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सैम हिगिन्बॉटम यूनिवर्सिटी के प्रबंधन का कारनामा: करोड़ों डकारे, अब राजनीति के सहारे
आरबी त्रिपाठी
लखनऊ: सैम हिगिन्बॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) के खातों से करोड़ों की रकम के गबन या घोटाले के काले कारनामे उजागर होने के बाद केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की निगाह यहां के प्रबंधन पर गड़ गई हैं। अल्पसंख्यक संस्थान होने का हवाला देकर अब तक बच रहे इस संस्थान का प्रबंधन अब भी राजनीतिक शरण लेने की कोशिश में है। सपा, बसपा और कांग्रेस के नेताओं ने प्रबंधन का पक्ष लेते हुए बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर डाली।
बचाव और राजनीतिक शरण लेने का यूनिवर्सिटी प्रबंधन का यही तरीका उसके गले की फांस बन सकता है। घोटाला उजागर होने के बाद दो एजेंसियों की जांच-पड़ताल ने यूनिवर्सिटी प्रबंधतंत्र के होश उड़ा रखे हैं। यह लोग सरकार में बैठे लोगों से भी मदद मांग रहे हैं, लेकिन सरकार में बैठे लोगों की त्योरियां चढ़ी हुई हैं।
यूनिवर्सिटी के वाइसचांसलर, उनके भाई और वहां के फाइनेंस अफसर समेत दर्जन भर लोग कानून के फंदे में आ गए हैं। यूनिवर्सिटी पर बरसों से कब्जा जमाकर बैठा लाल परिवार फिलहाल हाईकोर्ट के स्टे के बल पर जेल जाने से बचा हुआ है,लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस घपले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है। वहीं पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की जांच का घेरा भी कसता जा रहा है।
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मनमाने पाठ्यक्रमों से मोटी फीस वसूली
इलाहाबाद के नैनी में 1910 में स्थापित किए गए एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट को तकरीबन 15 साल पहले तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ.मुरली मनोहर जोशी ने डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाया था, जबकि कृषि विज्ञान, साइंस और तकनीकी शिक्षा देने वाले इस संस्थान के तत्कालीन निदेशक और अब वाइसचांसलर प्रो.आरबी लाल झाड़-फूंक और चंगाई के नाम पर वहीं यीशू दरबार चलाते रहे हैं।
यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने के बाद इसमें बड़ी संख्या में मनमाने ढंग से पाठ्यक्रम चलाए जाने लगे। इस बात पर हमेशा विवाद भी रहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसके अनेक पाठ्यक्रमों को मान्यता नहीं दे रखी है, लेकिन विवि प्रशासन छात्रों से मोटी फीस वसूलकर डिग्री बांटता रहा। इतना ही नहीं, प्रो.आरबी लाल के भाई विनोद बी लाल और एसबी लाल भी यहीं पर महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा भी मिला हुआ है। ये लोग इसी का फायदा उठाकर सारे गड़बड़झाले पर पर्दा डालते रहते हैं।
एसआईटी जांच के बाद नौ को भेजा जेल
हाल के दिनों इस बात की शिकायत दर्ज कराई गई कि विश्वविद्यालय के एक्सिस बैंक, सिविल लाइंस, इलाहाबाद के 150 खातों से करोड़ों की रकम निकाली जा रही है। यह रकम कुछ निजी खातों में भेजी जा रही है। छानबीन में पता चला कि बैंक के एरिया मैनेजर अहसन कमाल निवासी करेली (इलाहाबाद) और यूनिवर्सिटी के एकाउंट अफसर राजेश सिंह ने मिलीभगत से 23.92 करोड़ रुपये दूसरे खातों में ट्रांसफर करके निकाले हैं। एक्सिस बैंक ने अपने यहां छानबीन की तो पता चला कि युनिवर्सिटी का प्रबंधतंत्र, अफसर व कर्मचारी घपले में शामिल हैं। बैंक ने घपले में 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखा दिया।
पुलिस की निष्क्रियता पर बैंक हाईकोर्ट चला गया और पुलिस के खिलाफ शिकायत की। इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को एसआईटी बनाकर मामले की जांच करने को कहा। कोर्ट के आदेश पर पुलिस की एसआईटी ने मामले की जांच शुरू कर दी। शिकंजा कसने पर वाइसचांसलर आरबी लाल और उनके भाई विनोद बी लाल व एसबी लाल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे ले लिया, लेकिन पुलिस ने यूनिवर्सिटी के वित्त नियंत्रक, रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार, डाइरेक्टर फाइनेंस समेत पांच लोगों और बैंक के एरिया मैनेजर अहसन कमाल समेत 4 लोगों को जेल भेज दिया।
लाल व भाई पर भी कस रहा शिकंजा
इलाहाबाद के एसपी क्राइम बृजेश मिश्रा का कहना है कि इस कारनामे में आरबी लाल और उनके भाई भी फंस रहे हैं। कई और मामले भी आ रहे हैं। एक प्रकरण यह भी पता चला है कि लाल बंधुओं ने काशी नरेश की जमीन भी प्लाटिंग करके बेच डाली है। जिस तरह से इन सबके जाल बट्टे खुल रहे हैं, उन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि ये लोग बहुत दिनों तक बाहर नहीं रह पाएंगे, जेल जाना ही पड़ेगा। स्टे इसी महीने तक है। जांच टीम स्टे खारिज कराने की कोशिश में जुटी है।
बचने के लिए प्रबंधन कर रहा तिकड़मबाजी
यूनिवर्सिटी को केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों से करोड़ों की ग्रांट मिलती है। शिकायतों के आधार पर वित्त मंत्रालय ने घपले की जांच में ईडी को भी लगा दिया है। ईडी के सहायक जांच अधिकारी एसडी पांडेय ने अपनी टीम के साथ जांच शुरू कर दी है। मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है। कई फाइलें और कागजात ईडी के अफसरों अपने कब्जे में ले लिया है।
ईडी अफसरों के मुताबिक शुआट्स में केवल एक ही घपला नहीं है। कई अफसरों और प्रबंधतंत्र की नामी-बेनामी संपत्ति की भी छानबीन की जा रही है। जब यूनिवर्सिटी प्रबंधन को लगा कि वह फंस रहा है तो उसने सपा, बसपा और कांग्रेस के नेताओं को मोहरा बनाकर पेश किया। इन पार्टियों के नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक संस्थान होने के नाते सरकार यहां के प्रबंधन को परेशान कर रही है। प्रबंधन की इस तिकड़मबाजी से भाजपा नेता नाराज हो गए हैं।