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ताज महोत्सव: गुलाबी सर्दी और अदब की बिसात के बीच ‘घुंघरूवाले’ ने अपने सुर बिखेरे

ताज महोत्सव में रविवार (19 मार्च) की रात सूफियाना लय, अदब की बिसात और गुलाबी सर्दी की दस्तक के बीच शिल्पग्राम के मुक्त आकाशीय मंच पर कव्वालों ने अपने सुरों को बिखेरा। गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने वाले जाने-माने फनकार एहसान भारती ‘घुंघरूवाले’ ने अपनी बेबदल गायकी से गुजरती रात के लम्हों को यादगार बना दिया।

sujeetkumar
Published on: 20 March 2017 11:24 AM IST
ताज महोत्सव: गुलाबी सर्दी और अदब की बिसात के बीच ‘घुंघरूवाले’ ने अपने सुर बिखेरे
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आगरा: ताज महोत्सव में रविवार (19 मार्च) की रात सूफियाना लय, अदब की बिसात और गुलाबी सर्दी के बीच शिल्पग्राम के मुक्त आकाशीय मंच पर ‘घुंघरूवाले’ ने अपने सुर बिखेरे। गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने वाले जाने-माने फनकार एहसान भारती ‘घुंघरूवाले’ ने अपनी बेबदल गायकी से गुजरती रात के लम्हों को यादगार बना दिया। रात करीब 10 बजे मंच पर पहुंचकर उन्होंने शेरो-शायरी से कार्यक्रम की शुरुआत की और दर्शक उनकी प्रस्तुतियों का लुत्फ उठाते रहे।

मैं आवारा बादल.. सुनाकर की कार्यक्रम शुरुआत

-उन्होंने शेर सुनाया कि 'खुद पुकारेगी मंजिल तो ठहर जाऊंगा, खुद्दार मुसाफिर हूं, ना रोकोगे तो गुजर जाऊंगा..।

-इस शेर से उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया। उन्होंने उपकार फिल्म का गीत 'बैलों के गले में जब घुंघरू जीवन का राग सुनाते हैं..' को घुंघरुओं की आवाज में सुनाया।

-अपनी एलबम की लोकप्रिय कव्वालियां भी सुनाई। संचालन सुधीर नारायन ने किया।

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-उपनिदेशक पर्यटन दिनेश कुमार, अरुण सक्सेना आदि मौजूद रहे।

-प्रथम सत्र का संचालन इस्माइल ने किया।

-घुंघरुओं की आवाज निकाली तो दर्शकों ने तालियां बजाना उनका उत्साह बढ़ाया।

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सोनू निगम को देते थे साड़े चार सौ रूपए

-कार्यक्रम से पहले प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें यह कला मेरठ के एक सूफी संत ने सिखाई थी।

-इस कला में पारंगत होने में 5 साल लगे।

-वो चाहते है कि उनकी कला उनके बाद भी जीवित रहे इसी उद्देश्य से उन्होंने अपने बेटे और भतीजो को यह कला सिखानी शुरू कर दी है।

-उन्होंने बताया की इंडियन गोट टैलेंट के दौरान उनके एक शेर पर सलमान खान भी रो दिए थे।

-एक समय था जब वो आज के सुप्रसिद्ध गायक सोनू निगम को साढ़े चार सौ रूपए दिया करते थे।

-कव्वाल अहसान भारती घुंघरूवाला बताते हैं कि आज भी फिल्मों में कव्वाली चल रही है।

-अब लोग घुमा-फिराकर कव्वाली सुना रहे हैं। जो हम सुना चुके हैं, उसकी धुनों को कॉपी कर रहे हैं।

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15 साल पहले आए थे ताज महोत्सव

-ताज महोत्सव में प्रस्तुति पर अहसान ने कहा कि आगरा में वह कई बार प्रस्तुतियां दे चुके हैं।

-वह महोत्सव में करीब 15 साल पहले आए थे।

-यहां अच्छे श्रोता हैं, इसीलिए यहां प्रस्तुति देना अच्छा लगता है।

-आगरा के अदबी और सूफियाना माहौल की फेहरिस्त में शानदार इजाफा किया।

-भव्य मंच के पीछे ताज महल पर पड़ती शाम के मिजाज से मेल खाती दिल और निगाह को सुकून देती रोशनियों ने आयोजन की छाप हजारों दिलों पर कायम कर दी।

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