×

आ गई अहोई अष्‍टमी, इस विधि से करें पूजन तो दूर होंगे पुत्र के सारे कष्‍ट

sudhanshu
Published on: 28 Oct 2018 10:53 AM
आ गई अहोई अष्‍टमी, इस विधि से करें पूजन तो दूर होंगे पुत्र के सारे कष्‍ट
X

सहारनपुर: करवा चौथ का पर्व पर जहां महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। वहीं इस पर्व के संपन्न होने के ठीक चार दिन बाद पुत्रों को आयुष्मान बनाने के लिए महिलाएं अहोई अष्टमी का पर्व मनाती हैं। इस पर्व पर भी महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए उपवास करती हैं। इस साल यह पर्व आगामी 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदी कैलेंडर के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।

ये भी देखें:

गांवों में बनती है 8 कोनों वाली अहोई माता

अहोई अष्टमी का यह व्रत पुत्रवती महिलाएं रखती हैं। जिस तरह से करवा चौथ व्रत का परायण चंद्र दर्शन करके किया जाता है, उसी तरह अहोई अष्टमी व्रत का परायण तारें देखकर और जल ग्रहण करके किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सायंकाल घर की दीवार पर 8 कोनों वाली अहोई माता की एक तस्वीर बनाई जाती है। इस दिन महिलाएं चांदी का एक विशेष प्रकार का गहना धारण करती हैं, जिसे स्याहू कहा जाता है। आप अहोई माता का कैलेंडर दीवार पर लगा सकते हैं।पूजा से पूर्व चांदी का पैंडल बनवा कर चित्र पर चढ़ाया जाता है और दीवाली के बाद अहोई माता की आरती करके उतार लिया जाता है और अगले साल के लिए रख लिया जाता है। व्रत रखने वाली महिला की जितनी संतानें हों उतने मोती इसमें पिरो दिए जाते हैं। जिसके यहां नवजात शिशु हुआ हो या पुत्र का विवाह हुआ हो, उसे अहोई माता का पूजन अवश्य करना चाहिए।

ये भी देखें:

ये है सही मुहूर्त

मुहूर्त 31 अक्टूबर 2018

पूजा समय - सांय 17:45 से 19:02 तक

तारों के दिखने का समय - 18:12 बजे

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 11:10 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त - 09:10 बजे

ये भी देखें:

इस विधि से करें पूजन

एक थाली में सात जगह 4-4 पूरियां रखकर उस पर थेाड़ा थोड़ा हलवा रखें। चंद्र को अर्ध्य दें । एक साड़ी ,एक ब्लाउज,व कुछ राशि इस थाली के चारों ओर घुमा के , सास या समकक्ष पद की किसी महिला को चरण छूकर उन्हें दे दें। इससे पूर्व सुबह उठकर आप उपवास करने का संकल्प लें। घर की दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं अथवा आप बाजार से अहोई माता का कलैंडर लाकर भी सूरज छिप जाने के बाद और तारे निकल जाने पर पूजन करें। पूजन करने के लिए आप धूप दीप जलाकर, एक कलश पर स्याहू यानि चांदी के मोती से बनी माला रखकर अहोई माता का ध्यान करें और अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना करते हुए पूजन करें। अपनी सामाथर्य के अनुसार बायना निकाले और अपनी सास, जेठानी या परिवार में अन्य किसी बड़ी महिला को दें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

इस दिन आप अपनी संतान को लेकर यदि किसी परेशानी से जुझ रही हैं तो कुछ प्रयोग भी कर सकती है।। जैसे संतान के कैरियर, शिक्षा के लिए अपने हाथ में दूध और उबले हुए चावल लेकर संतान के कैरियर व शिक्षा के बारे में प्रार्थना करें। इस दौरान एक लाल मां को अर्पित करें और इस लाल फूल को अपने पुत्र को देकर सुरक्षित रखने को कहें। संतान के वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में बाधा आ रही है तो अहोई माता को गुड़ का भाग लगाए और चांदी की चेन अर्पित करें। पुत्र को यह गुड खिलाकर माता को अर्पित की गई चेन गले में पहना कर सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद प्रदान करें।

ये है अहोई अष्टमी व्रत कथा

प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ हो ली। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

स्याहू के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक एक कर विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।

सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं अचानक साहुकार की छोटी बहू की नज़र एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया है इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है।

वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है। अहोई का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है "अनहोनी से बचाना " जैसे साहुकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था।

sudhanshu

sudhanshu

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!