड में होगा पार्षद पद के लिए चुनाव
नए परिसीमन में आगरा नगर निगम के वार्डों की संख्या बढ़कर 100 हो गई है। इस बार सौ वार्डो में पार्षद पद के लिए चुनाव होगा। प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा, सपा, बसपा और रालोद के साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में होंगे। चुनाव में राजनीतिक दलों से टिकट पाने के लिए प्रत्याशियों में मारामारी मची हुई है। कई दावेदारो ने अपने आप को प्रत्याशी मानकर सोशल मीडिया पर प्रचार भी शुरू कर दिया है।