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Agra News : निजीकरण के विरोध में आगरा में हुई बिजली पंचायत, सीएम योगी को भेजा करार रद्द करने का प्रस्ताव

Agra News : बिजली पंचायत ने चेतावनी दी कि यदि प्रदेश के 42 जनपदों में एकतरफा निजीकरण थोप दिया गया तो प्रदेश के शेष 33 जनपदों में भी आनन-फानन में बिजली का निजीकरण कर दिया जाएगा और वह दिन दूर नहीं है, जब उत्तर प्रदेश के किसान और आम उपभोक्ता लालटेन युग में धकेल दिए जाएंगे।

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Newstrack Network
Published on: 17 Dec 2024 7:06 PM IST
Agra News : निजीकरण के विरोध में आगरा में हुई बिजली पंचायत, सीएम योगी को भेजा करार रद्द करने का प्रस्ताव
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Agra News : उत्तर प्रदेश के आगरा में मंगलवार को विशाल बिजली पंचायत हुई, जिसमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय और आगरा में चल रहे टोरेंट पावर कंपनी के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का घोर उल्लंघन करते हुए पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इन निगमों को बेचने की जिस जल्दी में है, उससे लगता है कि कोई बड़ी डील हो गई है। बिजली पंचायत ने चेतावनी दी कि यदि प्रदेश के 42 जनपदों में एकतरफा निजीकरण थोप दिया गया तो प्रदेश के शेष 33 जनपदों में भी आनन-फानन में बिजली का निजीकरण कर दिया जाएगा और वह दिन दूर नहीं है, जब उत्तर प्रदेश के किसान और आम उपभोक्ता लालटेन युग में धकेल दिए जाएंगे।

आगरा की बिजली पंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे, प्रभात सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, पी०के० दीक्षित, सुहैल आबिद, ठाकुर राजपाल सिंह, मोती सिंह, विशाल भारद्वाज, विष्णु शर्मा, राकेश पाल, हिमालय अकेला, अनूप उपाध्याय, राहुल वर्मा, गौरव कुमार के साथ उपभोक्ताओं और किसानों के प्रतिनिधियों चौधरी रणवीर सिंह चाहर, राजवीर लवानियां, शशिकांत, भारत सिंह, दिगम्बर चौधरी, राजाराम यादव, प्रवीण चौधरी, छीतर मल, नगेन्द्र चौधरी आदि ने संबोधित किया और निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की, साथ ही आगरा में टोरेंट पॉवर के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने की मांग की।

पॉवर कारपोरेशन को हो रहा भारी घाटा

उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में फ्रेंचाइजी बिडिंग के दौरान ए टी एंड सी हानियों के पूरी तरह गलत आंकड़े देकर आगरा शहर की विद्युत आपूर्ति टोरेंट पावर कंपनी को दे दी गई, जिसका दुष्परिणाम आज तक पॉवर कारपोरेशन और आगरा के घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को भुगतना पड़ रहा है। आगरा के निजीकरण से कोई सबक लेने के स्थान पर एक बार पुनः वही हथकंडे अपनाते हुए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण ए टी एंड सी हानियों के आंकड़े बढ़ा-चढ़कर बताते हुए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आगरा में फ्रेंचाइजी करार के तहत पॉवर कारपोरेशन टोरेंट पावर कंपनी को प्रति वर्ष एक निश्चित दर पर बिजली बेचता है, जिससे प्रति वर्ष पॉवर कारपोरेशन को भारी घाटा हो रहा है। विगत 14 साल में इस मद में पावर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। वर्ष 2023-24 में पॉवर कारपोरेशन ने 05.55 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट को 4.36 रुपए प्रति यूनिट में बेची और इस एक वर्ष में ही 275 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। सवाल यह है कि इस घाटे के निजीकरण मॉडल से प्रदेश के आम उपभोक्ताओं और किसानों को क्या मिला? जिसका डंका पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन पीट रहा है। इस निजीकरण के मॉडल में पॉवर कारपोरेशन के हिस्से में घाटा और टोरेंट पावर कंपनी के हिस्से में मुनाफा कमाना है।

