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Agra News: 4500 नन्हे मेहमानों से गुलजार हुई चंबल नदी, इस दुर्लभ प्रजाति के लिए बनी आसरा

Agra News: चम्बल सेंचुरी में नौ दुर्लभ प्रजाति के कछुए छोड़े गए हैं। कछुए के 2500 बच्चे चम्बल बाह रेंज में छोड़े गए हैं। 2000 हजार बच्चे गढ़ायता कछुआ संरक्षण केंद्र में रहेंगे।

Rahul Singh
Published on: 23 May 2023 7:59 PM GMT

Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में चम्बल नदी 4500 नए मेहमानों से गुलजार हो गई है। चम्बल सेंचुरी में नौ दुर्लभ प्रजाति के कछुए छोड़े गए हैं। कछुए के 2500 बच्चे चम्बल बाह रेंज में छोड़े गए हैं। 2000 हजार बच्चे गढ़ायता कछुआ संरक्षण केंद्र में रहेंगे। रंग बिरंगे कछुए नौ अलग-अलग प्रजाति के हैं। सभी की बनावट अलग-अलग है। रंग भी अलग अलग है। किसी की गर्दन लाल है, तो किसी की पीठ हरी है। किसी के सिर पर क्राउन है। तो किसी के शरीर पर रंगीन धारियां नजर आ रही हैं। राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में 9 प्रजाति के पक्षियों का संरक्षण किया जा रहा है। इनमें सीम, ढोर, साल, पचेड़ा, सुंदरी, काटावाह, मोरपंखी, इंडियन रूफड़ टर्टल और काली ढोर प्रजाति के कछुए शामिल हैं। बाह के रेंजर आरके सिंह राठौर ने बताया कि नेस्टिंग के बाद हुई हैचिंग में जन्मे करीब 2500 कछुओं के बच्चे नदी में पहुंच गए हैं। साल दर साल कछुओं की संख्या बढ़ रही है।

रेंजर बाह के मुताबिक दुनिया भर में साल प्रजाति के 500 से भी कम कछुए रह गए हैं। साल प्रजाति के कछुए सिर्फ चम्बल नदी में ही देखने को मिलेंगे। फिलहाल चंबल नदी नन्हें मेहमानों से गुलजार है। विभागीय अधिकारी नन्हें मेहमानों की पूरी देखभाल करने में लगे हैं।

नदी को स्वच्छ रखेंगे नन्हे मेहमान

चम्बल नदी में छोड़े गए नन्हे मेहमान में शाकाहारी और मांसाहारी प्रजाति के हैं। जो शाकाहारी हैं, वो चम्बल नदी में पड़ी सड़ी-गली वनस्पतियों को खाकर नदी के पानी को साफ करते हैं। जबकि मांसाहारी कछुए नदी में मृत पड़े जीव जंतुओं को खाकर पानी को साफ रखने का काम करते हैं। इनमें कुछ कछुए शांत स्वभाव के होते है। तो कुछ आक्रामक स्वभाव के भी होते है ।

घर पर नहीं पाल सकते हैं कछुआ

कछुआ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची एक का वन्यजीव है। डीएफओ वाइल्डलाइफ के अनुसार कछुआ पालने उसकी खरीद-फरोख्त करने पर कम से कम तीन और अधिकतम 10 साल की सजा के साथ अर्थ दंड का भी प्रावधान है। ऐसे में अगर आपको कहीं कछुआ मिल भी जाता है तो उसे सुरक्षित आसपास की नदी तालाब या झील में छोड़ सकते हैं। इसकी जानकारी डीएफओ वाइल्डलाइफ के सीयूजी नंबर पर भी दे सकते हैं।

Rahul Singh

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