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ख़ास रिपोर्ट: ODF अभियान की जमीनी हकीकत, योजना को लग रहा है पलीता

एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकार के निर्देश पर आगरा जिला प्रशासन जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का बड़ा अभियान चला रहा है तथा लोगों को शौचालय में शौच करने के

Anoop Ojha
Published on: 14 Dec 2017 10:38 AM GMT
ख़ास रिपोर्ट: ODF अभियान की जमीनी हकीकत, योजना को लग रहा है पलीता
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ख़ास रिपोर्ट: ODF अभियान की जमीनी हकीकत, योजना को लग रहा है पलीता

मानवेन्द्र मल्होत्रा

आगरा:एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकार के निर्देश पर आगरा जिला प्रशासन जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का बड़ा अभियान चला रहा है तथा लोगों को शौचालय में शौच करने के लिए प्रेरित कर रहा है। वहीं जिले में इसकी दूसरी तस्वीर यह भी है कि जिले के सरकारी स्कूलों के शौचालय की स्थिति काफी खराब है। आगरा जिले में लगभग 4000 स्कूलों में से 383 परिषदीय स्कूलों में या तो शौचालय नहीं है और अगर है तो वहां पानी और सुविधाए नहीं है। हालत इस कदर खराब है की छात्राओं का कहना है की शौचालय न जाना पड़े इसलिए पानी ही कम पीती है वहीं शिक्षिकाओं ​ का कहना है की शौचालय न होने की वजह से आवश्यकता पड़ने पर किसी भी छात्र छात्रा को एक अन्य सहपाठी की साथ भेजना पड़ता है। अधिकारियों से गुहार लगाकर हार चुके है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।

परिषदीय स्कूलों में असुविधाओं की बानगी किसी से छिपी नहीं हैं। इस मामले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति समान है। अधिकांश स्कूलों में हैंडपंप नहीं है। आगरा जिले में 383 परिषदीय स्कूल ऐसे हैं, जहां शौचालय की व्यवस्था नहीं है या फिर शौचालय खराब पड़े हैं, जर्जर हैं, उनमें पानी की सुविधा नहीं है। इन स्कूलों के छात्र-छात्राएं शौच के लिए खुले में जाने को विवश हैं। इससे सरकार के खुले में शौच जाने से रोकने के अभियान को झटका लगा है। 383 स्कूलों के हालात स्वच्छ भारत मिशन के विपरीत संदेश दे रहे हैं।

विभागीय रिपोर्ट के अनुसार जिले के प्रत्येक विकास खंड के दो-दो दर्जन स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था नहीं हैं। छात्र और शिक्षकों को स्कूल के बाहर जाना पड़ रहा है। स्कूलों ने हैंडपंप और शौचालय निर्माण, मरम्मत के लिए प्रार्थना पत्र विभागीय कार्यालय में दिया हैं, लेकिन कार्रवाई गति बहुत धीमी है। जब हमारी टीम जगदीशपुरा स्थित प्राथमिक विधालय बालक में पहुंची तो वहां स्कूल की जर्जर हालत ने सारी हकीकत बयान कर दी। यहां की छात्राओं का कहना है की स्कूल में न तो शौचालय है और न ही पानी। आवश्यकता पड़ने पर या तो घर जाना पड़ता है या फिर स्कूल के बाहर खुले में जिससे हमेशा असुरक्षा की भावना बनी रहती है वहीं पढ़ाई का भी नुकसान होता है।

क्या कहना है स्कूल की प्रधानाध्यापिका का

वहीं इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका गायत्री सिंह का कहना है की कई बार अधिकारियों से शिकायत की लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। 2014 में यहां वर्ल्ड बैंक की टीम ने भी दौरा किया था लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ

क्या कहना है जगदीशपुरा प्रिंसिपल ​प्राचीन प्राथमिक विद्यालय

एक अन्य स्कूल प्राथमिक बालिका विद्यालय में तो स्कूल के नाम पर कुछ भी नहीं है यहां एक केमिकल ड्रम के गोदाम में सरकारी स्कूल चल रहा है। सरकार

का दावा है की सर्वशिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों में सारी सुविधाए दे रखी है।लेकिन आगरा में कई स्कूल खुले आसमान के नीचे चलने को मजबूर है। जगदीशपुरा स्थित परिषदीय स्कूल प्राचीन प्राथमिक विद्यालय में खतरों के बीच बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं।स्कूल में न तो कोई इमारत है नही कोई सुरक्षा न ही शैचालय।जगदीशपुरा का यह विद्यालय खुले प्लॉट में चलता है।

स्कूल खुले आसमान के नीचे केमिकल ड्रम के गोदाम के रूप में प्रयुक्त होने वाले प्लाट में चल रहा है।यह स्कूल दो महिला शिक्षिका के भरोसे जैसे तैसे चल रहा है। शिक्षक,काफी मुश्किल का सामना करते हुए शिक्षित करने में जुटे हुए हैं।लेकिन सबसे स्कूल में शैचालय की समस्या तो सरकार की लापरवाही की हद्द ही है।स्कूल में टीचर और बच्चें शैचालय न जाना पड़े इसलिए पानी नहीं पीते है।बच्चों को ज्यादा परेशानी होने पर उन्हें स्कूल छोड़कर घर जाना पड़ता है। वहीं इसी जगह चल रहे जूनियर हाई स्कूल की छात्राओं को भी शौचालय न होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनका कहना है की भले ही सुविधाए नहीं है लेकिन पढ़ाई तो करनी ही है

लेकिन यहां टीचर भी है, जो काफी दूर से आते हैं।महिला टीचर होने के नाते उन्हें और भी समस्या का सामना करना पड़ा है। टीचर का कहना है कि यहां प्रशासन कुछ नहीं सुनता।कई बार इस संबंध में संबंधित विभागों को सूचित किया जा चुका है।लेकिन सालों से केवल कागजी कार्रवाई जारी है।इसके आगे कुछ भी नहीं होता।

अब ऐसे में जहां पीएम मोदी का सपना है की 2019 में सम्पूर्ण भारत खुले में शौच मुक्त हो जाए ऐसे में जब सरकारी स्कूलों में ही शौचालय नहीं होंगे तो कैसे कल्पना की जा सकती है गांवों में खुले में शौच मुक्त अभियान सफल हो पायेगा। अब चाहे दोष सरकारी मशीनरी का हो या लापरवाही का आखिरकार पलीता तो पीएम की महत्वाकांक्षी योजना को लग रहा है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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