संघर्ष समिति ने कहा कि आगरा में एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है और आगरा विश्व पर्यटन केन्द्र होने के कारण यहां दर्जनों पांच सितारा होटल हैं। आगरा में पॉवर कारपोरेशन टोरेंट पावर कंपनी को मात्र 4.36 रुपए प्रति यूनिट पर बिजली दे रही है और औद्योगिक एवं वाणिज्यिक शहर होने के नाते आगरा का औसत बिजली विक्रय मूल्य 8 रुपए प्रति यूनिट है। इससे स्पष्ट होता है कि आगरा में निजीकरण के पीछे कितनी बड़ी डील हुई होगी।

फ्रेंचाइजी घोटाले की हो सीबीआई जांच

उन्होंने कहा कि आगरा में वर्ष 2023-24 में महंगी बिजली खरीद कर सस्ते दर पर टोरेंट को देने में जहां पॉवर कारपोरेशन को 275 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, वहीं टोरेंट पावर को इस एक साल में 800 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। संघर्ष समिति ने मांग की कि टोरेंट पावर का करार रद्द किया जाय और आगरा फ्रेंचाइजी के घोटाले की उच्च स्तरीय सीबीआई जांच कराई जाए, जिससे उप्र में बिजली निजीकरण के नाम पर घोटाला करने की किसी की हिम्मत न हो।

संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से वर्ष 2023-24 में 4.47 रुपए प्रति यूनिट का राजस्व मिला है, जो टोरेंट से मिले 4.36 रुपए प्रति यूनिट से अधिक है जबकि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 21 जनपदों में अधिकांश बहुत पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र और चम्बल के बीहड़ हैं। यह आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम टोरेंट की तुलना में अधिक राजस्व दे रहा है। इसके बावजूद निजीकरण का क्या औचित्य है।

संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में भारत सरकार की आरडीएसएस स्कीम में 44000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जिसके अच्छे परिणाम अब आ रहे हैं और आने वाले हैं। इसी समय इसे निजी घरानों को सौंपने के पीछे मंशा क्या है?

उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में जब आगरा शहर टोरेंट को सौंपा गया था तब विद्युत विभाग के पुराने एरियर लगभग 2200 करोड़ रुपए के थे, जिसे टोरेंट पावर कंपनी ने आज तक पॉवर कारपोरेशन को नहीं दिया है। इस समय पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में बिजली राजस्व का बकाया 66000 करोड़ रुपए से अधिक है। निजी घरानों की इसी 66000 हजार करोड़ रुपए पर नजर है।

करार को रद्द करने की मांग

इसके अतिरिक्त दोनों निगमों की 21-21 जनपदों की पूरी जमीन मात्र एक रुपए प्रति वर्ष की लीज पर दी जा रही है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 131 का घोर उल्लंघन करते हुए दोनों निगमों के 30000 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व पोटेंशियल और अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों का सीएजी से आडिट कराए बिना इनकी रिजर्व प्राइस मात्र 1500 करोड़ रुपए के आधार पर जनता की इन बेहद कीमती परिसंपत्तियों को निजी घरानों को सौंपने की साजिश है।

उन्होंने कहा कि निजीकरण के बाद बिजली कर्मियों को निजी कम्पनी का बंधुआ मजदूर बनाने, बड़े पैमाने पर छंटनी और संविदा कर्मियों की नौकरी जाने वाले का मसौदा सार्वजनिक होने के बाद बिजली कर्मियों का गुस्सा और बढ़ गया है। बिजली कर्मी किसी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे।

बिजली पंचायत ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि बिजली कर्मचारियों, घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले निजीकरण के निर्णय को वापस लिया जाय और टोरेंट पावर कंपनी का आगरा फ्रेंचाइजी करार रद्द किया जाए।



Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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